-मुकदमों में एक महीने से ज्यादा गैरहाजिर या फरार रहने वाले अभियुक्तों पर होगी कार्रवाई

- डीजीपी ने जारी किया आदेश, छह महीने से 7 साल तक की हो सकती है सजा

मुकदमों को लंबा खींचने की प्रवृत्ति अब वादी और प्रतिवादी पक्ष को भारी पड़ेगी। हाजिरी में देर करने के साथ ही मुकदमों से लंबे समय तक फरार रहने वाले अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस अब कारगर कार्रवाई की तैयारी में है। इसके तहत फरार घोषित अभियुक्तों को 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। यह निर्णय मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाने में मददगार होगा।

डीजीपी ने याद दिलाई धारा

इंडियन पीनल कोड की एक पुरानी धारा को डीजीपी ने मातहतों को याद दिलाई है। डीजीपी ने सभी जिलों को आदेश जारी किया है कि लंबे समय तक मुकदमों में गैरहाजिर और फरार रहने वाले अभियुक्तों के खिलाफ धारा-174 (ए) के तहत कार्रवाई कराएं। आईपीसी में यह काफी पुराना प्रावधान है मगर मजे की बात यह है कि शायद ही कहीं भी पुलिस इसका इस्तेमाल करती है।

आदेश ही बन जाता है साक्ष्य

कानून के जानकार बताते हैं कि धारा-174 (ए) के तहत किसी साक्ष्य की जरूरत नहीं। कोर्ट की तरफ से धारा-82 के तहत अभियुक्त को फरार घोषित किया जाना ही साक्ष्य बन जाता है और आरोपी को सजा निश्चित है। भले ही अपने खिलाफ दायर मुकदमे में वह बरी भी हो जाए मगर धारा-174 (ए) से बच पाना नामुमकिन हो जाता है। ऐसे मामलों में पुलिस को अदालत में एक प्रार्थना पत्र दाखिल करना होता है।

यह होती है प्रक्रिया

किसी भी आपराधिक या अन्य मामले में गैरहाजिर रहने वाले पक्ष या आरोपियों को हाजिर करने के लिए कोर्ट एक प्रक्रिया अपनाती है। इसमें पहले सम्मन भेजा जाता है। इसके बाद वारंट जारी होता है। वारंट पर भी उपस्थित नहीं होने पर पार्टी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया जाता है। एक महीने में हाजिर नहीं होने पर कोर्ट आरोपी को सीआरपीसी की धारा-82 के तहत फरार घोषित करती है।

क्या है धारा-174 (ए)

सेंट्रल गवर्नमेंट एक्ट के तहत आईपीसी की धारा-174 (ए) में प्रावधान है कि किसी भी मामले में लोकसेवक या अदालती सम्मन पर उपस्थित नहीं होने वाले के खिलाफ इस धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसकी उपधाराओं के तहत आरोपी को 6 महीने से 7 साल तक की सजा और अलग-अलग जुर्माने का प्रावधान भी है।