VARANASI:
दो मिनट में तैयार होने वाले आइट्म्स बॉडी को नुकसान ही पहुंचाते हैं। कई तरह के केमिकल से ऐसे प्रॉडक्ट तैयार होते हैं। जिनके लगातार सेवन से पेट की बीमारियां गंभीर हो जाती है। मैगी तो बहुत ही नुकसानदेह है, इसके लगातार सेवन से पेट में आंत की दीवार पर चोट पहुंचता है, हालांकि यह पता चलता नहीं है लेकिन इसका एहसास बाद में धीरे-धीरे होता है। इंडिया में फ्रेश आइट्म्स की भरमार है, जिससे थोड़ा टाइम जरूर लगे लेकिन फ्रेश आइट्म्स ही खाएं और अपने बच्चों को भी खिलाएं। बच्चों के जिद के आगे बिल्कुल भी नहीं झुकें। जिससे कि बाद में आपको उनकी हेल्थ को लेकर परेशान होना पड़े और तब तक बहुत देर न हो जाएं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
मैगी के लगातार सेवन से पेट व आंत में प्रॉब्लम होती है। जो आगे चलकर बहुत ही कष्टकारक होता हैं। कुरकुरे, चिप्स इस तरह के जितने भी आइट्म्स होते हैं वह पेट के लिए नुकसानदेह होते हैं। इनमें भी केमिकल की मात्रा अधिक होती हैं। इसलिए इंडियन मेड के फ्रेश आइट्म्स ही खाएं।
प्रो। पीके मिश्रा
आईआईटी, बीएचयू
यह मान लीजिए कि डिब्बाबंद आहारों में मोनोसोडियम ग्लूटामेट होता है। मैगी की तरह ही चाइनीज रेसिपी, प्रोसेस्ड फूड, चिप्स, नमकयुक्त स्नैक्स आदि में यह पाया जाता है। बच्चों के लिए ऐसे फूड बहुत ही नुकसानदायक होते हैं। उनके पेट व आंत को नुकसान पहुंचाते हैं।
डॉ। आरपी गुप्ता
चाइल्ड स्पेशलिस्ट, मंडलीय हॉस्पिटल
बोले स्टूडेंट्स
हॉस्टल में रहना होता है तो सबसे आसान मैगी ही होता है बनाना। इसलिए वहीं बना लेती हूं, लेकिन जब से मैगी को लेकर हो हल्ला मचा है तब से मैगी खाना ही छोड़ दी हूं।
उमा पाठक, हॉस्टलर
बहुत ही इजीवे में मैगी तैयार होता है। सबकी पसंद मैगी ही होती है। लेकिन मैगी को लेकर हुई कई घटनाओं को देखते हुए मैगी से मन हट गया।
सुदीप्तमणि त्रिपाठी, हॉस्टलर
हमें जहां-जहां पता चल रहा है, वहां मैगी की सैम्पलिंग कराई जा रही है। लंका, गोदौलिया, लक्सा आदि एरिया में सैम्पलिंग कराई गई है।
विंध्यवासिनी राय
एडीएम सिटी
पहले तो बच्चे की टिफिन में मैगी ही देती थी। लेकिन जब से न्यूजपेपर्स में मैगी के बारे में पढ़ा है तब से मार्केट से मैगी खरीदना ही बंद कर दिया है।
नीतू, हाउस वाइफ
चितईपुर