बनारस में कई डॉक्टरों को मिल चुकी है रंगदारी के लिए धमकी

-डॉ। बंसल हत्याकांड से शहर के डॉक्टर्स लॉबी में बढ़ा खौफ, लाइसेंसी हथियार न जमा कराने की गुहार

-कुछ ही दिखा पाते हैं अपराधियों के खिलाफ पुलिस तक जाने की हिम्मत, काफी तो जान बख्शने के लिए चुपचाप देते हैं चढ़ावा

VARANASI

केस-वन

दो माह पूर्व अर्दली बाजार स्थित एक चर्चित पीडियाट्रीशियन से रंगदारी मांगी गई थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुये अपराधियों को गिरफ्तार भी कर लिया। इसके बावजूद भी डॉक्टर सहित परिजन अब भी खौफ में जी रहे हैं क्योंकि उन्हें देख लेने की धमकी दी गयी है।

केस-टू

सारनाथ स्थित एक नामी हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर से बदमाशों ने एक करोड़ की रंगदारी मांगी थी। डॉक्टर ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई तो थाने से हॉस्पिटल में सुरक्षा गॉर्ड लगा दिए गये हैं फिर भी डॉक्टर और उनकी फैमिली खुद को सेफ महसूस नहीं कर रहे।

केस-थ्री

महमूरगंज स्थित एक हॉस्पिटल संचालक से भी गैर जिले में बंद एक माफिया के नाम पर रंगदारी मांगी गई। डॉक्टर बिरादरी में ये जानकारी अब आम है। हालांकि अपराधियों के खौफ के चलते अब तक ये मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा है।

ऊपर के ये तीन केसेस महज बानगी भर हैं। बनारस में एक से बढ़कर एक नामचीन डॉक्टर्स हैं जिन पर अपराधियों की निगाहें जमी हुई हैं। कुछ ही डॉक्टर हिम्मत दिखाकर पुलिस तक मदद के लिए पहुंचते हैं। जबकि ज्यादा संख्या उनकी है तो अपराधियों को चुपचाप चढ़ावा चढ़ाना ही बेहतर समझते हैं। यह सिलसिला नया तो नहीं है। इसमें पहले की अपेक्षा अब तेजी जरूर आ गई है। इलाहाबाद के नामी डॉ। एके बंसल की हत्या के बाद से तो बनारस के डॉक्टर्स और भी सहम गये हैं।

गनर लेकर भी चलते हैं कुछ

ये अपराधियों का ही खौफ है धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर खुद की जान को लेकर परेशान हैं। शहर के काफी डॉक्टर्स ने हॉस्पिटल्स और घर के लिए प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी की सर्विसेस हायर की है। कुछ नामी डॉक्टर तो अपने साथ गनर भी लेकर चलते हैं। गिनती के ऐसे भी हैं जिन्हें सरकारी सुरक्षा मिली हुई है। अपराधियों का खौफ क्या होता है, ये इन डॉक्टर्स से अच्छा अभी कोई नहीं बता सकता।

'आला' वाले हाथों में पिस्टल

'अपनी सुरक्षा अपने हाथ' की तर्ज पर शहर के कई डॉक्टर्स आ‌र्म्स लाइसेंस के लिए लाइन में हैं। यह अपराधियों की ही देन है कि जिन हाथों वह आला थामते हैं, उन्हीं हाथों में अब पिस्टल भी थामने को वह मजबूर हैं। हाल ऐसा है कि कुछ डॉक्टर्स ने तो जैक लगाकर शस्त्र लाइसेंस हासिल भी कर लिया। जबकि दर्जनों डॉक्टर्स की फाइल भी असलहा बाबू के टेबल पर या वेरीफिकेशन की प्रक्रिया में फंसी पड़ी है।

आईएमए में दो दर्जन अर्जी

चुनाव आयोग के निर्देश पर इन दिनों अस्त्र-शस्त्र जमा कराने का दौर है। डॉ। बंसल हत्याकांड के बाद सहमे डॉक्टर्स ने अब शस्त्र जमा न करने के लिए डीएम से गुहार लगाई है। खुद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसकी पैरवी कर रहा है। डीएम ने मौके की नजाकत देखते हुए डॉक्टर्स को असलहा जमा कराने से फौरी छूट दे दी है। इसके लिए आईएमए के लेटर पैड पर आवेदन करने का कहा गया है। फिलहाल एक दिन में करीब दो दर्जन डॉक्टर्स की अर्जियां आईएमए में पहुंच चुकी हैं।

पीएम के ससंदीय कार्यालय में भी गुहार

अपराधियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले डॉक्टर्स को शासन की ओर से पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के लिए पीएम मोदी के संसदीय कार्यालय से लेकर सीएम अखिलेश यादव तक गुहार लग चुकी है। चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। एसके पाठक ने पीएम के ससंदीय कार्यालय में एक लेटर सौंप सुरक्षा की मांग की है। इसकी कॉपी सीएम अखिलेश यादव सहित प्रमुख सचिव को भी भेजी गयी है।

डॉ। बंसल की हत्या के बाद डीएम से मिलकर डॉक्टर्स के असलहे नहीं जमा करने का अनुरोध किया गया। डीएम ने इसके लिए छूट दे दी है। आईएमए से फारवर्ड करा कर चिकित्सक डीएम ऑफिस में एक अप्लीकेशन देकर शस्त्र अपने पास रख सकते हैं।

डॉ। अनिल ओहरी

अध्यक्ष, आईएमए

शहर के बहुत से डॉक्टर्स ने शस्त्र के लिए काफी समय पहले से आवेदन किया है। सुरक्षा की दृष्टि से बहुत से डॉक्टर्स शस्त्र साथ में रखने के लिए विवश है। आचार संहिता खत्म होने के बाद और भी डॉक्टर्स लाइसेंस के लिए अप्लाई करेंगे।

डॉ। कार्तिकेय सिंह

सचिव, आईएमए

एक नजर इधर भी

- बीते सात माह के अंदर लगभग डेढ़ सौ डॉक्टर्स शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन कर चुके हैं।

-आईएमए बनारस ब्रांच में गवर्नमेंट व प्राइवेट मिलाकर रजिस्टर्ड मेंबर्स लगभग डेढ़ हजार हैं।

-चिकित्सकों के असलहा नहीं जमा करने के लिए आईएमए में शनिवार तक आये दो दर्जन आवेदन

हत्या के विरोध में हड़ताल और सभा

डॉ। बसंल हत्याकांड के विरोध में शनिवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनारस ब्रांच के पदाधिकारी अपने कार्यो से विरत रहे। आईएमए सभागार में मीटिंग कर पदाधिकारियों ने आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की। प्रेसिडेंट डॉ। अनिल ओहरी ने कहा कि आईएमए यूपी ब्रांच की ओर से आगे की रणनीति सुनिश्चित की जाएगी। मीटिंग में सचिव डॉ। कार्तिकेय सिंह, डॉ। पीके तिवारी, डॉ। भानु शंकर पांडेय, डॉ। आलोक सी भारद्वाज, डॉ। एनपी सिंह, डॉ। मनीषा सिंह, डॉ। अशोक कुमार राय, डॉ। कुसुम चंद्रा, डॉ। आरके ओझा, डॉ। एसके पाठक आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।