-गंगा की बदहाल है हालत, पानी में है गंदगी का अंबार

-सिकुड़ती जा रही है गंगा, लगातार घट रहा है पानी

VARANASI

गंगा को बचाने की तमाम कवायद लेकिन सारी की सारी नाकाम। हालत यह है कि गंगा की हालत दिनों दिन हो रही है खराब। सिकुड़ती जा रही है गंगा और लगातार घट रहा है पानी। 'चना चबेना गंगजल' की संस्कृति के पोषक इस शहर से गंगा का पानी लगातार दूर होता जा रहा है। घाट भले ही साफ हों लेकिन गंगा के पानी की स्थिति ठीक नहीं है। कुछ घाटों के पानी की स्थिति थोड़ी बहुत ठीक है लेकिन अधिकतरी जगह एक सी ही है।

घाटों से दूर है पानी

गंगा जिसका जल कभी अपवित्र नहीं होता, जिसके 'दरसन-मज्जन-पान से तमाम सांसारिक बाधाएं अपने आप दूर हो जाती थीं वह जल आज प्रक्षालन के योग्य नहीं रह गया है। घाटों को छोड़ चुकी गंगा में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। माला-फूल से लेकर कपड़े, पॉलिथिन, प्लास्टिक के बॉटल पानी में बहते दिख रहे हैं। मानमंदिर घाट के विशाल यादव बताते हैं कि हर बार की अपेक्षा इस बार गंगा के पानी की स्थिति और भी खराब है। पानी घाटों को छोड़ चुका है और उसमें गंदगी हर जगह दिखायी दे रही है। दशहरे पर लाखों की भीड़ गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने की लिए जुटेगी। पर वर्तमान में स्थिति डुबकी लगाने लायक नहीं है। कहीं-कहीं तो गंगा के पानी से बदबू भी आने लगी है।

डुबकी पर है खतरा

गंगा में पानी लगातार कम हुआ है। जानकारों का कहना है कि इस बार की स्थिति पिछली बार से भी खराब है। आम तौर पर हर गंगा दशहरे पर गंगा का पानी तीन चार सीढि़यों तक रहता था लेकिन इस बार गंगा का जलस्तर इनसे नीचे चला गया है। गंगा में बड़े बड़े बोल्डर डाले गये हैं। जिससे गंगा में कहां गहराई और कहां नहीं है लेकिन इसका अंदाजा लगा पाना कठिन साबित हो रहा है। पहले लोग सीढि़यों पर ही स्नान करने जाते थे लेकिन अब वो स्थिति रही नहीं। इसलिए पुण्य की डुबकी खतरे का कारण बन सकती है।

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गंगा दुर्दशा के कुछ तथ्य

- गंगा के दुश्मन नंबर वन में पॉलिथिन का नाम आता है। एक एनजीओ के आंकड़ों में शहर में डेली निकलने वाले 700 टन कूड़े में क्7भ् टन कूड़ा प्लास्टिक और पॉलिथिन बैग्स होता है, जिसका ख्भ् परसेंट भाग किसी न किसी तरह गंगा में पहुंच जाता है।

-क्980-8भ् में गंगा की औसत चौड़ाई क्क्0-क्क्भ् मीटर थी जो अब फ्0 मीटर तक पहुंच गई है। जानकार इसकी वजह बालू खनन पर रोक को मानते हैं।

-शहर के बहुत से कारखानों का केमिकल युक्त पानी गंगा में ही गिरता है। बनारसी साड़ी के कारखाने इनमें प्रमुख हैं। इनसे लाखों लीटर हानिकारक केमिकल युक्त पानी गंगा में जाता है।

-गंगा में डेढ़ सौ से अधिक छोटे- बड़े नालों का गंदा पानी गिरता है। वहीं ख्00 एमएलडी सीवेज सीधे गंगा में जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स भी लगाये गये हैं लेकिन वे सिर्फ क्00 एमएलडी सीवेज को ही ट्रीट कर पाते हैं।

-गंगा की वर्तमान दशा के लिए हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर जलाये जाने वाले शव भी बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। गंगा में हर साल लगभग फ्00 टन राख डाली जाती है। इसमें अधजले शव भी होते हैं।

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कल है गंगा दशहरा

मां गंगा का अवतरण दिवस गंगा दशहरा क्ब् जून मंगलवार को है। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा भगवान भोले शंकर की जटाओं से निकलीं और महाराज भगीरथ के तप को सार्थक करने धरती पर अवतरित हुई। महाराज सगर के पुत्रों को तारने के लिए मां गंगा धरती पर आयीं तो यहीं की हो कर रह गयीं। ज्योतिषविद् पं। विमल जैन बताते हैं कि दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र का संयोग मिल रहा है जो अत्यंत फलदायी है। उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है।