- बनारस की बेटियों ने पिता के अंतिम संस्कार में कायम की नई मिसाल

- शवयात्रा निकालने से लेकर मुखाग्नि देने तक दायित्व का किया निर्वहन

VARANASI

जो मां-बाप ये सोचते हैं कि बेटा ही उनके अर्थी को कंधा दे सकता है, उनके लिए नया सबक हैं बनारस की बेटियां। वो बेटियां जिन्होंने गुरुवार को न सिर्फ अपने दिवंगत पिता के पार्थिव शरीर को कंधा दिया बल्कि अंतिम संस्कार के सभी कर्मकांड को भी बखूबी निभाया। ये सच्ची घटना है बनारस के भदैनी मोहल्ले की।

मथुरा में हुआ निधन

भदैन निवासी पं। योगेश्वर चंद्र उपाध्याय (म्7) का बुधवार को मथुरा में निधन हो गया। पांच बेटियों के पिता पं। योगेश्वर का पहले बिजनेस था लेकिन बुजुर्ग होने की वजह से इन दिनों राजस्थान के कामा जिले में सीडीपीओ पद पर तैनात अपनी दूसरी गरिमा के साथ रहते थे। उनकी एक बेटी विदेश में है जबकि अन्य बैंक तथा गवर्नमेंट सर्विस में ऑफिसर ग्रेड पर कार्यरत हैं। पिता के निधन के बाद उनकी अंतिम इच्छा के अनुरुप चार बेटियों ने उनका अंतिम संस्कार पैतृक निवास वाले बनारस जिले में ही करने का फैसला किया। गुरुवार को एम्बुलेंस से डेडबॉडी के साथ सभी बेटियां घर पहुंची और वहां से पिता को कंधा देकर हरिश्चंद्र घाट तक ले गई।

शहर में रही चर्चा

अंतिम यात्रा में बड़ी महिमा, दूसरी बेटी गरिमा, अन्य छोटी बहनें रम्या और सौम्या ने पिता को कंधे पर उठाया तो सबकी आंखें भर आई। घाट पर चार बहनों ने विधि-विधान से पिता को मुखाग्नि देकर एक ऐसी मिसाल पेश की जिसे शायद ही लोग भूल सकेंगे। विदेश में रहने वाली बेटी अनिमा के कुछ दिन बाद बनारस पहुंचने की संभावना है। इन बेटियों के निश्चय और प्रयास की पूरे शहर में चर्चा रही। एक बेटी अनिमा विदेश से बनारस के लिए चल चुकी है। शवयात्रा में बड़े दामाद अंशुमान देव तिवारी व नाती दिव्यांक भी शामिल रहे।