वाराणसी (ब्यूरो)गर्मी की मार से फूल कारोबार भी नहीं बच पाया हैफ्लावर्स पर गर्मी की मार इस कदर पड़ रही है कि आम दिनों में पांच टन पहुंचने वाला माल 25 क्विंटल पर जा सिमटा हैमंडी के डिमांड के सापेक्ष फूल उत्पादक किसान पानी और दवाओं के बदौलत महज 15 फीसदी ही माल पहुंचाने में सफल हो पा रहे हैैंइस साल थर्मामीटर मार्च से 40 डिग्री सेल्सियस को क्रॉस कर गयालिहाजा, कलियां खिलने से पहले ही मुरझा गईं और खिले फूल दिन--दिन खत्म हो रहे हैैंऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या नवरात्र तक फूलों की अबाध आपूर्ति होगी या फ्लावर्स की कमी होने पर श्रद्धालुओं को अन्य ऑप्शंस तलाशने होंगे.

दोगुना हुआ गेंदा, 150 के पार गुलाब

बरसते अंगारे वाले सीजन में नवरात्र ने फूलों की डिमांड तो बढ़ा दी है, लेकिन पैदावार दिनों दिन घट रही हैजबरदस्त मांग होने से 25 में बिकने वाला गेंदा माला 50 रुपए में, 100 रुपए सैकड़ा वाला गुड़हल 250 का आंकड़ा पार कर बैठावहीं, सौ रुपए किलो बिकने वाला गुलाब मौसम से रूठकर 150 रुपए पर मनौव्वल करा रहा हैबहरहाल, बनारस की गर्मी रोज अपना ही रिकार्ड ब्रेक कर रही हैऐसे में अभी रामनवमी तक फूलों की आपूर्ति डिमांड के सापेक्ष बनाए रखना किसान व व्यापारियों के लिए चुनौती सरीखा है.

टेम्प्रेचर के फायर में झुलसे फ्लावर

इलेक्शन के बाद से टेम्प्रेचर के फायर ने सिटीजंस के साथ फ्लावर्स को भी झुलसाना शुरू कर दिया हैबनारस की तीन फूल मंडियों में कभी ट्रकों में भर-भरकर टन में फूल पहुंचते थेवहीं, मौसम की नाराजगी की वजह से ई-रिक्शा और टेम्पू से माल पहुंच रहा हैव्यापारियों को डिमांड के अनुरूप किसान माल नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैैं। 22 से 25 डिग्री सेल्सियस में फूलों की खेती के लिए अनुकूल मौसम होता है। 42 से 45 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर मई-जून महीने में पड़ता है.

किसान के साथ व्यापारी भी निराश

फूल व्यापारियों और उत्पादक किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हैइन्हें मलाल इस बात का है कि मौसम ने इस बार समय से पहले दगा दे दिया हैओवरआल, बनारस की तीन फूल मंडियों ने हाल के दिनों में 22 से 25 क्विंटल फूलों की सप्लाई से मंडी व्यापारी भी में रोष दिख रहा हैफूल की उत्पादन के घटने और डिमांड के बढऩे से व्यापारी पूर्वांचल, काठमांडू और बिहार में रेगुलर कस्टमर्स को माल भेजने से हाथ खड़ा कर रहे हैैं

मौसम ने घाटे में धकेला

बनारस में फूलों की खेती प्राचीन समय से होती आ रही हैलोकल फूलों की डिमांड पूर्वांचल, बिहार और नेपाल के काठमांडू तक होती हैजनपद के राजातालाब, बाबतपुर, जयापुर, कैंथी, जाल्हुपुर, कपसेठी, चंदौली, सैय्यदराजा और मानिकपुर सानी में आला किस्म के गेंद के फूलों का उत्पादन किया जाता हैमौसम की मार की वजह से फूल किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है.

अभी तो क्लाइमेक्स बाकी है

नवरात्र के अब कुछ ही दिन शेष बचे हैैंइन दिनों भी फ्लावर्स की जबरदस्त डिमांड होनी है। 17 अप्रैल के बाद से लगन यानी शादी के सीजन शुरू हो जाएंगेइन आयोजनों में गेंदा-गुलाब, कलकत्ता का सुगंधित कुंद, रजनीगंधा, ऑरेंज ग्लेडी, अस्टर समेत कई सजावटी फूलों की खूब मांग रहती हैलिहाजा, जब अभी ही फूल नहीं मिल पा रहे हैैंऐसे में लगन सीजन में क्या स्थिति होगीइसका अंदाजा लगाया नहीं जा सकता है.

आंकड़ों पर एक नजर

फूल मंडी फूलों का बिक्री तब अब

किसान फूलमंडी, मलदहिया (02 टन) 02 क्ंिवटल

नेसर्स फूलमंडी, मलदहिया (02 टन) 02 क्ंिवटल

लोकल फूलमंडी, बांसफाटक (01 टन) 01 क्ंिवटल

यहां से पूर्वांचल को फूलों की आपूर्ति (इनदिनों)- 01 क्ंिवटल

नोट- फ्लावर बिक्री आंकड़े हाल के दिनों के

बिक्री तब अब

गेंदा फूल- 25 रु। 50 रुमाला

गुलाब फूल -100 रुकिलो 150 रुकिलो

गुड़हल- 150 में सौ पीस, 300 रुमें सौ पीस

बेला माला 02 रु., 05 रु.

-मिक्स फ्लावर माला- 50 रुपए, 120 प्रति माला

यह पहली दफा है, जब मिड मई और जून से पहले ही फूल के उत्पादन पर ब्रेक लग गया हैपौधों में पानी और फूलों को टिके रहने के लिए दवा आदि के स्पे के बाद भी फूल की खेती घाटे का सबब बन गई है.

-अच्छेलाल निषाद, किसान

फरवरी में इतना माल हो जाता है कि इन्हें खपाने के लिए व्यापारियों से चिरौरी करनी पड़ती हैलेकिन अब व्यापारियों के दिनभर में 10 बार फोन आ रहे हैैंलेकिन, जब खेतों में फूल ही न के बराबर है तो क्या सप्लाई करेंइस बार मौसन ने धोखा दे दिया है.

-दीपक, युवा किसान

मंडी में फूल खरीदने काफी कस्टमर्स आ रहे हैैंआसपास के जनपदों से भी डिमांड हैडिमांड बढऩे से फूलों की कीमतें बढ़ी हैैं, लेकिन मांग के सापेक्ष माल भी आपूर्ति नहीं होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है.

-भार्गव राय, फूल व्यापारी

नवरात्र में अचानक से फूलों की डिमांड बढ़ गई हैकिसान डिमांड के सापेक्ष माल उपलब्ध कराने में हाथ खड़ा कर दे रहे हैैंजैसे-तैसे व्यापार को चलाया जा रहा है.

-दिनेश यादव, फूल व्यापारी