-डीजीपी के ड्रीम प्रोजेक्ट वेब बेस्ट क्राइम मैपिंग सिस्टम को लांच करने में जुटी है पुलिस
-एक मई से हर थाने में होनी है शुरुआत, तीन साल का क्राइम डेटा करना है फीड
-मगर थानों में नहीं हैं कम्प्यूटर पर काम करने वाले परफेक्ट पुलिसकर्मी
VARANASI
अपनी पुलिस का भी जवाब नहीं है। कम्प्यूटर पर टाइपिंग सीखी नहीं है और तैयारी कर ली है क्राइम मैपिंग की। कुछ ऐसी ही आधी अधूरी तैयारी के साथ बनारस पुलिस डीजीपी के ड्रीम प्रोजेक्ट वेब बेस्ट क्राइम मैपिंग सिस्टम को लांच करने की प्लैनिंग में जुटी है। बुधवार को हुई वर्कशॉप के बाद एक मई से इस सिस्टम को हर थाने पर लागू करते हुए तीन साल के क्राइम डेटा को फीड करने काम शुरू कर देना है लेकिन मुश्किल ये है कि हर थाने पर अब तक ट्रेंड पुलिस वाले ही नहीं हैं जो कम्प्यूटर पर काम करने में परफेक्ट हों। इसलिए यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कैसे होगा क्राइम मैपिंग का काम।
गिने चुने हैं ट्रेंड
पुलिस विभाग में पुराने ढर्रे पर काम करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या ज्यादा है। कागज और कलम से ही ये काम करना ज्यादा ईजी समझते हैं। यही वजह है कि बनारस के थानों में लगे कम्प्यूटर्स के जरिए एफआईआर दर्ज करने का काम भी अब तक पूरी तरह से शुरू नहीं हो सका है। हां, नई भर्ती के तहत आने वाले पुलिसकर्मी कम्प्यूटर में ट्रेंड जरूर हैं लेकिन इनकी संख्या कम होने के चलते कुछ थानों पर ही कम्प्यूटर का यूज प्रॉपर वे में हो पा रहा है। इसलिए क्राइम मैपिंग सिस्टम को भी रन कराने में कम्प्यूटर में ट्रेंड पुलिस वालों की यह कमी बड़ा रोड़ा बन सकती है।
हर थाने से दो होंगे ट्रेंड
हालांकि प्रोजेक्ट के नोडल ऑफिसर व एसपीआरए आशीष तिवारी का कहना है कि इसके लिए फूलप्रूफ तैयारी है। हर थाने से दो पुलिस वालों को सेलेक्ट कर उनको कम्प्यूटर की ट्रेनिंग दी जा रही है। ताकि क्राइम मैपिंग का काम बगैर किसी रोक टोक के पूरा हो सके। ये पूरा हो गया तो क्राइम कंट्रोल करने में हर थानेदार को बड़ी मदद मिलेगी।
- जिले में कुल ख्ब् थाने हैं
- इनमें एक महिला थाना है
- हर थाने में एक कम्प्यूटर, विद प्रिंटर मौजूद है
- कम्प्यूटर के लिए अलग से साइलेंट जेनरेटर है
-मुंशियों को कम्प्यूटर फ्रेंडली होना था
- लेकिन अब तक ये हो नहीं सका है
- इसके कारण थानों में लगे कम्प्यूटर धूल फांक रहे हैं