-बकाया टैक्स जमा न करने पर

कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने की कार्रवाई

-प्रवेश कर मद में 70 करोड़ से ज्यादा बकाया का मामला

-ई-संचरण डाउनलोड पर पहले से लगी रोक

VARANASI

कामर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने 70 करोड़ बकाया इंट्री टैक्स जमा न करने पर डीएलडब्ल्यू का रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया। यदि क्7 मई तक टैक्स जमा नहीं किया गया तो रजिस्ट्रेशन रद कर दिया जाएगा। ई-संचरण फार्म डाउनलोड पर पहले से ही रोक लगी है। वाणिज्य कर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने बताया कि डीएलडब्ल्यू पर एंट्री टैक्स के बाबत 70 करोड़ से अधिक का टैक्स बकाया है। टैक्स जमा न करने पर ई-संचरण पर रोक लगा दी गई थी। डीएलडब्ल्यू ऑफिसर्स ने इस मद में क्8 अप्रैल को भ्भ् लाख रुपये जमा किए तो ई-संचरण से रोक हटा ली गई। बाकी धनराशि जमा करने के लिए ख्भ् अप्रैल तक का समय मांगा गया था। तय डेट तक टैक्स जमा न करने पर ई-संचरण पर फिर से रोक लगा दी गई है।

क्7 मई तक मांगा जवाब

डीएलडब्ल्यू की ओर से तीन मई तक टैक्स जमा करने के बाबत कोई संपर्क नहीं किया गया। चार मई को उत्तर प्रदेश मूल्य संवर्धित कर अधिनियम ख्008 की धारा क्7 व उपधारा (क्क्) के अंतर्गत नोटिस जारी किया गया। बताया कि डीएलडब्ल्यू द्वारा प्रवेश कर न अदा करने और कोई उचित कारण न बताने पर ई-संचरण पंजीकरण व टिन नंबर निलंबित किया जाता है। क्7 मई तक इसका जवाब मांगा गया है। ज्वाइंट कमिश्नर ने बताया कि ई-संचरण फार्म डाउनलोड पर रोक से इंजन उत्पादन के लिए जरूरी कलपुर्जे नहीं मंगा सकते हैं। उधर डीएलडब्ल्यू के ऑफिसर्स का दावा है कि उनके पास अभी जरूरी कलपुर्जे उपलब्ध हैं। उनके उत्पादन में कोई परेशानी नहीं होगी। रही बात टैक्स अदायगी की तो इस मद में भ्भ् लाख जमा कर दिया गया। बाकी राशि भी आंकलन के बाद जमा की जाएगी।

ख्007 से है बकाया

ज्वाइंट कमिश्नर के अनुसार डीएलडब्ल्यू ने वर्ष ख्00म्-7 से फार्म फ्8 से आयातित माल पर प्रवेश कर जमा नहीं किया है। वहीं सन् ख्008-09 में क्0 लाख से अधिक मूल्य के मशीनरी, मशीनरी पा‌र्ट्स, सीमेंट व पेपर मंगाया गया था लेकिन वाणिज्य कर विभाग में टैक्स जमा नहीं किया गया। तीस सितंबर ख्008 को केबल, एल्यूमिनियम प्रोडक्ट्स, कंप्यूटर, लैपटाप, टीवी, एलसीडी, आयरन एंड स्टील आदि मंगाए गए, प्रवेश कर के मद में विभाग में कोई धनराशि नहीं जमा की गई। न ही मंगाए गए प्रवेश कर योग्य माल का कोई निर्धारित विवरण ही दाखिल किया गया। सन् ख्007-08 से ख्0क्क्-क्ख् तक के आकलन में आंकड़ा 70 करोड़ के पार पहुंच गया है। बाकी चार सालों के आकलन के बाद वाणिज्य कर विभाग को अनुमान है कि यह आंकड़ा एक अरब के ऊपर पहुंच जाएगा।