वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में अवेयरनेस और बेटियों की चाहत से जनपद का सेक्स रेसियो प्रति 1,000 पुरुषों पर 913 महिलाओं की संख्या पहुंच गई हैवर्तमान में नारी शक्ति के आराधना और पूजन का कार्य शहर भर में चल रहा हैशनिवार को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मंदिरों में सुबह से लेकर शाम तक आस्था का सैलाब उमड़ता रहाघरों-प्रतिष्ठान में श्रद्धालु विधि-विधान से पूजा-पाठ में जुटे रहे.

वाराणसी जनपद में जनगणना 2011 के आंकड़े के अनुसार जिले का सेक्स रेसियो प्रति एक हजार पुरुषों पर 887 महिलाओं की संख्या थीपीएम मोदी और सामाजिक पहल से पब्लिक में जागरूकता की वजह से करीब एक दशक बाद महिलाओं की संख्या में सुधार होकर इनका आंकड़़ा 913 पर जा पहुंचा। (सेंसेस 2021 के अनुमानित आंकड़े)। लिहाजा, बनारस के रूरल और अर्बन इलाके में बेटी बचाओ की मुहीम रंग ला रही हैआचार्य केशव ने बताया कि शनिवार को अष्टांग योग की अधिष्ठात्री महागौरी की पूजा-अर्चना का विधान हैवाराणसी में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि को देवी मंगला गौरी के दर्शन-पूजन की मान्यता हैदेवी मंगला गौरी का मंदिर गंगा किनारे पंचगंगा घाट पर स्थित हैवहीं, वाराणसाी में शांति के उपासक अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा-अर्चना करते हैं.

महागौरी का मंदिर श्रीकाशी

बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के पास में ही मां अन्नपूर्णा के मंदिर के रूप में विख्यात हैमान्यता है कि देवी मंगला गौरी के दर्शन मात्र से ही मंगल होता है और सुख-समुद्धि की प्राप्ति होती हैदेवी मंगला गौरी के दर्शन का सिलसिला अल सुबह ही शुरू हो जाती है, जो देर रात तक चलती रहती हैदेश के कोने-कोने से काफी तादात में श्रद्धालु आते हैैं.

शहर के प्रमुख मंदिरों में आस्था की भीड़

शहर के विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, दुर्गाकुंड मंदिर, भैरवनाथ, संकट मोचन, बीएचयू विश्वनाथ समेत दो दर्जन से अधिक बड़े मंदिरों में अल सुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं ने पूजा-पाठ कियामान्यता हो कि सूर्य ने यहीं बैठ कर तप कियाइसके बाद गभस्तीश्वर महादेव प्रकट हुएउनके आने के साथ ही मां जगदंबा मंगला गौरी के रूप में आयीइनके दर्शन से आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती हैमहिला श्रद्धालुओं को गभस्तीश्वर महादेव को स्पर्श करना वर्जित है.

चढ़ाए गए फूल-माला

शहर के प्रमुख मंदिरों में शामिल विश्वनाथ मंदिर में मंगल विनायक, आदिकेशव व हनुमान के विग्रह स्थापित हैंदेवी मंगला गौरी को लाल फूल की माला, चुनरी, नारियल, फल व मिष्ठान के साथ ही कमलगट्टा, चंदन और नूतन वस्त्र आदि अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है

देवी के पूजा का मिलता है फल

आचार्य केशव ने बताया कि नवरात्रि की अष्टमी तिथि को जया तिथि भी कहा जाता हैयह बलवती और व्याधि नाशक तिथि हैअष्टमी तिथि को कन्या पूजन से देवी आराधना का फल और विशेष पुण्य मिलता है.

पूजी गईं कन्याएं

शहर में अष्टमी के दिन शनिवार को सुबह से ही लोगों ने पूजा-पाठ कर मंदिरों और घरों में कन्याओं की पूजा कीकई-कई स्थानों और कॉलोनियों में सार्वजनिक रूप से कन्याओं को तिलक लगाकर और उनकी आरती उतारने के बाद उनका पैर छूकर लोगों ने आशीर्वाद लियाइसके बाद लोगों ने कन्याओं को विविध तरह के पकवान और फल खिलाए और गिफ्ट भी दिए.