वाराणसी (ब्यूरो)। सुबह मरीज तो अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन डॉक्टर, स्टाफ, नर्स गायब रहते हैं। घंटों इंतजार के बाद वह अस्पताल पहुंच रहे हैं जबकि अस्पताल की ओपीडी की टाइमिंग आठ बजे की है। यह सच्चाई बुधवार को उस समय सामने निकलकर आई जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम बुधवार सुबह आठ बजे के करीब मंडलीय हॉस्पिटल पहुंची। इस दौरान कई और खामियां सामने आई जो इस प्रकार हैं।


हवा हवाई साबित हुए दावे
कड़ाके की ठंड को देखते हुए अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीज और तीमारदार को ठंड से बचाने के लिए कई दावे किये जा रहे हैं, लेकिन ये सारे दावे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम की पड़ताल में हवा हवाई साबित हुए। यहां पर मरीज सीमेंट की बेंच पर ठिठुर रहे थे। इनमें सबसे अधिक संख्या महिलाओं और बुजुर्गों की रही। परिसर में कहीं भी अलाव नहीं जलाया गया था। पर्ची कटाने के लिए लाइन में लगी महिलाएं ठंड से परेशान दिखीं।


थोड़ा देर से आएंगे पर्ची काटने वाले
हॉस्पिटल परिसर में समय से पर्ची काउंटर खुल गया था। काउंटर पर दो लाइन महिला और पुरुष की लगती है। पुरुष वाले काउंटर पर एक स्टाफ लोगों की पर्ची काट रहा था जबकि महिला वाले काउटंर पर तैनात स्टाफ कई घंटे तक अपने ड्यूटी पर नहीं आया। पूछने पर समकक्ष कर्मी ने बताया कि थोड़ा देर से आएगा। महिला वाले काउंटर पर कर्मी नहीं होने से महिलाओं को अपनी लाइन से निकलकर पुरुष वाली लाइन में आकर पर्ची कटाना पड़ रहा था। इसके चलते गर्भवती और वृद्ध महिलाओं को काफी परेशानी हो रही थी।


इंतजार करना पड़ता है.
कमरा नंबर -14 में सर्जन ओपीडी चलाते हैैं। कक्ष के बाहर पेशेंट पर्ची लेकर आधे घंटे से डॉक्टरों का इंतजार कर रहे थे। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक स्टाफ ने बताया कि सभी डॉक्टर 8.30 बजे के बाद ही आते हैैं। कभी-कभी अधिक समय भी लग जाता है। पेशेंट क्या करेंगे। इनकी विवशता है। ये दवा लेना जरूरी है, इसलिए इंतजार करना पड़ता है।

इनका क्या किया जाए
नेत्र ओपीडी के बाहर चार-पांच पेशेंट पर्ची लेकर डॉक्टर का इंतजार करते मिले। इनमें एक ने बताया कि वह मंगलवार को अपनी आंख के इलाज के लिए दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर आया था, लेकिन डाक्टर ने उसे देर से आने के चलते इलाज करने से मना कर दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब पेशेंट पांच से दस मिनट होते हैैं तो डॉक्टर उन्हें अगले दिन बुलाते हैैं। पेशेंट का कहना है कि जब डॉक्टर लेट करें तो इनका क्या किया जाए ?

नर्स भी करती हैं देर
ऐसा नहीं है कि अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ ही लापरवाह हैं। इस लापरवाही की सूची में बुधवार को नर्स भी शामिल रहीं। सुबह 8.50 बजे तक नर्स चेंबर खाली रहा। कुछ लोगों को आज ऑपरेशन के लिए बुलाया गया था, वे कुछ यहां आकर जानकारियां लेना चाह रहे थे, लेकिन नर्स कक्ष में किसी को नहीं पाकर मायूस लौट रहे थे।

यहां भी वहीं हाल
कक्ष संख्या-12 में रेबीज आदि के इंजेक्शन दिए जाते हैैं। पर्ची लेने के बाद एक वृद्ध महिला अपने पोते को लेकर करीब आधे घंटे से कक्ष के बाहर खड़ी थी। इंजेक्शन लगाने वाले स्टाफ का इंतजार कर रही थी। स्टाफ के नहीं होने से धीरे-धीरे लाइन लंबी हो गई।


गायब रहे डॉक्टर
कक्ष संख्या-11 में आर्थो सर्जन बैठते हैं। मरीज दरवाजे पर डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे, लेकिन आर्थो सर्जन सुबह के नौ बजे तक भी अपने कक्ष में नहीं पहुंच सके थे। यहां पर राजकीय महिला अस्पताल भी है। यहां ओपीडी के कक्ष संख्या-2 बाल रोग विशेषज्ञ में डॉक्टर नदारद रहे। बाहर महिलाएं अपने बारी का इंतजार कर रही थीं।


आठ बजे नहीं खुलती पैथ लैब
पैथोलाजी में जांच और सैैंपल लेने का काम सुबह आठ से 12 बजे तक चलता है। यहां आठ बजे से ही मरीज आकर पैथ लैब के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इनकी बारी तभी आएगी, जब अंदर स्टाफ हो। पैथ लैब खुला था और स्टाफ नदारद। औषधि वितरण कक्ष के चैनल का सिर्फ ताला ही खुला हुआ था। इसके अंदर कोई स्टाफ मौजूद नहीं था। इससे महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा।