- शरणदाता और पूर्व डिप्टी मेयर अनिल सिंह ने दिया था नाम

- पांच तक पढ़े बजरंगी ने 17 साल की उम्र में की थी पहली हत्या

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जौनपुर के सुरेरी थाना क्षेत्र के पुरेदयाल गांव का प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना जरायम जगत में बजरंगी के नाम से ही कुख्यात था। खास यह कि ये नाम उसे बनारस में ही मिला था। किसी जमाने में मुन्ना के शरणदाता और आका रहे पूर्व डिप्टी मेयर अनिल सिंह ने उसे 'बजरंगी' उपनाम दिया था। जरायम जगत में बजरंगी के करीबी उसे 'वीआईपी' के नाम से भी जानते थे।

आका ने ही दी थी पहली तस्वीर

कक्षा पांच तक पढ़े बजरंगी ने कुछ दिनों तक जौनपुर में बस कंडक्टर का काम किया था। मगर उसके सपने कुछ और थे। जल्द ही जरायम जगत के कुछ बड़े नामों की शागिर्दी उसने ले ली और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पूर्व डिप्टी मेयर अनिल सिंह के साथ उसने लंबा समय गुजारा। हालांकि 1995 में कैंट के खजुरी तिराहे पर बड़े-छोटे सिंह हत्याकांड के बाद अनिल सिंह से उसकी खटपट हो गई। माना जाता है कि बजरंगी की पहली तस्वीर पुलिस को पूर्व डिप्टी मेयर से ही मिली थी। इस तस्वीर में वह माथे पर मां वैष्णो देवी की चुनरी बांधकर खड़ा था।

शूटरों का सबसे बड़ा गिरोह

बजरंगी के पास एक समय शूटरों का सबसे बड़ा गिरोह था। अन्नू त्रिपाठी, बाबू यादव, मंटू यादव, रिंकू तिवारी, बंटी अफरोज, कृपा चौधरी, दुर्गा अग्रहरि, प्रीतम सिंह, नाटे बचकानी, बच्चा यादव जैसे शार्प शूटर उसके गिरोह के सदस्य थे। ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बाद गिरोह की कमर टूट गई थी। खुद बजरंगी लंबे समय के लिए अंडरग्राउंड हो गया था।