वाराणसी (ब्यूरो)ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स के अनुसार यूपी में रहने के लिहाज से वाराणसी पहले स्थान पर हैयही वजह है कि राजधानी लखनऊ से ज्यादा वाराणसी में प्रॉपर्टी महंगी है और यहां बाहर आकर बसने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही हैवाराणसी के रजिस्ट्री विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च 2022 में कुल 4910 बैनामा हुए, जिसमें सबसे अधिक प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त चौक, भेलूपुर, कोतवाली वार्ड में हुईइसके बाद आदमपुर, जैतपुरा, सारनाथ व जाल्हूपुर वार्ड में मकान-जमीन का वयनामा हुआ, जबकि फरवरी में ये वार्ड आगे थे

मार्च पर भारी रही फरवरी

स्टाम्प एवं निबंधन विभाग ने वाराणसी को सात सर्किल में बांटा है, जिसमें उप निबंधन प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, गंगापुर, पिंडरा व रामनगर शामिल हैविभाग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च महीने में कुल 4910 बैनामा हुए थे, जबकि फरवरी में यह संख्या 5597 थीमार्च में उप निबंधन द्वितीय 1152 बैनामे के साथ आगे तो फरवरी में उप निबंधन प्रथम 1223 बैनामे के साथ आगे रहायानी मार्च पर फरवरी महीने भारी रहा.

सब रजिस्ट्रार द्वितीय टॉप पर

सब-रजिस्ट्रार प्रथम में आदमपुर, जैतपुरा, सारनाथ व जाल्हूपुर वार्ड आते हैंमार्च महीने में इन वार्डों में 1152 प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त हुईइसी तरह द्वितीय के चौक, भेलूपुर, कोतवाली वार्ड में 1223, तृतीय के दशाश्वमेध, चेतगंज, सिकरौल वार्ड में 290, चतुर्थ के शिवपुर परगना वार्ड में 647, गंगापुर में 798, पिंडरा में 785 व रामनगर में मात्र 166 प्रापर्टी के बैनाम हुए

मार्च 2021 में खूब हुए बैनामे

कोरोना की वजह से सब कुछ ठह सा गया थालोगों को जबर्दस्त आर्थिक नुकसान हुआ थाउद्योग-धंधे व रोजगार पर भी काफी प्रभावित हुआ थाबावजूद इसके प्रापर्टी की बिक्री की खरीद-फरोख्त पर असर नहीं पड़ामार्च 2021 में कुल 5825 प्रॉपर्टी के बैनामे हुए थे, जबकि मार्च 2022 में 4910 ही संपत्ति की खरीद-बिक्री हुई थी

मार्च महीने का आंकड़ा

सब-रजिस्ट्रार प्रथम 785-275

सब-रजिस्ट्रार द्वितीय 846-306

सब-रजिस्ट्रार तृतीय 125-165

सब-रजिस्ट्रार चतुर्थ 494-153

सब-रजिस्ट्रार गंगापुर 583-215

सब-रजिस्ट्रार पिंडरा 510-275

सब-रजिस्ट्रार रामनगर 147-19

कोरोना काल में रजिस्ट्री में कमी आई थी, लेकिन पिछले साल मार्च में हुए बैनामे से भारी राजस्व मिला थाइस साल के मार्च में ज्यादा की उम्मीद थी, लेकिन रजिस्ट्री की संख्या थोड़ी कम रही

-सुरेश त्रिपाठी, एआईजी, स्टाम्प