- निगम व जलकलकर्मियों के वर्ककल्चर में बदलाव लाने को केपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग से भी सुधार नहीं

- रुटीन वर्क व प्रोजेक्टस के प्रति लचर रवैया अपनाते हैं कर्मचारी

VARANASI

शासन की मंशा है कि दफ्तरों में वर्क कल्चर सुधरे। गतिशीलता बढ़े। तय समयसीमा में रिजल्ट ओरिएंटेड वर्क हो। बावजूद इसके कर्मचारी इस मंशा को पलीता लगा रहे हैं। नगर निगम और जलकल कर्मियों को केपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग देने के बावजूद वर्क कल्चर में बदलाव नहीं आ रहा है। न तो विभिन्न विभागों से जुड़े काम तय समय पर होते हैं और ना ही सफाई, टैक्स, पेयजल, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आदि कार्यो पर इसका असर दिखता है।

क्या है ट्रेनिंग का मकसद?

इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम (संस्थागत विकास कार्यक्रम) के तहत दी जाने वाली केपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग का मकसद अफसरों और कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाकर उनमें नई कार्य संस्कृति विकसित करना। इसमें नगर निगम के अफसर बड़े शहरों में जाकर देखते हैं कि वहां म्यूनिसिपल सिस्टम कैसे काम करता है। सम्बंधित अफसरों से सिस्टम को बेहतर करने की जानकारी लेते हैं। फिर लौटकर मातहतों को ट्रेनिंग देते हैं। केपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम का सॉफ्टवेयर जापान की कम्पनी जायका से तैयार करवाया जा रहा है। इसका टेंडर हो चुका है। इससे कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी।

इस रवैये से बदलाव सम्भव नहीं

- वित्तीय वर्ष के समापन पर टैक्स जमा कराने में आती है तेजी

- पेयजल समस्याओं का समयबद्ध निस्तारण नहीं

- सीवर चोक होने की समस्या नहीं हो रही कम

- सफाईकर्मियों की फौज व निजी एजेंसियों के बावजूद भी सफाई बदहाल

- ऑनलाइन सिस्टम के बावजूद बर्थ व डेथ सर्टिफिकेट बनवाने में लगता है महीनों का समय

- अतिक्रमण हटाने के बाद स्थिति हो जाती है जस की तस

- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम चल रहा धीमा

एक नजर

- करीब 32 करोड़ है आईडीपी की लागत

- 4000 से ज्यादा कर्मी हैं निगम में

- 1150 कर्मचारी हैं जलकल में

- 20 अफसर कर चुके हैं ट्रेनिंग

- 2000 कर्मी हो चुके हैं प्रशिक्षित

- 90 परसेंट इस साल टैक्स वसूली

- 200 करोड़ के प्रोजेक्ट अधर में

- 2 महीने लगते हैं सर्टिफिकेट बनवाने में

केपेसिटी बिल्डिंग ट्रेनिंग से वर्क कल्चर में सुधार आ रहा है। तमाम कार्यो में गतिशीलता बढ़ी है। कुछ समय में सिस्टम में खासा बदलाव दिखने लगेगा।

डॉ। नितिन बंसल, नगर आयुक्त