सिटी के व्यस्ततम चौराहों पर खूब करते हैं मनमानी

- ऑटो और आम रिक्शा को जहां रुकने की परमिशन नहीं वहां भी ई-रिक्शा वाले आते हैं नजर

- कहीं भी खड़े होकर जुटाते हैं सवारी, रोड पर आड़ा-तिरछा खड़े होकर ट्रैफिक में बनते हैं रोड़ा

VARANASI

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गोदौलिया चौराहे के करीब पुलिस वाले ऑटो को आने नहीं दे रहे हैं। यहां तक की वहां सवारी उतार रहे रिक्शे वालों की छतरी पर डंडा पटक उसे तुरंत हटने को कह रहे हैं। यहीं रोड के दोनों तरफ कई ई-रिक्शा इत्मीनान से खड़े हैं। कुछ तो एक साइड से दूसरे साइड भी हो रहे हैं ताकि सवारी ज्यादा बैठा सकें। ई-रिक्शों के इस मूवमेंट से आने-जाने वाले परेशान हो रहे हैं। लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।

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गोदौलिया से गिरजाघर वाले रास्ते पर दूध सट्टी से पहले कई ई-रिक्शा वाले जमा हैं। इन्होंने डिवाइडर के लेफ्ट साइड आधे से ज्यादा रास्ता कवर कर रखा है। अब पीछे से आ रही गाडि़यां जगह के लिए हॉर्न बजा रही हैं लेकिन ये हटने को तैयार नहीं दिखते। चौराहे पर पुलिस वाले मौजूद हैं लेकिन ई-रिक्शा वालों को बोलने की जरूरत कोई नहीं समझ रहा है। पब्लिक ये सब मनमानी झेलने के लिए मजबूर है।

ये दो सीन यह बताने के लिए काफी है कि इस शहर में ई-रिक्शा वाले किसी वीआईपी से कम नहीं। ये रोड पर मनमानी करते रहे हैं। जहां चाहे पहुंच जा रहे हैं और खड़े हो जा रहे हैं। जितनी चाहे सवारी भरते हैं लेकिन कोई उन्हें रोकता-टोकता नहीं। शहर को जाम से मुक्त कराने के लिए एसएसपी की नजर भी शायद अब तक इनकी मनमानी पर नहीं पड़ी है। क्योंकि इन्हें खाकी और खादी का पूरा सपोर्ट मिल रहा है। शहर की सभी सड़कों पर लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है। लेकिन इसके साथ बढ़ रही इनकी मनमानी पब्लिक के लिए मुसीबत साबित हो रही है।

जमकर करते हैं मनमानी

दशाश्वमेध एरिया में रहने वाले विशाल प्रजापति की सुने तो सुबह से शाम तक स्पेशली गोदौलिया चौराहे पर ई-रिक्शों को नजरअंदाज करना हर किसी पर भारी पड़ रहा है। ये कहीं भी खड़े हो जाते हैं, चाहे जितनी देर खड़े रहते हैं। मनमानी करते हैं लेकिन चौराहे पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस और सिविल पुलिस वाले इन्हें कुछ नहीं बोलते। क्यों नहीं बोलते ये समझ के बाहर है। इन्हें शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहे पर वीआईपी ट्रीटमेंट क्यों मिलता है, ये समझ के बाहर है।

क्यों खास बने ये?

शहर के वो चौराहे जहां ट्रैफिक पुलिस आटो रिक्शा, रिक्शा वालों को खड़ा भी नहीं होने देते, वहां भी इनकी मौजूदगी और देर तक सवारी उतारने-बैठाने का क्रम हर किसी को हैरान करता है। गौदोलिया, मैदागिन, गिरजाघर, बेनियाबाग पर ये नजारा आम है। इन्हें आटो और रिक्शा से अलग खास ट्रीटमेंट क्यों दिया जाता है, ये लोगों के समझ से बाहर है।

ज्यादातर किशोरों के हाथ

ई-रिक्शा चलाने के लिए वाहन चालक के पास आरटीओ द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। लेकिन इन दिनों शहर में अधिकांश ई-रिक्शे ऐसे लड़के चलाते नजर आएंगे जिनकी उम्र क्8 से कम ही नजर आती है। ऐसे नाबालिक ड्राइवर्स के डीएल चेक करने की जहमत भी अब तक ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने नहीं उठाई है। नतीजा इनकी मनमानी बढ़ती जा रही है।

समाधान ही बन गए समस्या

- ई-रिक्शों को सिटी में इसलिए प्रमोट किया गया ताकि स्लो आम रिक्शों की जगह फास्ट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम डवलप हो।

- इसके अलावा इन्हें प्रमोट करते हुए ऑटोरिक्शा से होने वाले एयर पॉल्यूशन को भी कम किया जा सके।

- अब ई-रिक्शों की भरमार से एक अलग ही तरह की मुसीबत नजर आने लगी है। इनके लिए अब तक रूट निर्धारण पर भी ठोस काम नहीं हो सका है।

- ई-रिक्शों की ज्यादा भरमार गोदौलिया, गिरजाघर, लक्सा, बेनियाबाग जैसे बेहद व्यस्त एरिया में बढ़ती जा रही है।

- इसके खड़े होने के लिए कोई स्टैंड निर्धारित न होने की वजह से ये कहीं भी खड़े हो जाते हैं और जाम की वजह बनते हैं।

- रफ ड्राइविंग के चलते लोग चोटिल भी होते रहते हैं।

इन रूट पर होता है संचालन

वैसे तो रिक्शा के लिए कुछ रूट निर्धारित किए गये हैं जिसमें गोदौलिया-कैंट, गिरजाघर-कैंट, गोदौलिया-मैदागिन, गोदौलिया-लंका, नई सड़क-लहुराबीर, गिरजाघर-मंडुवाडीह, लंका कैंट, गौदौलिया-लंका मेन हैं लेकिन इन्हें शहर के हर हिस्से में देखा जा सकता है।

ई रिक्शा संचालन के लिए नियम बनाए गए हैं। हम नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं। शहर की सड़कों पर सुगम यातायात में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

राम भवन चौरसिया

एसपी टै्रफिक