-मंडलीय और राजकीय महिला हॉस्पिटल में पहले भी हो चुकी हैं गंभीर वारदातें

-हॉस्पिटल कैम्पस में बेरोक-टोक आते-जाते हैं अपराधी

VARANASI

जिंदगी देने वाले शहर के सरकारी अस्पताल अपराध का अड्डा बन गए हैं। शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय हॉस्पिटल, इससे लगा राजकीय महिला अस्पताल हो या पं। दीनदयाल जिला अस्पताल इनके कैम्पस में डराने और शर्मसार करने वाली घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। सुरक्षा विहीन अस्पताल अपराध और अपराधियों के लिए मुफीद जगह साबित हो रहे हैं। ये दिन में जुए का अड्डा बने रहते हैं। रात में यहां जाम से जाम टकराते हैं। डर की वजह से कोई विरोध नहीं करता है। अगर किसी ने विरोध करने की कोशिश की तो उसे गंभीर अंजाम भुगतना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन हो या पुलिस सभी को इसकी जानकारी है लेकिन कोई इसको लेकर गंभीर नहीं है।

हत्या, सुसाइड से लेकर रेप तक

-मंडलीय हॉस्पिटल में पिछले साल बिहार के एक मरीज के तीमारदार की वॉर्ड संख्या चार की गैलरी में गार्डर से लटकती लाश मिली थी। गले में उसके गमछे का ही फंदा था। पुलिस इसे आत्महत्या बताती रही।

-कुख्यात भ्0 हजार रुपये के ईनामी बदमाश सन्नी सिंह ने कबीरचौरा स्थित राजकीय महिला हॉस्पिटल को शरणस्थली बना रखा था। पुलिस ने घेरेबंदी करके उसे यहीं ढेर किया था।

-तीन महीने पहले राजकीय महिला अस्पातल में अपने मरीज के साथ मौजूद महिला तीमारदार ने एक युवक पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। यह मामला पुलिस तक पहुंचा था।

-महिला अस्पताल से नवजात बच्चों के चोरी होने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। कुछ महीने पहले एक महिला को बच्चा चुराकर ले जाते लोगों ने पकड़ा था। लेकिन पुलिस ने उसे अर्धविक्षिप्त बताकर छोड़ दिया था।

-कुछ दिन पहले ही दीनदयाल हॉस्पिटल के बाथरूम में मरीज के संग आयी महिला तीमारदार के साथ रेप का सनसनीखेज मामला सामने आया था।

-चोरी की छोटी-बड़ी घटनाएं तो इन अस्पतालों में लगभग रोज की बात हो चुकी हैं। ज्यादातर मामलों में तो पीडि़त शिकायत भी नहीं कर पाते हैं।

बिल्कुल नहीं है सुरक्षा

फ्क्भ् बेड वाले मंडलीय हॉस्पिटल में हर रोज बड़ी संख्या में मरीज एडमिट होते हैं। साथ में इनके तीमारदार भी होते हैं। इसी तरह ---- बेड वाले राजकीय महिला अस्पताल और पं। दीनदयाल जिला अस्पताल में भी मरीजों और तीमारदारों की भीड़ हर वक्त रहती है। इन अस्पतालों में स्टाफ क्वार्टर भी हैं जिनमें मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ रहते हैं। लेकिन इन अस्पतालों में सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं है। मंडलीय और महिला अस्पताल में सुरक्षा महज एक दर्जन डंडाधारी सुरक्षाकर्मी करते हैं। दीनदयाल हॉस्पिटल में रेप की घटना के बाद कुछ सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए। इनकी मौजूदगी में भी अपराधी बेरोक-टोक हॉस्पिटल में आते-जाते रहते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दवा की दुकान से संबंधित दलालों की मौजूदगी रहती है। बाकायदा कैम्पस में अवैध वाहन स्टैंड तक संचालित होता है। मंडलीय हॉस्पिटल में तो पुलिस चौकी भी है लेकिन किसी काम की नहीं है।