वाराणसी (ब्यूरो)सीजन कोई भी हो मानसिक चिकित्सालय में मरीजों की संख्या कम नहीं होतीगर्मियों में हाइपर के केस बढ़ जाते हैं तो ठंड के मौसम में एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या बढ़ जाती हैइन दिनों हास्पिटल के ओपीडी में 200 मरीज रोज आ रहे हैंवहीं बीएचयू के मानसिक विभाग में 300 से अधिक पेशेंटस आ रहे हैंसभी मानसिक तनाव की बीमारी से ग्रसित हैंइनमें सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर के केस ज्यादा हैैं.

धूप में मरीज

मानसिक चिकित्सालय पांडेयपुर में मानसिक रोगियों का ठंड के दिनों में विशेष ध्यान दिया जा रहा हैमरीज परेशान न करने लगे, ऐसे मरीजों को दिन में धूप में बैठाया जा रहा हैताकि उनको एंग्जायटी डिसऑर्डर की शिकायत न होज्यादा ठंड पड़ती है तो ऐसे मरीज अजीबो-गरीब हरकत करने लगते हैं.

न्यूरोसिस की शिकायत ज्यादा

बीएचयू मानसिक विभाग के पूर्व एचओडी डासंजय गुप्ता का कहना है कि ठंड के दिनों में मानसिक रोगियों में न्यूरोसिस की शिकायत बढ़ जाती हैइसमें मरीज को बीमारी का एहसास होता हैउसे पता होता है कि वह क्या कर रहा हैपरिवार के ध्यान न देने से तनाव और बढ़ जाता हैकार्य क्षमता कम हो जाती हैरोगी का परिवार भी इस बात को नहीं समझ पाताबच्चों में इस तरह की संभावना अधिक होती है। 40 परसेंट ऐसे लोग उदासीनता के रोगी होते हैं.

यात्रा तक नहीं करते

डाक्टर्स का कहना है कि इस कंडीशन में दूर से आने वाले लोग यात्रा नहीं करना चाहते और गर्मी के सीजन का इंतजार करते हैंजबकि यही देरी रोगी के लिए घातक हो जाती हैजब तक रोगी अस्पताल तक पहुंचता है तब तक उसमें बीमारी के और अधिक बढ़ जाती हैमानसिक चिकित्सालय में इस देर के केस काफी आ रहे हैं.

पेशेंट अपने को बीमार नहीं मानता

मानसिक चिकित्सालय के निदेशक डासीपी मल्ल का कहना है कि साइकोसिस बीमारी भी मानसिक रोगियों को परेशान कर रही हैइस बीमारी में मरीज को अहसास नहीं होतावह खुद को बीमार नहीं मानतामरीज के अंदर असत्य विचार घर कर जाते हैंवो किसी पर भी शक करने लगता हैअनजान से बात करता रहता हैउसको लगता है कि उसके पास कोई हैजो अदृश्य कल्पना उसके सामने होती है वह उसकी बात सुनता हैपेशेंट्स पूरी तरह भ्रांति का जीवन जीने लगता हैउसे आवाजें सुनाई देती हैंआवाजें उसे कुछ करने को बोलती हैंलोग दिखाई देने लगते हैंइस तरह की मरीजों की संख्या इस समय 300 के आसपास पहुंच गयी हैऐसे मरीजों का सावधानी से इलाज चल रहा है.

एंग्जायटी डिसऑर्डर

ठंड में मानसिक रोगियों को एंग्जायटी डिसऑर्डर परेशान करता है क्योंकि दिमाग में स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ जाता हैइस कारण ब्रेन हेल्थ और मेंटल हेल्थ खराब हो जाता हैठंड के कारण दिमाग में तेजी से बढ़ता है एंग्जायटी हॉर्मोन, ज्यादा नींद-भूख लगता है.

सर्दी में डिप्रेशन के रोगियों में बहुत कम रिएक्शन होता हैमरीज थोड़ा शांत हो जाते हैं, लेकिन एक्टिविटी में उनके कोई बदलाव नहीं आता.

डासंजय गुप्ता, पूर्व एचओडी, मानसिक विभाग, बीएचयू

पेशेंट्स का पूरा ख्याल रखा जा रहा हैदवा से लेकर इलाज में भी ध्यान दिया जा रहा हैडिप्रेशन से तो सभी रोगी परेशान हैं.

सीपी मल्ल, निदेशक, मानसिक चिकित्सालय