वाराणसी (ब्यूरो)। शहर के पंडित दीनदयाल अस्पताल में इन दिनों फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी ठंडे में आराम फरमा रहे हैं, जबकि ग्रेड ए में शामिल अस्पताल के डॉक्टर गर्मी में मरीजों का इलाज करते नजर आ रहे हैं। अस्पताल के कई डॉक्टर ऐसे हैं, जिनकी ओपीडी लगभग सौ से भी अधिक है, लेकिन बनारस में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच काम करने को मजबूर हैं। विडंबना यह है कि अस्पताल प्रबंधन को बखूबी इसकी जानकारी है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगे हैं। आए दिन उनका औचक निरीक्षण भी जारी रहता हैै। एक महीने पूर्व वाराणसी के दीनदयाल अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था, जहां पर्याप्त अव्यवस्थाएं देखने को मिली। उस समय डिप्टी सीएम ने अस्पताल में बेहतर व्यवस्था बनाने को लेकर कड़े निर्देश दिए, लेकिन उनके निर्देश को धता बताकर अस्पताल प्रबंधन उसी रास्ते पर चल रहा है, जिस पर वो पहले था।
डॉक्टरों के कमरे में लगा एसी खराब
जानकारी के मुताबिक अस्पताल में डॉक्टरों के लगभग 22 कमरे हैं, जिसमें एक दर्जन डॉक्टरों के एसी खराब हैं। महीनों से खराब पड़े एसी को ठीक कराने के लिए डॉक्टरों की ओर से लिखित व मौखिक तौर पर कई बार कहा जा चुका है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन अब तक समस्याओं के निदान करने में विफल रहा है। आलम यह है कि कई डॉक्टर अपने कमरों के एसी खुद के पैसे से सही करवाते हैं। विडंबना ये है कि इसी अस्पताल में फोर्थ ग्रेड में आने वाले नर्स और इलेक्ट्रिशियन के कमरों में एसी बिल्कुल सही है.
वार्डों में लगे कूलर नहीं करते काम
मरीजों के लिए वार्ड में कूलर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन कई कमरों में कूलर शोपीस बनकर रह गए हैं। पूछने पर बताया गया कि पानी नहीं होने के कारण गर्म हवा आती है जबकि वार्ड ब्वाय को कहने के बाद पानी नहीं भरा जाता है और कूलर का गर्म हवा मरीजों को परेशान करती है। कई वार्डों में कूलर भी नहीं और इस भीषण गर्मी में उन्हें पंखे से ही काम चलाना पड़ता है.
शौचालय की व्यवस्था तक सही नहीं
अस्पताल में पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं बने होने से मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खास तौर पर महिलाओं को जांच के दौरान शौचालय का इस्तेमाल करना होता है, लेकिन उन्हें सामूहिक शौचालय में ही जाना होता है।
अस्पताल की बेहतर व्यवस्था को देखकर ही कायाकल्प अवार्ड दिया जाता है। डीडीयू में व्यवस्थाएं बहुत हद तक सही हैं। कुछ व्यवस्थाएं जो वर्तमान में ठीक नहीं उसमें सुधार लाने की कोशिश की जा रही है। जल्द ही सभी व्यवस्थाएं ठीक कर ली जाएंगी.
डॉ। प्रवीण सोलंकी, मंडलीय पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट