वाराणसी (ब्यूरो)फेफड़े, हृदय और गुर्दे की बीमारी के मरीजों के लिए यह अच्छी खबर हैहार्ट संबंधी इक्यूपमेंट्स जैसे स्टेंट, पेसमेकर, वाल्व में इस्तेमाल किए जाने वाले धातु से होने वाली वाली परेशानी से राहत मिलने वाली है, क्योंकि अब इस धातु का तोड़ निकाल लिया गया हैआईआईटी-बीएचयू के धातुकीय अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने निकल मुक्त सर्जिकल ग्रेड स्टेनलेस स्टील धातु रिसर्च में कामयाबी हासिल कर ली हैइनकी ओर से 2020 में एक पेटेंट दायर किया गया था और अब इस इनोवेशन के लिए भारत सरकार की ओर से स्वीकृति प्रदान कर दी गई हैयह धातु मानव शरीर में प्रत्यारोपण में उपयोग किए जाने वाले टाइटेनियम, कोबाल्ट-क्रोमियम और निकल धातुओं वाले स्टेनलेस स्टील की तुलना में अधिक प्रभावी और सुरक्षित भी है.

जंग लगने से निकल भी निकलता है बाहर

धातुकीय अभियांत्रिकी विभाग के सह-आचार्य डॉगिरिजा शंकर महोबिया ने बताया कि निकल तत्व के सामान्य दुष्प्रभाव थकान, सूजन और त्वचा की एलर्जी हैंकुछ परिस्थितियों में फेफड़े, हृदय और गुर्दे की बीमारी होने का भी खतरा हो सकता हैशरीर के अंदर धातु में जंग लगने से विभिन्न तत्वों के साथ निकल भी बाहर निकलने लगता हैइसकी घुलने की क्षमता 20 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तक हो सकती है, जो काफी खतरनाक हैइन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ऐसी सस्ती और प्रभावी धातु का आविष्कार करना जरूरी हो गया था, जिसमें निकल नगण्य हो और इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव न हो.

वर्तमान धातु से डबल है क्षमता

यह धातु मैगनेट से चिपकता नहीं हैइसकी क्षमता वर्तमान में उपयोग में आने वाली धातु से डबल है, जिससे इसमें बने उपकरणों का वजन आधा हो जाएगाशरीर के अनुकूल होने के कारण इसका उपयोग हृदय संबंधी उपकरण जैसे स्टेंट, पेसमेकर, वाल्व आदि बनाने के लिए भी किया जा सकता हैनई धातु में बिल्कुल भी अशुद्धियां नहीं होती हैं, जिसके कारण इसके थकान-रोधी गुण बहुत अच्छे होते हैंमनुष्य के शरीर के अंदर प्रत्यारोपित धातु पर उसके भार के अनुसार विभिन्न अंगों पर तीन से चार गुना अधिक अतिरिक्त भार पड़ता हैएक सामान्य और स्वस्थ मनुष्य प्रतिदिन 7 से 10 किलोमीटर चलता है और हर साल औसतन एक से दो लाख कदम चलता हैप्रत्यारोपित धातु पर अतिरिक्त भार हमेशा के लिए होने और धातु की एंटी फैटिग गुण की उपयोगिता बहुत बढ़ जाती है.

चूहों, खरगोशों पर किया गया परीक्षण

धातुकीय अभियांत्रिकी के सह आचार्य डॉजीएस महोबिया ने बताया कि यह विषय और सामाजिक कल्याण होने के कारण, अनुसंधान कार्य को 2016 में इस्पात मंत्रालय, भारत सरकार से 284 लाख रुपये के अनुदान के साथ वित्तीय सहायता मिली थीआचार्य वकील सिंह ने परियोजना में सलाहकार के रूप में योगदान दियाडॉचन्द्रशेखर कुमार ने कोरोजन फैटिग और एंटी कोरोजन गुणों पर सभी अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार विस्तार से अपना शोध कियाशरीर के अंदर कोशिकाओं और रक्त पर इस धातु के प्रभाव का परीक्षण त्रिवेन्द्रम स्थित प्रयोगशाला में चूहों, खरगोशों और सूअर जैसे विभिन्न जानवरों पर किया गया हैसभी परीक्षणों में नई धातु को शरीर के अनुकूल पाया गयाचिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के प्रोअमित रस्तोगी ने खरगोशों पर नई धातु का विस्तृत परीक्षण किया और पाया कि नई धातु बिल्कुल सुरक्षित है.

भारत सरकार से किया आग्रह

विभाग के प्रमुख आचार्य सुनील मोहन ने कहा कि यह आविष्कार धातुकीय अभियांत्रिकी विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि और सम्मान हैप्रदर्शित किया गया शोध कार्य हेल्थकेयर (उपकरणों और डिजिटल स्वास्थ्य सहित) विषय के तहत देश में विकसित 19 नई प्रौद्योगिकियों में से एक था और 14-15 अक्टूबर 2022 के दौरान आईआईटी दिल्ली में आयोजित आर एंड डी समारोह में प्रस्तुत किया गया थावहीं डॉमहोबिया का कहना है कि हम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि जनता के लिए नई धातु का उपयोग करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए मनुष्यों पर चिकित्सकीय जांच करें.

भारत-जापान के बाद एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार हैभारतीय चिकित्सा उपकरणों का बाजार वर्ष 2025 तक 5.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगाइसलिए यह भारत के स्टील मिल और इम्प्लांट निर्माताओं के लिए एक सुनहरा अवसर है.

डॉजीएस महोबिया, सह आचार्य, धातुकीय अभियांत्रिकी, आईआईटी बीएचयू