वाराणसी (ब्यूरो)विश्व स्वास्थ्य दिवस आज सरकारी और निजी अस्पतालों में मनाया जाएगावाकई में स्वास्थ्य को लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट कितना गंभीर है, यह शहर के सरकारी अस्पतालों में जाकर देखा जा सकता हैसुबह के सात बजते ही अस्पतालों में कोई कराहता हुआ पहुंचता है तो कोई हाफते हुएकोई ब्लड जांच के लिए बाहर लंबी लाइन में कतारबद्ध खड़ा रहता है तो कोई एक्सरे के लिए जद्दोजहद करता नजर आता हैअमूमन यह सिलसिला दिनभर अस्पतालों में चलता हैजब तक डाक्टरों की ओपीडी रहती हैइतनी अव्यवस्था के बाद भी आज तक सरकारी अस्पतालों में न तो पैथालजी की संख्या बढ़ी, न ही एक्सरे और न ही डाक्टरों की टीम बढ़ायी गयीबल्कि जो डाक्टर हैं, उन्हें वीवीआईपी डयूटी में लगा दिया जाता हैइसके चलते मरीजों को और फजीहत झेलनी पड़ जाती है.

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल

डाक्टरों की जरूरत 48

कार्यरत डाक्टर 30

जरूरत 18

स्टाफ की जरूरत 130

कार्यरत 70

पंदीनदयाल अस्पताल

डाक्टरों की जरूरत 45

कार्यरत डाक्टर - 23

जरूरत 22

स्टाफ की जरूरत 80

कार्यरत 45

डाक्टरों की संख्या काफी कम

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में प्रतिदिन दो से तीन हजार मरीज इलाज के लिए आते हैंपहले तो डाक्टर को दिखाने के लिए पर्चा कटवाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ता हैइसके बाद काफी मशक्कत के बाद अगर पर्चा कटवा भी लेते हैं तो डाक्टर को दिखाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता हैऐसे में कई मरीजों की तो हफरी छूट जाती है, कई ऐसे रहते है वही बेंच पर ही लेट जाते हैंओपीडी के समय डाक्टरों की संख्या बढ़ा दी जाती तो मरीजों का इलाज जल्द शुरू हो जाता.

एक लैब के भरोसे अस्पताल

पंदीनदयाल उपाध्याय अस्पताल हो या फिर कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल, एक ही लैब होने की वजह से यहां हमेशा मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती हैब्लड निकालने के लिए सुबह आठ बजे जो लाइन लगती है तो डाक्टरों की ओपीडी समाप्त होने के बाद भी लगी रहती हैयही हाल पंदीनदयाल उपाध्याय में भी देखने को मिलता हैइतने बढ़े अस्पतालों में अगर लैब की संख्या एक से बढ़ाकर दो कर दिया जाए तो मरीजों को काफी राहत मिल सकती है

एक्सरे मशीन पर 500 मरीजों का दबाव

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल हो या फिर पंदीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में एक ही डिजिटल एक्सरे मशीन लगायी गयी हैजबकि मरीजों की संख्या को देखते हुए दो मशीन की आवश्यकता हैइसके बाद भी आज तक मशीनें नहीं लगायी गयीकबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में तो डिजिटल एक्सरे के लिए तो लंबी लाइनें लग जाती हैएक्सरे करते-करते लैब टेक्नीशियन भी परेशान हो जाता हैफिर भी मरीजों की संख्या कम नहीं होतीएक दिन में करीब 500 से 600 डिजिटल एक्सरे किया जा रहा है.

डाक्टरों की कमी से इलाज में बाधा

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल हो या फिर पं दीनदयाल उपाध्याय में आज भी डाक्टरों की कमी से मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा हैकबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में 48 डाक्टर होने चाहिएइसकी जगह करीब 30 ही डाक्टर तैनात हैस्टाफ जहां 130 होना चाहिए वहीं 70 स्टाफ से ही सारा काम हो रहा है

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में डाक्टर और स्टाफ की संख्या काफी कम हैइसके लिए कई बार शासन को पत्र लिखा गया है.

डाएसपी सिंह, एसआईसी, कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल

अगर स्टाफ की संख्या बढ़ा दी जाए तो लैब हो या फिर एक्सरे दो पाली चलाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

डाआके सिंह, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, डीडीयू हास्पिटल