-कांग्रेस के रणनीतिकार के खुलासे से पहले सपा ने किया धमका

-2017 चुनाव के लिए एक साल पहले ही मैदान में उतारा कैंडीडेट्स

VARANASI

यूपी में सन् ख्0क्7 में होने वाले विधानसभा चुनाव की धमक सुनाई देने लगी है। छोटे-बड़े सभी राजनीतिक दल अपनी गोटियां सेट करने में जुट गए हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस और भाजपा होमवर्क करने में जुटी हुई हैं तो वहीं बसपा और सपा ने कैंडीडेट्स का नाम डिक्लेयर कर बाजी मार ली है। दिग्गज कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि इस बार उनकी पार्टी चुनाव से पहले कैंडीडेट्स का नाम डिक्लेयर करेगी। इसी क्रम में पीएम नरेंद्र मोदी व नितीश कुमार को कुर्सी दिला चुके प्रशांत किशोर को कांग्रेस पार्टी ने यूपी चुनाव के लिए अपना सहयोगी बनाया है। पीके पार्टी के लिए रणनीति बना ही रहे थे कि इसी बीच समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को कैंडीडेट्स की लिस्ट जारी कर हड़कंप मचा दिया। अब देखना है कि कांग्रेस अगला कदम क्या उठाती है। बहरहाल पीके की टीम पिछले हफ्ते बनारस आई थी और ब्यौरा जुटाकर वापस लौट गयी थी।

अभी चल रहा सर्वे

लंबे समय तक यूपी की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस इधर दो दशक से बाहर है। ऐसे में उसकी पहली प्राथमिकता ख्0क्7 में होने वाले चुनाव में सत्ता तक पहुंचना है। कारण कि नई दिल्ली का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है। लेकिन पार्टी की तैयारियों से नहीं लगता कि वह सत्ता की दौड़ में शामिल है। क्योंकि इसके पीछे बात यह है कि कई सालों से प्रदेश में सत्ताधारी पार्टियों की तैयारियों को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। यहां चुनाव भले एक साल बाद है लेकिन इन पार्टियों ने अपने-अपने कैंडीडेट्स मैदान में उतार दिये हैं। हालांकि इन पार्टियों का ऐसा करने के पीछे अपना अपना तर्क है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व पूर्व एमएलसी मणिशंकर पांडेय का कहना है कि जो पार्टी सत्ता में रहती है उसे कैंडीडेट्स के बल पर नहीं बल्कि अपने काम को लेकर चुनाव में उतरना चाहिए। लेकिन यहां उलट है। कहा कि हताशा से जूझ रही सपा ने पब्लिक का काम करने की बजाए एक साल पहले ही मैदान में कैंडीडेट्स को उतार दिया है। उन्होंने बताया कि होली से पहले बनारस की सीटों के बाबत डिटेल जुटाने के लिए पार्टी की टीम यहां पहुंची थी। टीम की तरफ से अभी सर्वे ही किया जा रहा है।

सत्तासीन होने का सपना

यूपी चुनाव लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए करो-मरो का सवाल है। इस चुनाव को सभी अपने फेवर में करना चाहते हैं। यही वजह है कि कोई पीछे नहीं रहना चाहता। सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने भी पुराने तरीके को छोड़ने का प्लैन बनाया है। क्भ्0 साल पुरानी पार्टी में यह पहला मौका है जब चुनाव के लिए किसी मैनेजमेंट टीम का सहयोग लिया जा रहा है। प्रदेश महासचिव सतीश चौबे ने बताया कि इस बार पार्टी यूपी चुनाव को बहुत सीरियसली ले रही है। एक एक सीट पर कैंडीडेट के सेलेक्शन से पहले पूरी एक्सरसाइज की जा रही है।