- दिव्यांगों से जुड़े प्रकरण को लेकर भारत सरकार के नि:शक्तजन, समाज कल्याण व अधिकारिता मंत्रालय के मुख्य आयुक्त ने सर्किट हाउस में की सुनवाई

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साहब, हमें अब तक कांशीराम आवास में आवास नहीं मिला है। जबकि हम लोग उसके लिए फ‌र्स्ट प्रॉयरिटी पर हैं। प्लीज सर, कुछ करिये हमारी जगह ज्यादा सशक्त लोगों को आवास दे दिए गए हैं। ये शिकायत रविवार को कुछ दिव्यांगों ने पहली बार अपनी समस्याओं से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान सर्किट हाउस में केन्द्रीय मुख्य आयुक्त के सामने कहीं। भारत सरकार के नि:शक्तजन, समाज कल्याण व अधिकारिता मंत्रालय के मुख्य आयुक्त डॉ। कमलेश पाण्डेय की अध्यक्षता में रविवार को सर्किट हाऊस में दोपहर 12 से दो बजे दिव्यांगों से जुड़े प्रकरणों की जनसुनवाई हुई। इस दौरान इससे जुड़े 30 मामले आए।

घर भी नहीं दिया साहब

सुनवाई के दौरान पांच दिव्यांगों की ओर से उनका राशन कार्ड न बनने तथा कुछ ने कांशीराम आवास के लिए आवेदन के बाद भी आवास न मिलने की शिकायत की। उनका आरोप था कि उनकी जगह सक्षम लोगों को यह आवास दे दिया गया। काशी विद्यापीठ में बीएससी व बीए की पढ़ाई कर रहे दो दिव्यांगों ने प्रवेश में उन्हें आरक्षण लाभ न मिलने की शिकायत की। दिव्यांगों को उपकरण बांटने को पिछले दिनों चले अभियान के तहत नगर निगम में पंजीकृत एक दिव्यांग को हियरिंग एड तो दूसरे को ट्राईसाइकिल अब तक नहीं मिला। पूछताछ हुई तो पता चला कि तीन मार्च को उपकरण देने के लिए बुलाया गया लेकिन उस दिन एमएलसी चुनाव मतदान होने की वजह से वितरण नहीं हुआ। जांच में पता चला कि बिना सूचना के एक मार्च को उपकरण वितरित कर दिया गया। इसके लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा जाएगा।

एक संस्था को किया ब्लैक लिस्टेड

मुख्य आयुक्त ने बताया कि दिव्यांगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए अब संबंधित विभागों को पत्र लिखा जाएगा। वहीं नि:शक्तजन, समाज कल्याण, अधिकारिता मंत्रालय में बतौर मुख्य आयुक्त न्यायालय मिर्जापुर जिले में दिव्यांगों को उपकरण बांटने में घोटाला करने के प्रकरण की खुद उन्होंने जांच की। बनारस की एनजीओ चित्रगुप्त विकलांग समिति ने मिर्जापुर के 350 दिव्यांगों में किसी को उपकरण न मिलने की बात सामने आने पर संस्था को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। असम में एक और एनजीओ के 12 लाख उपकरणों से जुड़े प्रकरण की जांच अभी चल रही है।

एलिम्को को 268 करोड़

सर्किट हाउस में सुनवाई के दौरान डॉ। पाण्डेय ने बताया कि भारत में जन्म से गूंगे व बहरे 30 हजार बच्चों में से 15 हजार काकलियर इम्प्लांट के जरिए ठीक हो सकते हैं। जर्मनी के सहयोग से एलिम्को का आधुनिकीकरण करने के लिए 268 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। वहीं दिव्यांगों को रोजगार हेतु एनएचएफडीसी छात्रवृत्ति के माध्यम से लोन की सुविधा, निरामय बीमा की योजना भी विभाग द्वारा संचालित की गई है।