वाराणसी (ब्यूरो)बचपन से शरारती थाखूब हाथ-पैर हवा में मारता थाआज उन्हीं खुराफातों ने उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रांज मेडल दिला दियाइतनी कम उम्र में नाम रोशन किया हैगांव ही नहीं पूरे देश में हमारा सीना चौड़ा कर दिया हैयह बात कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतने वाले विजय यादव के पिता दशरथ यादव ने कहीउन्होंने अपने पुराने दिनों को याद कर बताया कि शुरुआत बहुत कठिन थीविजय कभी पैदल, साइकिल से आता-जाता थामेरे बेटे ने बहुत मेहनत की हैउसने 2 एशियन और 4 नेशनल में स्वर्ण पदक जीता है। 2015 से नेशनल में स्वर्ण पदक जीत रहा है.

सिर्फ 58 सेकेंड में जीता मुकाबला

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में वेटलिफ्टिंग के बाद जूडो में भारत का जलवा देखने को मिला हैवाराणसी के जूडो खिलाड़ी विजय कुमार यादव ने पुरुषों के 60 किलो भारवर्ग में भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता हैये गेम उन्होंने सिर्फ 58 सेकंड में अपने नाम किया.

गांव में मनाया जा रहा जश्न

विजय की जीत के बाद गांव सुलेमापुर के लोग जश्न में डूबे हैंढोल-नगाड़ों और डीजे पर राष्ट्रीय ध्वज लगाकर नाच-गा रहे हैंदोस्तों में मिठाइयां बंट रहीं हैंपरिवार के लोगों को बधाई दी जा रही हैविजय के भाई विकास अपने भाई की कामयाबी पर खुश थेवो बस ड्राइवर हैंविकास ने बताया कि बचपन में विजय चाचा गोपाल के साथ गांव के व्यायामशाला में कुश्ती लड़ता थामां चिंता देवी ने कहा, कि बहुत खुशी हो रही हैवे ऐसे ही बहुत आगे बढ़े और देश का और हमारा नाम रोशन करेआशीर्वाद दे रहे हैं कि वह ऐसे ही कामयाबी के झंडे गाड़े.

नर्वस हो गईं पूनम, पदक की उम्मीद खत्म

वेट लिफ्टर पूनम यादव से पदक की उम्मीद पूरे देश को थीउनके अभ्यास व पिछले प्रदर्शन को देखते हुए खेल विशेषज्ञ मान रहे थे कि इस बार स्वर्ण पदक जीतेंगी, लेकिन अखिरी वक्त में जरा सी चूक से पदक से दूर हो गईंपूनम के खेल को निखारने वाले इस खेल के विशेषज्ञ बताते हैं कि नर्वस नजर आ रही थींइसका असर उसके खेल पर पड़ारेलवे के कोच और दिल्ली वेटलिङ्क्षफ्टग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुनील कुमार बताते हैं कि रेलवे की खिलाड़ी होने के नाते उसे काफी अभ्यास कराया हैइस दौरान उसने स्नैच में 99 किलो तक वजन उठाया हैक्लीन एंड जर्क में 122-123 किलो तक वजन उठाती हैंकई बार तो उन्होंने 127 किलो तक वजन उठाया हैकामनवेल्थ मुकाबले के क्लीन एंड जर्क में 116 किलो तो उनके लिए काफी कम हैइसे तो आसानी से उठा लेना चाहिए था