महज चार-पांच दिन की अच्छी बरसात में शहर में मैनहोल्स के सीमेंटेड ढक्कन की हालत हो चुकी है खस्ता

कई एरियाज में ढक्कन टूट कर हो चुके हैं दो टुकड़े, बन चुके हैं लोगों के लिए खतरा

जलजमाव की कंडीशन में कोई भी इन टूटे ढक्कनों की वजह से हो सकता है हादसे का शिकार

अंधरापुल, लहुराबीर, कैंट, महमूरगंज और चौकाघाट में लगे ढक्कन टूटकर हो चुके हैं दो टुकड़े, बने हैं बड़ा खतरा

VARANASI

आप सड़क पर है। बारिश के चलते सामने सड़क पर जलजमाव है। ऐसे में अपना कदम सोच-समझ कर ही रखिएगा। क्या पता आप जलजमाव में कदम बढ़ाए और आपके पैरों तले जमीन खिसक जाए। ये तो बात हुई जलजमाव की। अगर जलजमाव न भी हो तो आपकी नजर अलर्ट न हो तो भी आप अपनी बाइक सहित सड़क पर धड़ाम हो सकते हैं। कार का एक पहिया भी अचानक जमीन में धंस जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है। अपने बनारस में ढक्कर ब्रेकर बारिश ने तमाम मैनहोल्स के ढक्कन को वो हाल कर डाला है कि ये सारे खतरे हर सड़क पर मुंह बाये खड़े हैं।

हमें भी आती है शर्म

बनारस में मैनहोल्स का खुला होना। उसके ढक्कन का टूटा या गायब होना, कोई नई बात नहीं है। इस बारे में हम पहले भी कई बार लिखते हुए नगर निगम की लापरवाही उजागर कर चुके हैं। अब तो हमें भी इस टॉपिक का टच करने में शर्म आती है लेकिन नगर निगम के अफसरों को अब भी कोई शर्म नहीं है। तभी तो शहर भर में एक बार फिर से मैनहोल्स हादसों को दावत दे रहे हैं। इस बार हादसों का सबब बनने वाले वो मैनहोल्स भी हैं, जिनमें ढक्कन तो लगा है मगर रद्दी क्वॉलिटी की वजह से चार-पांच बरसात भी नहीं झेल सका।

ये करप्शन नहीं तो और क्या है?

- नगर निगम में छोटे मोटे टेंडर्स से लेकर बड़े ठेकों में जबरदस्त खेल होता है। हाल के दो सालों में खुले मैनहोल्स कवर कराने के लिए जो लाखों के टेंडर हुए थे, उसमे भी खेल से इंकार नहीं किया जा सकता।

- जिस तरह से एक साल के अंदर ही नये लगे ढक्कन टूट गए हैं, ये सवाल उठाता है कि क्या इसकी खरीद या बनाने में करप्शन नहीं हुआ है।

- नगर निगम के सूत्रों की मानें तो 70 मैनहोल्स पर ढक्कन लगाने के लिए लगभग क्0 लाख से ज्यादा खर्च हुए थे। पहले लोहे के ढक्कन लगते थे जो चोरी हो जाते थे इसलिए अब सीमेंटेड ढक्कन चलन में हैं।

- ये ढक्कन इतनी खराब क्वॉलिटी के हैं कि एक साल भी नहीं चल रहे हैं जिससे समस्या जस की तस बनी हुई है।

पहले हो चुके हैं हादसे फिर भी

- दो माह पहले ही मलदहिया में खुले मैनहोल में गिरने से एक महिला घायल हुई थी।

- इस केस में महिला ने नगर आयुक्त के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी।

- इसके अलावा लंका में एक रिटायर्ड बीएचयू कर्मी खुले मैनहोल में गिरने से घायल हुए थे।

- इस दिनों अंधरापुल, चौकाघाट, तेलियाबाग, कैंट, सिद्धगिरीबाग, श्रीनगर कॉलोनी, ईश्वरगंगी, दारानगर, मैदागिन, लंका समेत वरुणा पार के पाण्डेयपुर, पहडि़या, आशापुर, सारनाथ के रोड समेत कई कॉलोनियों में मैनहोल्स के ढक्कन टूट गए हैं।

निगम की लापरवाही बहुत ज्यादा है खासतौर पर खुले मैनहोल्स को लेकर। कई जगहों पर ये खुले पड़े हैं और इनको कवर करने का काम नहीं हो रहा है।

तिलकराज मिश्रा, सिगरा

खुले मैनहोल्स बरसात में तो काफी खतरनाक है। अगर इन पर ढक्कन लगे और जल्दी टूट गए तो इनकी जांच होनी चाहिए क्योंकि ये पब्लिक का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।

दीपक वाही, चौक

नगर निगम बहुत लापरवाह हो गया है। जिस वजह से शहर के तमाम इलाकों में मैनहोल्स खुले पड़े हैं। ये बरसात के सीजन में काफी खतरनाक हो चुके हैं। इन्हें जल्द से जल्द कवर कराना चाहिए।

अजय पाल, लल्लापुरा

ये सारी प्रॉब्लम भ्रष्टाचार की वजह से है। ढक्कन इतनी घटिया क्वॉलिटी के लग रहे हैं कि छह महीने भी नहीं चल रहे। कायदे से इन्हें बनवाने या इनकी खरीद करने वालों से पूरा पैसा वसूला जाना चाहिए।

अभय प्रताप सिंह, पहडि़या