-घर में कीचड़, बालू भरा तो जलीय जंतुओं के मरने से उठ रही दुर्गध

-संक्रामक रोग फैलने की आशंका, भयभीत तटवर्ती इलाके के रहनवार

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मीटर दर्ज किया गया सोमवार शाम छह बजे गंगा का जल स्तर

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सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घटने लगा है गंगा का जलस्तर

गंगा का पानी पांच सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घटने लगा है। बहुत तेजी से घाट की ओर गंगा जा रही हैं, लेकिन पीछे दुश्वारियां छूट गई हैं। कीचड़, बालू और मरे जलीय जीव-जंतुओं से दुर्गध उठ रही है। किनारे की खाली जमीन, गढ्डों व निचले इलाके में पानी भर गया है। हालात ऐसे हैं कि यदि सफाई नहीं शुरू हुई और कीटनाशकों का छिड़काव नहीं किया गया तो संक्रामक रोग फैलने की आशंका बढ़ गई है। सोमवार शाम छह बजे गंगा का जल स्तर 68.95 मीटर दर्ज किया गया। उधर, वरुणा में भी जलस्तर तेजी के साथ घट रहा है, लेकिन उसी रफ्तार से लोगों की परेशानी बढ़ रही है। अधिकतर मकान मिट्टी, बालू और कीचड़ भर गए हैं। जलीय जीव-जंतुओं के मरने से दुर्गध उठ रही है।

डूबे घाट आने लगे नजर

यूपी समेत अन्य प्रदेशों में बारिश न होने से गंगा में जलस्तर घटने लगा। इसके चलते डूबे गंगा के घाट एक-एक कर दिखाई देने लगे हैं। दशाश्वमेध की अधिकतर सीढि़यां दिखाई देने लगी हैं। हालांकि, अब भी आरती स्थल पानी में डूबा है। इसी प्रकार मणिकर्णिका घाट पर भी पानी उतर गया है, लेकिन कीचड़ में होकर शव यात्रा महाश्मशान तक पहुंच रही है। अब भी मंदिर के छत पर ही शवदाह हो रहा है। वरुणा किनारे भी कमोवेश यही हालात हैं।

कीचड़, मिट्टी से परेशानी

पुलकोहना, नक्खीघाट, हुकुलगंज, सरैयां, कोनिया, ईमिलिया घाट आदि में पानी बस्तियों से निकल गया है, लेकिन खाली प्लाट, गढ्डे आदि लबालब हो गए हैं। सामनेघाट इलाके की कालोनियों से भी पानी निकलने लगा है। टिकरी, रमना आदि गांवों में भी पानी से राहत हो रही है, लेकिन कीचड़, मिट्टी आदि से किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ढाब क्षेत्र में भी पानी उतरने लगा है। हालांकि, अब भी टापू बने आधा दर्जन गांवों को राहत नहीं मिली है।