-लक्सा पुलिस के हत्थे चढ़ा रईस बनारसी गैंग का शातिर सदस्य, चार अन्य साथी भी गिरफ्तार

--9 MM की पिस्टल, तमंचा, बाइक व लूट के 29 हजार रुपये बरामद

-किराये के मकान में रहकर देते थे वारदातों को अंजाम, पुलिस थी अंजान

VARANASI

अगर आप अपना घर या मकान का कोई कमरा किसी को किराये पर दिए हैं तो जरा अपने इस किरायेदार के बारे में पड़ताल कर लें क्योंकि हो सकता है कि आपके यहां किरायेदार के रूप में रह रहा शख्स शहर में लूट, चोरी या फिर हत्या जैसी वारदात को अंजाम देकर आपके यहां छिपा बैठा हो। क्योंकि इस बात का खुलासा मंगलवार को तब हुआ जब लक्सा पुलिस ने शातिर बदमाश रईस बनारसी के लिए काम करने वाले एक शातिर समेत उसके चार अन्य साथियों को पकड़ा। पकड़े गए सभी बदमाश शहर में अलग अलग इलाकों में किराये के मकान में रहकर लूटपाट की वारदातों को अंजाम देते थे। पुलिस की पूछताछ में इन्होंने सिटी में लूट की हुई कई घटनाओं में भी अपने को शामिल होना स्वीकार किया है। इनके पास से प्रतिबंधित बोर की नाइन एमएम पिस्टल, चार कारतूस, खोखा, तमंचा, दो बाइक, चार फोन के अलावा लूट के 29 हजार रुपये व एक निंजा मास्क बरामद किये गए हैं।

हत्या, लूट के कई case हैं दर्ज

सीओ दशाश्वमेध ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि बकरीद के मद्देनजर एसओ लक्सा राजीव सिंह चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान लूट की नीयत से पांच बदमाशों के क्षेत्र में आने की सूचना पर पुलिस ने सोमवार की रात नई बस्ती स्थित लाल कुटी व्यायामशाला के पास घेरेबंदी कर बदमाशों को पकड़ने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर फायर कर दिया। इस पर हल्की मुठभेड़ के बाद पुलिस ने पांचों को पकड़ लिया। गिरफ्तार बदमाशों में आशीष वाजपेई निवासी छतीसगढ़, संजय उर्फ छेदी निवासी बिहार, अभिज्ञान उर्फ किट्टू निवासी बिहार, संग्राम उर्फ बाबा निवासी बिहार और सोनू सिंह निवासी लक्सा शामिल हैं। पूछताछ में गैंग के मेन सदस्य आशीष ने बताया कि वो शातिर बदमाश रईस बनारसी संग काम करता था। ख्007 में उसने सिगरा व कई अन्य इलाकों में लूट की वारदात को अंजाम दिया था। आशीष हथुआ मार्केट में व्यापारी लहड़ी की हत्या के बाद लूटने की घटना में भी रईस के साथ था। इसके अलावा अन्य चारों बदमाशों पर भी लूट समेत अन्य धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं।

रेलवे कॉलोनी में था ठिकाना

पुलिस पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि वे रेलवे कॉलोनी सिगरा, लहरतारा व कई दूसरे जगहों पर किराये का कमरा लेकर रहते थे। जांच या वेरीफिकेशन न होने के कारण आसानी से कमरा मिल जाता था। वारदात करने के बाद वे कमरा छोड़कर दूसरी जगह अपना ठिकाना बना लेते थे। इस खुलासे के बाद किरायेदारों के वेरीफिकेशन को लेकर सुस्त पड़ी पुलिस को फिर से एक्टिव होने की बात भी उठने लगी है।