वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस स्मार्ट सिटी हो गया। विश्वनाथ मंदिर का नया स्वरूप सामने आने के बाद अब पूरी दुनिया में काशी मॉडल की चर्चा हो रही है। प्राचीन शहर काशी रुद्राक्ष सेंटर के साथ हर दिन आधुनिकता का लबादा ओढ़ रहा है, लेकिन नगर निगम वाराणसी पर इसका कोई असर नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के स्टिंग में एक ऐसा सच सामने आया है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। इसे अंग्रेजों के जमाने में वसूला जाने वाला लगान भी कह सकते हैं और जरायम की भाषा में गुंडा टैक्स भी। लेकिन नगर निगम की भाषा में इसे दस्तूरी कहा जाता है। यह दस्तूरी नगर निगम के सबसे निचले पायदान वाले सफाई कर्मचारियों से वसूली जाती है। सौ या दो सौ नहीं, बल्कि एक हजार रुपये हर माह। निगम के इंस्पेक्टर व सुपरवाइजर ये वसूली करते हैं।
दस्तूरी का सच
नगरीय सीमा क्षेत्र में 84 गांवों को शामिल किया गया है। इन गांवों में झाडू लगाने के लिए नगर निगम ने दस माह पहले आउट सोर्सिंग पर लगभग 900 कर्मचारियों की भर्ती की। इन कर्मचारियों को डेली वेजेज के रूप में प्रतिदिन के हिसाब करीब 385 रुपये दिया जाता है। इन कर्मचारियों से दस्तूरी के रूप में हर माह एक हजार रुपये की वसूली होती है। नहीं देने पर वेतन नहीं रिलीज किया जाता। कुछ कर्मचारियों ने इसका विरोध किया तो उनका वेतन रोक दिया गया। इन कर्मचारियों ने दस्तूरी के रूप में अवैध वसूली के खिलाफ नगर आयुक्त प्रणय सिंह से शिकायत की। जो शिकायती पत्र दिया वह दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के हाथ लगा। पत्र में शिकायत करने वाले सफाई कर्मचारियों के नाम व मोबाइल नंबर लिखे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मोबाइल नंबरों पर संपर्क किया तो यह चौकाने वाला सच सामने आया.
पूरा सच आया सामने
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के स्टिंग में सफाई कर्मचारियों ने नगर निगम के इंस्पेक्टर व सुपरवाइजर का नाम लिया और उन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। हालांकि हम यहां उनके नाम नहीं दे रहे हैं, क्योंकि उनका नाम सामने लाने की जिम्मेदारी हमारी नहीं, बल्कि निगम के अधिकारियों की है। सफाई कर्मचारियों से क्या बात हुई, आइए आप भी जानिए
बातचीत-एक
रिपोर्टर : आपका क्या नाम है।
सफाई कर्मचारी : शिवकुमार
रिपोर्टर : आपने नगर आयुक्त से कोई शिकायत की है।
शिवकुमार : जी.
रिपोर्टर : क्या है पूरा मामला.
शिवकुमार : दस्तूरी के नाम हर महीने एक हजार रुपये लिया जाता है.
रिपोर्टर : कौन लेता है पैसा.
शिवकुमार : सुपरवाइजर.
रिपोर्टर : कब से वसूली हो रही है.
शिवकुमार : पहले महीने से.
रिपोर्टर : विरोध नहीं करते हैं.
शिवकुमार : विरोध किया तो वेतन मिलना बंद हो गया।
रिपोर्टर : और किससे वसूली होती है.
शिवकुमार : सभी से।
बातचीत-दो
रिपोर्टर : आपका क्या नाम है।
सफाई कर्मचारी : वीरेंद्र कुमार
रिपोर्टर : आपसे भी वसूली होती है.
वीरेंद्र कुमार : जी.
रिपोर्टर : कौन पैसे लेता है.
वीरेंद्र कुमार : सुपरवाइजर
रिपोर्टर : विरोध नहीं करते हैं आप.
वीरेंद्र कुमार : कहते हैं कि यह पुराना दस्तूर है.
रिपोर्टर : कब से वसूली हो रही है.
वीरेंद्र कुमार : जब से नौकरी लगी है।
रिपोर्टर : कितना लेते हैं.
वीरेंद्र कुमार : एक हजार रुपये।
बातचीत-तीन
रिपोर्टर : क्या नाम है।
सफाई कर्मचारी : राजकुमार
रिपोर्टर : आपसे दस्तूरी ली जाती है.
राजकुमार : जी.
रिपोर्टर : ड्यूटी कहां पर है।
राजकुमार : सुसवाही के नुआन में.
रिपोर्टर : विरोध नहीं करते हैं आप.
राजकुमार : नहीं।
रिपोर्टर : क्यों।
राजकुमार : मेरे परिवार में पत्नी और दो बच्चों को भी नौकरी मिली है।
रिपोर्टर : चार लोग, यानी चार हजार।
राजकुमार : विरोध करेंगे तो यह नौकरी चली जाएगी और हम लोग भूखे मर जाएंगे.
सालाना 03 करोड़ 60 लाख
सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सोनचंद्र बाल्मीकि के अनुसार नगर निगम में तीन हजार सफाई कर्मचारी हैं। इसमें अस्थाई, संविदा और आउट सोर्सिंग के कर्मचारी शामिल हैं। यदि तीन हजार कर्मचारियों से दस्तूरी के रूप में एक-एक हजार वसूली होती है तो आंकड़ा तीस लाख पर पहुंचता है। यानी हर महीने तीस लाख और सलाना तीन करोड़ साठ लाख की वसूली होती है।
वेतन बंद होने पर गया गांव
दस्तूरी का विरोध करने वाले शिवकुमार को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। उसने आरोप लगाया है कि नौकरी पर रखते समय भी हर कर्मचारी से 10-10 हजार रुपए घूस लिया गया था। यही नहीं प्रत्येक माह एक हजार रुपए दस्तूरी की मांग भी होती है। विरोध पर उसका भुगतान रोक दिया गया। आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते वह मकान का किराया नहीं दे पा रहा था। इस बात की शिकायत नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से की, मगर कोई हल नहीं निकला। उसे शक हुआ कि दस्तूरी में वरिष्ठ अधिकारी भी संलिप्त हैं। इसलिए वह परेशान होकर किराए का मकान छोड़कर अपने गांव चंदौली जिले के सोनौली धानापुर लौट गया.
यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसकी दूसरे विभाग से जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट आने पर इसमें जिसकी भी संलिप्तता मिलेगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम में भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा.
-प्रणय सिंह, नगर आयुक्त