वाराणसी (ब्यूरो)बनारस के प्राचीन घाटों के टूटने और धंसने का मामला थमा नहीं हैमरम्मत और देखरेख के नाम पर सरकारी महकमे की कामचलाऊ व्यवस्था से खूबसूरती और टिकाऊपन धीरे-धीरे क्षीण हो रहा हैइसकी एक बानगी शहर के अस्सी और रीवा घाट पर देखने को मिलती हैपक्के घाटों के ऊपरी इलाकों में बसे रिहायशी मकानों और दुकानों का गंदा पानी रिसता हुआ सीधे पवित्र गंगा में मिलकर अपवित्र कर रहा हैघाट पर नीली-हरी काई भी जम गई हैयहां से कोई भी सैलानी गुजरने से कतराता हैसाथ ही साथ रेत में नाली बन जाने से रोजाना हजारों की तादात में सैलानियों को सैर करने व स्नान आदि के लिए जाने-आने में परेशान होना पड़ता हैकई बार तो बुजुर्ग सैलानी व बच्चे नाले में भी गिर जाते हैैंदैनिक जागरण आइनेक्स्ट की टीम ने शनिवार को शहर के फेमस अस्सी और रीवा घाट का रियलिटी चेक कियायहां सीवर से घाट के पत्थरों बदसूरत और क्षीण हो रहे हैैंवहीं, प्लास्टिक व कूड़े के यहां-वहां बिखरने से अस्सी पर अन्यवस्था का जमघट प्रतीत होता हैपेश है रिपोर्ट

सीन-1 अस्सी घाट

शहर के अति व्यस्ततम गंगा के किनारे बसे अस्सी घाट के चकाचक करने के दावों की पोल तब खुल जाती है, जब पक्के घाट के ऊपर से घाट के पत्थरों से होते हुए पानी किनारे रेत में पहुंचता हैयहां गंदे प्रवाह से रेत में नाले जैसी आकृती बन गई हैइस नाले से सदैव सीवर पवित्र गंगा नदी में जाता हैवहीं घाट व बरगद पेड़ के पास गंदे पानी का जमाव होने से फिसलन जैसी स्थिति हैश्रद्धालुओं और सैलानियों को रेत में सैर और गंगा में स्नान के लिए जाने से गंदे पानी के नालों से होकर गुजरना पड़ रहा हैकई बार तो बच्चे और बुजुर्ग सैलानी इन्हें पार करने में गिर कर घायल भी हो जाते हैैं

सीन-2 : रीवा घाट

अस्सी से लगे रीवा घाट पर रोजाना हजारों की तादात में यूथ, कपल्स, सैलानी और साधु-संत विभिन्न प्रायोजनों से पहुंचते हैैंरियलिटी चेक में रीवा घाट पर पानी के रिसने से घाट के प्राचीन पत्थरों पर काई जम गई थीपानी के सडऩे से बदबू भी उठ रही हैइससे घाट की इन सीढिय़ों से उतरने से सैलानी कतरा रहे थेइतना ही नहीं गंगा के पास में किनारे पर कूड़ा, प्लास्टिक, वस्त्र, रद्दी, माला-फूल समेत ठोस वेस्टेज फैले हुए थेसाथ ही साथ गंगाजल में भी मिल रहे थेघाट पर मध्य प्रदेश से आए मोहित कहते हैैं कि काशी के प्रचीन घाटों का चर्चा देश-विदेश में हैलिहाजा, अच्छे से संरक्षित किया जाना चाहिए

घाटों के पत्थरों से लगातार पानी के लगने से रिसना चिंताजनक हैगंदे पानी में कई प्रकार के रसायन आदि खुले होते हैंइससे पत्थरों में टूटन आती है व जीवनकाल क्षीण होता हैबेहतर हो कि घाटों के पत्थरों पर से पानी का बहना बंद किया जाए.

प्रोमहेश प्रसाद अहिरवार, इतिहासविद्, बीएचयू

नगर निगम के सफाई से रिलेटेड कार्यों को तत्काल करवाया जाता हैपत्थरों से सीवेज के रिसने व घाटों को होने वाले नुकसान को लेकर संबंधित विभागों को पत्र लिखकर संरक्षित करने की मांग की जाएगी.

संदीप श्रीवास्तव, पीआरओ, नगर निगम