- नवरात्र की महाष्टमी को पंडालों और घरों में पूजी गई मां, लोगों ने मां का किया आह्वान

- कुमारी पूजन कर लोगों ने निभाई परम्परा

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नवरात्र की महाष्टमी को भक्तों ने शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के रौद्र रूप का दर्शन पूजन किया। पंडालों से लेकर घरों तक में अष्टमी की धूम रही। कन्या पूजन संग अन्य अनुष्ठान को सम्पन्न किया गया। एक दिन की तिथि को लेकर संशय देखते हुए बुधवार को कई जगहों पर नवमी भी मनाई गई और देवी दर्शन के क्रम में मां सिद्धिदात्री का दर्शन पूजन किया गया। सुबह से ही मैदागिन गोलघर स्थित मां सिद्धमाता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लगी रही।

भगवान राम ने दी थी मां को जानकारी

महाअष्टमी को लेकर शास्त्रों में जिक्र है कि इसी दिन भगवान राम ने जगतजननी मां दुर्गा को रावण की दुष्टता के बारे में बताया था। जिसके बाद मां की आंखों में क्रोध की ज्वाला भड़क उठी थी। मां ने मर्यादा पुरुषोत्तम को रावण के संहार का आशीर्वाद दिया और उन्हें अपनी शक्तियों से सुशोभित किया था। इन्हीं परम्पराओं का निर्वहन करते हुए बुधवार को शहर के तमाम पूजा पंडालों में या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिताके महामंत्र से मां का आह्वान किया गया। श्रद्धालुओं ने 48 मिनट तक चलने वाली संधि पूजा भी की। मान्यता है कि संधि पूजा के दौरान मां स्वयं उपस्थित होती हैं। इसलिए पंडालों में भक्तों ने 108 दीयों, 108 कमल आदि से मां का स्वागत किया।

पूजी गई कुंवारी कन्याएं

अष्टमी पूजन के दौरान देवी का अंश कुंआरी कन्याओं में होता है। इसी मान्यता की पूर्ति के लिए श्रद्धालुओं ने कुमारी पूजन किया। नौ वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं को देवी के रूप में प्रतिष्ठापित किया गया। पूजा पंडालों के अलावा घरों में भी कुमारी कन्याओं की पूजा कर लोगों ने उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। कन्याओं के पैरों को गंगा जल से धोने के बाद उसमें कुमकुम लगाया गया और नये वस्त्र भेंट कर उन्हें तरह तरह के व्यंजनों का स्वाद भी चखाया गया।

लोहबान की गमक से माहौल भक्तिमय

ढाक की थाप और धुमची से उठ रहे लोहबान की गमक ने माहौल में भक्ति का रस घोला। श्रद्धालुओं ने पूरे विश्वास के साथ मां के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किये। पूजा पंडालों में कल्चरल प्रोग्राम्स भी ऑर्गनाइज किया गया। परंपरागत पूजा पंडालों में महाअष्टमी पर विशेष प्रसाद का वितरण किया गया।