-घाटों पर जमा मिट्टी और गंदगी को सफाई के नाम पर डाला जा रहा है गंगा में

-पानी के तेज धार से हो रही है सफाई, श्रद्धालु गंदगी में ही नहाने के लिए हो रहे मजबूर

VARANASI

Scene-1

अस्सी घाट पर अभी तक मिट्टी जमी हुई है। दो मोटर पम्प के जरिए उसकी सफाई की जा रही है। सुबह-शाम दो मजदूर पानी की तेज धार से मिट्टी और उसके साथ जमा गंदगी को गंगा में बहा रहे हैं। इससे गंगा के किनारे बेहद गंदगी दिख रही है।

Scene-2

बाढ़ का पानी तो बहुत पहले ही उतर गया लेकिन केदार घाट पर मिट्टी का ढूहा लगा हुआ है। उसकी सफाई को लेकर कोई गंभीर नहीं है। मिट्टी को उठाने की बजाय उसे पानी से बहाकर गंगा में डाला जा रहा है। घाट से लेकर गंगा के किनारे तक कीचड़ फैला हुआ है।

Scene-3

राजा घाट पर सुबह देर तक पम्प चलाकर सीढि़यों पर जमा मिट्टी को हटाया जा रहा है। मिट्टी कहीं और न जाकर सीधे गंगा में जा रही है। इसकी वजह से गंदे हुए किनारे पर नहाने के लिए श्रद्धालुओं को मजबूर होना पड़ रहा है।

ये सीन्स यह बताने के लिए काफी हैं कि जिस गंदगी और मिट्टी को गंगा ने बाढ़ के दौरान अपनी गोद से बाहर निकाल दिया था उसे अब घाट सफाई के नाम पर वापस गंगा में ही डाला जा रहा है। हर कोई जानता है कि सफाई का यह तरीका गलत है। इससे नदी को भारी नुकसान होता है। साथ ही किनारे भी असुरक्षित होते हैं। नदी का संतुलन बिगड़ता है। इसके बावजूद सफाई की जिम्मेदारी संभालने वाले अपने काम की खानापूर्ति के लिए ये तरीका अपना रहे हैं।

हर घाट का एक सा हाल

दो-चार घाटों को छोड़ दें तो अन्य सभी घाटों पर बाढ़ के दौरान आयी मिट्टी और गंदगी जमा है। डाला छठ और देवदीपावली पर्व के दौरान घाटों की सफाई तो हुई लेकिन सिर्फ उतनी जिससे त्योहार मनाया जा सके। जबकि आला अधिकारी पूरी तरह से सफाई किये जाने का दावा करते रहे। हालांकि सफाई अभी तक चल रही है। इसके लिए बड़े-बड़े पानी के पम्प लगाए गए हैं। सुबह-शाम पानी के तेज धार से मिट्टी और गंदगी को बहाया जा रहा है। अस्सी घाट से लेकर पंचगंगा घाट तक सफाई चल रही है। बीच में कुछ ऐसे घाट हैं जहां पर वीआईपी मूवमेंट बहुत ज्यादा है। इसलिए उन्हें पहले ही साफ करा दिया गया है।

सिर्फ हो रहा नुकसान

-सफाई के नाम पर मिट्टी और गंदगी को गंगा में डालने से नुकसान हो रहा है

-घाटों और गंगा किनारे कीचड़ फैला हुआ है, हर तरफ गंदगी का आलम है।

-गंगा के किनारे बड़ी मात्रा में मिट्टी जमा हो रही है।

-इससे गंगा किनारे के प्राकृतिक स्वरूप को नुकसान पहुंच रहा है।

-मिट्टी के साथ गंदगी गंगा में जाने से पानी दूषित हो रहा है।

-इसका खामियाजा जलीय जीवों को भुगतना पड़ रहा है।

-मोटर पम्प से निकलने वाले धुएं से हवा में जहर घुल रहा है।