वाराणसी (ब्यूरो)गंगा में आई बाढ़ से महज तीन हफ्ते पहले लाखों नागरिकों के जीवन की गाड़ी बेपटरी हो गई थीइसको पटरी पर लाने की जुगत में जुटे लाखों पब्लिक की कोशिशों को फिर करारा झटका लगा हैरविवार की रात से बनारस में गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ोतरी से तटवर्ती इलाकों में बसे नागरिकों की धुकधुकी बढ़ गई हैइनको आशंका है कि बाढ़ का पानी फिर खेतों, खलिहान, घर, मकान, दुकान, सड़क, स्कूल आदि बाढ़ से घिर और डूब जाएंगेइधर, पर्यटन के लिहाजा से घाटों और आसपास के एरिया में जमे कीचड़ की धुलाई का काम पूरा भी नहीं हुआ था कि पानी भरने से बंद कर दिया गया हैपानी हर घंटे 8 सेंटीमीटर बढ़ रहा है

टूटने लगा संपर्क

गंगा के घाट फिर से बड़ी तेजी से डूब रहे हैंघाटों का आपसी संपर्क टूटने लगा हैवहीं, प्राकृतिक आपदा यानि बाढ़ के आगे नतमस्तक जिला प्रशासन के चलते तटवर्ती इलाके के लाखों नागरिक बाढ़ को लेकर चिंतित हैंकेंद्रीय जल आयोग के अनुसार जलस्तर में अभी वृद्धि के संकेत हैंसोमवार को शाम पांच बजे तक गंगा नदी का जलस्तर 65.6 मीटर पहुंच गया.

डैम-बारिश के चलते बाढ़

बनारस में गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी का बड़ा कारण डैम से पानी का छोड़ा जाना और पहाड़ व मैदानी इलाकों में हो रही बरसात को माना जा रहा हैइस बरसात से चंबल, यमुना और घाघरा समेत गंगा की सहायक नदियां उफान पर हैंजलस्तर बढऩे के कारण इलाहबाद, मिर्जापुर, बनारस, पटना से बलिया तक गंगा के जलस्तर में बढ़ाव शुरू हो गया हैसीढिय़ों के डूबने से घाट किनारे रहने वालों लोगों को आवागमन ने दिक्कत हो रही हैवहीं, मणिकर्णिका एवं हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह की परेशानियां फिर से बढ़ गई हैं.

संकट में गृहस्थी

सोमवार की सुबह गंगा का जलस्तर तेज गति से बढऩे से घाट किनारे लाखों नागरिकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर गई हैबीते 24 घंटों में डेढ़ मीटर तक गंगा जलस्तर बढ़ चुका हैवहीं तटवर्ती इलाकों में पानी भरने की आशंका से गृहस्थी भी संकट में हैफिर गंगा का जलस्तर बढऩे से लोगों की धुकधुकी भी बढ़ चली हैक्योंकि दोबारा अब गंगा के सभी घाटों का आपसी संपर्क टूट चुका है.

सर्वे हुआ नहीं, फिर आ गई बाढ़

नदी की धाराओं से तीन तरफ से घिरे कोनिया क्षेत्र में सावन और भादो महीने में नदी का जलस्तर तेजी से बढऩे लगता है और क्षेत्रीय जनमानस भयभीत हो उठता हैपिछले दिनों आई बाढ़ से 23 गांवों के किसानों की फसल चौपट हो गई हैअब तक अधिकारियों की ओर से सर्वे नहीं कराया गया हैसर्वे न होने से इस बार भी मुआवजा पर संकट दिखाई पड़ रहा है.

आ जाएगी भूखों मरने की नौबत

घाट किनारे गंगा में नावों को चलाकर मजदूरी करने वाले नाविकों पर गंगा की बाढ़ का प्रत्यक्ष असर पड़ता हैबाढ़ को देखते हुए तकरीबन डेढ़ महीने से अधिक समय से गंगा में नाव संचालन पर रोक लगी हुई हैइससे लगभग दो हजार नाविक परिवारों, पूजा-पाठ के समान विक्रेता, घाट किनारे अन्य सामना बेचने वाले दुकानदार समेत हर प्रकार की गतिविधि बाढ़ की वजह से थम जाती हैलिहाजा, लंबे समय से काम-धंधा बंद होने से सैकड़ों परिवारों का जीवन कर्ज और लोगों के सहयोग से चल रहा हैराकेश, दुर्गा मांझी, प्रमोद, नीरज और सरिता देवी का कहना है कि अब और काम धंधा बंद रहा तो हमलोग दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे.