पीएम के संसदीय क्षेत्र में ही सरकारी तंत्र कैशलेस व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं

(आई कंसर्न)

-नोटबंदी के 15 माह बाद भी जिले के सरकारी विभाग में डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं

-रोडवेज से लेकर सरकारी अस्पताल तक कैश में पेमेंट करना है जनता की मजबूरी

-नगर निगम के पांच जोन में से सिर्फ एक पर है स्वैप मशीन उसमें भी पेपर रोल नहीं

वाराणसी:

पिछले साल हुई नोटबंदी के दौरान भले ही सरकार ने पूरे देश में कैशलेस व्यवस्था को मजबूती देने का सपना देखा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही डिजिटल पेमेंट के सपने अब तक साकार नहीं हो सके हैं। ये शासन की उदासीनता ही है कि अब तक नगर निगम, जल कल, रोडवेज, गर्वनमेंट हास्पिटल्स समेत अन्य सरकारी विभाग कैश पर ही काम कर रहे हैं। यहां न तो डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था है न ही उसके लिए कोई प्रयास हो रहा है। अधिकारी इसे लेकर अलग-अलग दलील दे रहे है।

ऑप्शन ही नहीं है जनाब

सरकारी विभागों में डिजिटल पेमेंट से टैक्स, यात्रा का किराया, जांच के खर्चो का डिजिटल पेमेंट करने के लिए जनता तैयार है। लेकिन दिक्कत ये है कि कहीं इसके लिए कोई व्यवस्था ही नहीं। चाहे वह नगर निगम हो, रोडवेज हो, जलकल हो या फिर सरकारी अस्पताल। आप यहां यदि ई-पेमेंट की बात करें तो संबंधित विभागीय लोग आपको ऐसे देखेंगे मानो कोई अजूबा सामने खड़ा हो। ऐसा नहीं है कि सभी डिजिटल पेमेंट ही करेंगे। लेकिन कुछ लोग जो डिजिटल पेमेंट करना चाहते हैं, वाह ऑप्शन न होने के कारण ही इस बारे में सोच भी नहीं पाते।

कहीं नहीं दिखी सुविधा

आई नेक्स्ट ने जब विभिन्न विभागों की पड़ताल की तो किसी भी सरकारी विभाग में कार्ड स्वैपिंग मशीन दिखाई नहीं दी। रोडवेज में रोजाना लाखों रुपये का कलेक्शन होता है लेकिन यहां डिजिटल पेमेंट का ऑप्शन किसी बुकिंग विंडो पर नहीं है। इधर, सरकारी अस्पताल में ओटी, डायलिसिस, ब्लड कलेक्शन, अन्य जांचों के लिए डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं है। यही हाल नगर निगम में दिखा। यहां जानकारी मिली कि एक जोनल ऑफिस में कार्ड स्वैपिंग मशीन है लेकिन उसमें पेपर रोल नहीं है जिससे पेमेंट का स्टेटमेंट निकाला जा सके। लिहाजा उससे काम नहीं लिया जाता।

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जब तक आम लोग नहीं चाहेंगे तब तक कैशलेस व्यवस्था पटरी नर नहीं लाया जा सकता। एक स्वैप मशीन तो है, लेकिन उसमें पेपर रोल नहीं है। निगम रोल भेजेगा तभी मशीन चल पाएगा। वैसे भी 95 फीसदी लोग कैश लेकर ही टैक्स जमा करने के लिए आते है।

तिलक राम, कर अधीक्षक, नगर निगम वरुणा जोन

शासन की ओर से डिजिटल भुगतान को लेकर अभी तक कोई सर्कुलर नहीं आया है। हालांकि कुछ दिन पूर्व इस व्यवस्था को लेकर चर्चा की गई थी। फिलहाल रोडवेज का फोकस स्मार्ट कार्ड पर है। जिससे लोगों को कैश लेकर सफर करना न पड़े।

पीके तिवारी, आरएम, रोडवेज वाराणसी

सरकारी हॉस्पिटल को कैशलेस करना इतना आसान नहीं है। यहां हर आदमी एटीएम कार्ड लेकर नहीं आता। हास्पिटल को में कैशलेस सिस्टम को लागू कराना स्वास्थ्य महकमे का का काम है। इसमें अस्पताल प्रबंधन कुछ नहीं कर सकता। हालांकि नोटबंदी के बाद यहां डिजटिल भुगतान की सुगबुगाहट तक सुनाई नहीं दी।

डॉ। बीएन श्रीवास्तव, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, मंडलीय अस्पताल

कैशलेस के फायदे

(डू यू नो)

- टैक्स कलेक्शन में तेजी आ सकती है क्योंकि कई बार डोर टू डोर टैक्स कलेक्शन में कैश न होने के वजह से ही लोग पेमेंट नहीं कर पाते।

- सरकारी कार्यालयों में कैश का जोखिम कम होगा जो आम तौर पर एक प्राइवेट संस्थान की तुलना में ज्यादा होता है।

- हर तरह के बिल पेमेंट का आनलाइन रिकॉर्ड मेंटेन करना संभव होगा क्योंकि कई बार मैनुअल फीडिंग की गड़बड़ी से विवाद होता है।

- एटीएम के काम न करने की स्थिति में भी लोग लोगों को कैश के लिए शहर भर भटकना नहीं होगा।