-होलिका दहन के लिए रात 3.10 बजे का समय था निर्धारित, इसके पहले ही शहर में बरसने लगे रंग

-कुछ ने समय के पहले तो बहुतों ने होलिका दहन के लिए निर्धारित समय का किया इंतजार

VARANASI: एक बार फिर भगवान नारायण ने अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए होलिका को जलाने की माया रची। होलिका को पता था कि वह नहीं बचेगी इसके बावजूद वह अपने भतीजे भक्त प्रहलाद को लेकर चिता पर बैठी। शहर के तकरीबन हर गली मोहल्ले में चौराहों तिराहों पर होलिका सजायी गयी थी। ज्योतिषविदों ने होलिका दहन के लिए मंगलवार की रात फ्.क्0 बजे का समय निर्धारित किया था। कुछ स्थानों पर इसके पहले ही होलिका दहन किया गया तो कुछ ने शास्त्रों और परंपरा का ख्याल रखते हुए विद्वानों द्वारा बताये गये सही समय का इंतजार किया।

होली की रंगीनियों से गुलजार

होलिका दहन के बाद ही होली खेलने की परंपरा है। इस बार देर रात में होलिका दहन होना था पर शहर में होली की रंगत रात में ही दिखायी देने लगी। होली की खास गालियों और गीतों की बहार से शहर कोना-कोना उल्लासित होता दिखा। बुधवार को को लोगों की मस्ती अपने शबाब पर होगी। कॉलोनियों में तो होली की रंगत कुछ फीकी तो खांटी बनारसी मुहल्ले रात से ही होली की रंगीनियों से गुलजार होने लगे।

दूध में उबाल, खोआ भी उछला

त्योहारी खपत का नतीजा रहा कि दूध मंडियों में दूध के रेट्स में जोरदार इजाफा देखने को मिला। दूध म्0 से 80 रुपये प्रति लीटर के भाव बिका। वहीं खोवे ने भी फ्00 रुपये किलो का आंकड़ा छुआ। होली के दिन घरों में कटहरी की डिमांड भी खासी रहती है। फ्0 से ब्0 रुपये प्रति किलो बिकने वाली कटहरी म्0 रुपये प्रति किलो के रेट बिकी।