वाराणसी (ब्यूरो)वर्तमान समय में शहर की आबादी करीब 35 लाख हो चुकी हैजीवन का आधार रही गंगा नदी का जीवन ही अब संकट में पड़ गया हैसमय से पहले उभरे रेत के टीले खतरे का अलार्म बजा रहे हैैंवाराणसी में जल के अति दोहन से आराजीलाइन, हरहुआ, पिंडरा, बड़ागांव, चिरईगांव और चोलापुर क्रिटिकल जोन में हैैंएक्सपर्ट का कहना है कि शहर समेत इन ब्लाकों के ग्राउंड वाटर लेवल को चार्ज करने में ही गंगा जल का अधिक पानी खर्च हो रहा हैइससे गंगा का पानी समय से पहले सूख रहा हैसाथ ही गर्मी के चलते शहर के कई इलाकों में पेयजल संकट भी गहरा गया हैशहर को पेयजल आपूर्ति का जिम्मा लेने वाले जलकल विभाग ने सिर्फ 15 लाख नागरिकों को पानी की आपूर्ति की व्यवस्था की हैइसमें भी 12 लाख आबादी की ही प्यास बुझती हैशेष को जरूरत के पेयजल के लिए रोजाना जद्दोजहद करनी पड़ती है

रोजाना 276 एमएलडी की आपूर्ति

शहर के अधिकतर इलाके में प्रतिदिन 276 एमएलडी पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत गंगा ही हैंभदैनी स्थित रॉ-वॉटर पंपिंग स्टेशन से जलकल के भेलूपुर परिसर में बने भूमिगत जलाशय में आपूर्ति की जाती हैपंपिंग स्टेशन पर गंगा का वर्तमान जलस्तर 192 फुट है, जो न्यूनतम चेतावनी बिंदु से बस तीन फुट ही ज्यादा है.

घाटों से बहुत दूर जा चुकी है गंगा

गंगा के जीवन सहेजने के तमाम दावों से हकीकत कुछ और ही स्थिति बयां करती हैगंगा में जलस्तर लगातार गिरने से शहरी इलाके में सामने घाट से लेकर राजघाट तक रेत का मैदान बढ़ता जा रहा हैआलम यह है कि जिस अस्सी घाट पर सुबह--बनारस और शाम को गंगा आरती देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक जुटते हैं, वहां गंगा का प्रवाह घाट से 15 मीटर से ज्यादा दूर हो चुका हैवहीं, दशाश्वमेध और राजेंद्र प्रसाद घाट पर भी गंगा किनारा छोड़ काफी आगे बह रही हैं.

बीमारी फैला सकता है गंगा का पानी

गंगा में घाट किनारे फीकल कोलिफॉर्म और बायलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) तेजी से बढऩे से जल से होने वाली बीमारियों के फैलने के साथ जीवों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया हैफीकल कोलिफॉर्म 500 प्रति 100 मिली लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए जबकि संकटमोचन फाउंडेशन द्वारा संचालित स्वच्छ गंगा रिसर्च लेबोरेट्री के आंकड़ों के मुताबिक कई घाटों पर यह लाख से भी ज्यादा हैलिहाजा, गंगा जल के आचमन और कई स्थानों पर अति दूषित हो चुके पानी में नहाने से बीमारियों के होने का खतरा है.

प्रयास है कि वर्षा के जल का अधिक से अधिक संचय किया जाएलोगों को जल के दुरुपयोग रोकने और अधिक से अधिक संचय करने के लिए इस बार जोड़ा जाएगाजागरूकता के बाद अवसर देकर कार्रवाई भी की जाएगी.

आरके कुशवाहा, एई-एमआइ व प्रभारी भू-गर्भ जल

गंगा और इसके जल की वर्तमान स्थिति चिंताजनक हैतत्काल कदम नहीं उठाए गए तो आगे और भयावह तस्वीर सामने आ सकती हैलिहाजा, अब वह समय आ चुका है, जब सरकार के साथ पब्लिक को भी अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी और गंगा को बचाना होगा

प्रोसुमन सिंह, भूगोलविद्

जलकल 180 एमएलडी पानी ग्राउंड वाटर से निकालता हैशेष जल गंगा से लिया जाता हैगंगा नदी के फ्लो के सापेक्ष हमारे विभाग द्वारा उपयोग किए जाने वाले जल से गंगा को अधिक नुकसान नहीं पहुंचता है.

राघवेंद्र प्रताप सिंह, एमडी, जलकल