वाराणसी (ब्यूरो)इसे जागरूकता की कमी कहें या प्रशासन की लापरवाहीशहर की प्रमुख नदियां अस्सी व वरुणा का पानी कई तरह के प्लास्टिक से प्रदूषित हो गया हैदोनों नदियां रोजाना 600 किलो प्लास्टिक उगल रही हैैंप्लास्टिक में तब्दील होती नदी के पीछे सबसे बड़ी वजह प्लास्टिक से बने सामान और कचरे को नदी में फेंकना हैप्रयोग हो रहे प्लास्टिक की वजह से न केवल स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि नाले से नदी तक को बर्बाद कर दिया हैहालाकि कंपनी के इस उठाव के बारे में नगर निगम को जानकारी भी है, इसके बावजूद यहां निगम की गाडिय़ां व नदियों के आसपास रहने वाले लोग प्लास्टिक वेस्ट फेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं.

अस्सी और वरुणा नदी शहर की ऐतिहासिक नदियां हैंइसके बावजूद प्रशासनिक उदासीनता इन नदियों पर ऐसी रही कि अस्सी सीवेज नहर में बदल गई तो वरुणा पर करोड़ों खर्च के बावजूद उसका अस्तित्व धरातल की ओर हैवर्तमान में इन नदियों के किनारे नियमों को ताक पर रखकर हजारों घर बनाए जा चुके हैं और रोजाना इन घरों से नदियों में प्लास्टिक वेस्ट फेंका जा रहा हैरोजाना दोनों नदियों से अनुमानित 600 किलो के आसपास प्लास्टिक और अन्य कूड़ों का उठाव किया जा रहा हैप्लास्टिक फिशर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने पिछले एक साल से अस्सी और वरुणा नदी से कूड़ा निकालने का जिम्मा उठा रखा है

नदियों से प्लास्टिक कर रही इक_

प्लास्टिक फिशर एक जर्मन आधारित कंपनी है, जो नदियों से प्लास्टिक कचरा एकत्र करती हैकंपनी मार्च 2021 से वाराणसी में काम कर रही हैकंपनी ने अस्सी से 38 टन प्लास्टिक एकत्र किया हैइस प्लास्टिक को इक_ा करने के बाद रिसाइकल प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता हैजानकारी के मुताबिक अस्सी और वरुणा से प्लास्टिक निकालने के लिए वाराणसी में 13 लोगों की टीम लगी हैरोजाना सबसे ज्यादा प्लास्टिक अस्सी घाट से मिलता हैहर रोज अस्सी से 300 केजी प्लास्टिक एकत्र करते हैं तो वरुणा से भी काफी मात्रा में प्लास्टिक कलेक्ट की जाती हैप्लास्टिक को निकालने के लिए अस्सी में 4 प्रणालियों और वरुणा नदी में 3 प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया हैएक आंकड़े के मुताबिक प्रति माह नदी से लगभग 6 टन प्लास्टिक निकाला जा रहा है.

एमआरएफ में भेजते प्लास्टिक को

कंपनी में काम करने वाले लोगों के मुताबिक प्लास्टिक को एकत्र करने के बाद उसे शेड में ड्राई करते हैंमटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) में भेजने के बाद रिसाइकल वेस्ट को अलग किया जाता है और नॉन रिसाइकल व सिंगल यूज प्लास्टिक को अलग किया जाता है, जिसे सीमेंट प्लांटों में भेज दिया जाता हैकर्मचारियों ने बताया कि इस काम के लिए हमें सरकार से भी मदद मिल रही हैप्लास्टिक एकत्र करके जहां हम रखते हैं, उसके लिए नगर निगम की ओर से जमीन भी मुहैया कराई गई है.

लगाई जा चुकी करोड़ों की यूनिट

अस्सी नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए बायो रेमेडीयेशन यूनिट लगाई गई हैनगर निगम ने शहर के राजघाट, अस्सी, नरोखा नाला, लख्खी, सामने घाट पर यूनिट लगाई है, ताकि यहां से निकलने वाली नदी के जल को शुद्ध किया जा सकेइन जगहों पर लगी यूनिट पर नगर निगम कुल एक करोड़ रुपए भी खर्च कर चुका हैइसके बावजूद यहां से निकलने वाला जल शुद्धता के मानकों पर खरा नहीं उतर रहा हैइसका कारण ये है कि यहां लगातार गंदगी के साथ मलबा गिराया जा रहा हैदुर्गाकुंड के पास रहने वाले लोगों की मानें तो यहां से गुजरने वाली अस्सी नदी के समीप माह में दो से तीन बार मलबा गिराया जाता है

अस्सी से मिलने वाली प्लास्टिक

200- किलो रविदास पार्क घाट

100- किलो संकटमोचन से

50- किलो सियाराम से

50- किलो सुंदरपुर से

अस्सी में यहां पर लगा है ट्रैप

अस्सी नदी, रविदास पार्क घाट, सियाराम डेयरी, संकटमोचन के पास, सुंदरपुर के पास

वरुणा से मिलने वाली प्लास्टिक

चौका घाट से 100 केजी प्लास्टिक

भगवा नाले से 100 केजी प्लास्टिक

आदि केशव घाट पर ट्रेप लगाया जा रहा है

वरुणा में यहां लगा ट्रैप

चौकाघाट पुल के नीचे, भगवा नाला, आदिकेशव घाट

ट्रेस बूम का इस्तेमाल

अस्सी और वरुणा नदी के पानी में बहते हुए कूड़े को रोकने की प्रणाली है ट्रेस बूमइसमें फ्लोटर्स लगे होते हैं, जहां कूड़ा स्टोर होता हैइस तरह की प्रणाली लोकल स्तर पर ही उपलब्ध हो जाती हैइस प्रणाली के इस्तेमाल से नदियों में अब कूड़ा पहले से जरूर कम मिल रहा है, लेकिन अभी भी लोगों को जागरूक होने की जरूरत है.

अस्सी और वरुणा नदियों से प्लास्टिक और अन्य कचड़ों को बाहर निकालकर उसे वापस किसी अन्य कामों के इस्तेमाल को भेज देते हैंअस्सी और वरुणा की तरह हमें गंगा की सफाई करने का मौका प्रशासन देगी तो गंगा को पॉल्यूशन फ्री करने में हम कारगर साबित हो सकते हैं.

- ऋषभ सिन्हा, डायरेक्टर, प्लास्टिक फिशर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

अस्सी और वरुणा प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी हैनदियों के दोनों ओर बने घर से प्रतिदिन सैकड़ों किलो प्लास्टिक फेंके जाते हैं, जिससे नदियां पूरी तरह से प्रदूषित हो गई हैैंकंपनी ने पिछले एक साल में अस्सी को स्वच्छ बनाने का जो बीड़ी उठाया है वो सराहनीय है.

दीपेश सिंह, समाजसेवी

अस्सी और वरुणा नदी की सफाई को लेकर मोनिटरिंग की जाती हैलेकिन इतने बड़े पैमाने पर प्लास्टिक का मिलना अभी मेरे संज्ञान में नहीं आया हैइसकी पूरी जानकारी लेकर बता सकता हूं, फिलहाल अभी मैं शहर से बाहर हूं.

प्रणय सिंह, नगर आयुक्त