-काशी विद्यापीठ रोड स्थित चाय की दुकान पर चुनावी बहस में जुटे लोग

-खाली समय में यहीं हो रही इलेक्शन पर डिस्कशन

VARANASI: पॉलिटिशियंस फिलहाल एक दूसरे को कोसने में बिजी हैं। मुद्दे की बात पर आने को तैयार नहीं है लेकिन पब्लिक अपने अपने मुद्दे पर बहस के साथ अंदरखाने में पक रही खिचड़ी पर भी बात करने लगी है। कौन क्या गणित फिट कर रहा है। कहां अपना सिक्का जमाने की कोशिश में लगा है। इलेक्शन से जुड़ी सारी चर्चा आज चौकी से निकल कर चौराहों पर पहुंच गयी है। इलेक्शन के दौरान पॉलिटिकल पार्टियां मुद्दों को छोड़ अपना-अपना टेंपो हाई करने में लगी हैं। लेकिन पब्लिक मन बना चुकी है कि बदलाव की आंधी में मुद्दों को उड़ने नहीं देगी। रविवार को आई नेक्स्ट रिपोर्टर काशी विद्यापीठ रोड स्थित एक टी स्टाल पर पहुंचा। जहां टीचर्स व स्टूडेंट्स के बीच इलेक्शन को लेकर चल रही बहस में शामिल हो गया। फिर क्या था, मुद्दों को लेकर सरकार बनने और गिरने लगी।

सस्ते में नहीं छोड़ेंगे इस बार

तभी चाय पिला रहे डॉ। मनोहर लाल ने कहा भइया देखो इ नेता चाहे जो करें, लेकिन एक बात मान लो, अबकी लोग इनको सबक सिखाकर रहेंगे। हमारे एरिया के लोग तो इस बार मन बना चुके हैं। हम भी तैयार हैं। बस इलेक्शन स्टार्ट हो और नेताजी आएं। चाय पीने में मगन डॉ। राहुल ने कहा कि आपका कहना काफी हद तक जायज है लेकिन भईया अभी जोश दिखाने की जरूरत नहीं है। जब वोटिंग होई त सब कसर निकाल लेवल जाइ।

नेता भी कम नहीं हैं

बात आगे बढ़ाते हुए प्रोफेसर अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि आप लोग सही कह रहे हैं लेकिन पॉलिटिकल पार्टियां व लीडर्स भी कम नहीं हैं। वो भी अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। देखना इलेक्शन की डेट डिक्लेयर होते ही, क्या क्या देखने को मिलेगा। एक हवा चलेगी और बड़े बड़े लोग उसमें बह जाएंगे। बीच में बात रोकते हुए सुशील राय ने कहा कि पार्टियां भी कम चालाक नहीं है। पब्लिक यदि डाल-डाल है तो वो पात-पात हैं।

बस हमारा शहर छोड़ दो

चाय की चुस्की ले रहे डॉ। मनोहर फिर से एक बात छेड़ दिए। कहाकि कुछ भी बस हमारा शहर सही हो जाए। कोई भी आए इस शहर को तो सुंदर बना दे। इतना सुनते ही प्रोफेसर अनिल उपाध्याय बोल पड़े अरे भई आपको अपने शहर की पड़ी है। जरा देश की भी तो सोचो। अगर देश सुधर जाए तो इस शहर को सुधरते देर कहां लगेगी। इसी बीच एक बार फिर सुशील राय टपक पड़े कहा कि ई शहर त एकदम नाश हो गयल हौ। यहां त कहीं भी विकास नाहीं दिखायी देत हौ। मनोहर ने कहा कि फिलहाल त यहां सुभाष क सरकार हव। चला एक बार फिर गरमा गरम चाय पियावा। वरना हमलोग सरकार गिरा देब, सभी ने जोरदार ठहाका लगाया और चाय पीकर वापस लौट गए।