- बीएचयू महिला महाविद्यालय में मुंशी प्रेमचंद जयंती पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी

बीएचयू के महिला महाविद्यालय में मुंशी प्रेमचंद जयंती पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी की गई। इसमें जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र में प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि प्रेमचंद ¨हदी साहित्य में तुलसी के बाद सर्वाधिक पढ़े जाने वाले रचनाकार हैं। प्रेमचंद के साहित्य को अनेक दृष्टियों से देखा गया है। 1930 में हंस के प्रथम संपादकीय में उन्होंने लिखा कि मेरे लिए साहित्य सृजन का उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय संग्राम में योगदान देना है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमचंद पर मा‌र्क्सवाद-गांधीवाद के पहले आर्य समाज का जबरदस्त प्रभाव था।

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय ¨हदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो। रजनीश शुक्ल ने मुंशी प्रेमचंद को आधुनिक ¨हदी कथा साहित्य का श्रेष्ठतम रचनाकार बताया। वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो। निर्मला एस। मौर्य ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में अपने आस-पास की यथार्थ परिस्थितियों को स्थान दिया। उनका समग्र रचना संसार प्रतीक-¨बबो शैली से बंधा हुआ है। उन्होंने नारियों, मजदूरों और क्रांतिकारियों को अपने साहित्य में प्रमुख स्थान दिया है।

प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के सम-कुलपति प्रो। सत्यकाम ने कहा कि भारत के दो वैश्विक रचनाकार हैं, एक गुरुदेव रवींद्रनाथ और दूसरे प्रेमचंद। प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि उन्होंने अपने समय में किसानों की जो बात कही, इतने सालों बाद आज भी वही हालात हैं। महिला महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो। इनू मेहता ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपने रचना अभिमान को राजनैतिक, आर्थिक अभिमान से ऊपर रखा। कार्यक्रम संयोजक प्रो। सुमन जैन ने कहा कि हमारा समाज मुंशी प्रेमचंद के साहित्य को पढ़ कर बड़ा हुआ है। उनका साहित्य हमारे वर्तमान एवं भावी पीढि़यों के लिये धरोहर की तरह है।