एक चौकी पर मिले बाप-बेटे के शव, शरीर में एक भी चोट के निशान नहीं- फ्लैग

-सारनाथ में पिता-पुत्र का शव मिला, बीमारी है या हत्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा राज

-दुर्गंध पर पड़ोसियों ने पुलिस को दी सूचना

वाराणसी में बाप-बेटे के एक ही चौकी पर सड़े शव मिले। पुलिस का अनुमान है कि मौत 5-6 दिन पहले हुई है और दोनों के शरीर पर कोई भी चोट के निशान नहीं हैं। पुलिस को अब मौत के दिन और कारण की जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मिलेगी। लेकिन शवों को देखकर मौत की वजह की जांच- पड़ताल में एक बिंदु भूख भी जुड़ेगी। इस एंगल पर बस्ती के लोग भी अपनी सहमति जता रहे हैं। पुलिस के अनुसार दोनों बाप-बेटे एक साथ स्थानीय मंदिर में फूल माला बेचकर अपनी रोटी रोजी चलाते थे। लॉकडाउन में मंदिर बंद हुआ, तो दोनों भीख मांगकर अपनी भूख मिटा रहे थे। लॉकडाउन की मार भीख पर भी पड़ी। स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों को पिछले कई दिनों से नहीं देखा गया। घर में रोज कमाना और रोज खाना था। ऐसे में मौत की पड़ताल में भूख के नजरिए को जोड़ते हुए भी देखने की जरूरत है।

बुधवार की सुबह वाराणसी के सारनाथ थाने पर दो लोगों की मौत की सूचना मिली। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। यहां एक प्लॉट में बनी झोपड़ी में पिता-पुत्र के शव बरामद किए। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

लॉकडाउन में छिन गई थी रोटी-

सारनाथ थाना क्षेत्र के पहडि़या स्थित श्रीनगर कॉलोनी स्थित हीरालाल मौर्या की जमीन पर करीब 30 वर्षो से बिहार निवासी पिता-पुत्र झोपड़ी बनाकर रहते थे। दोनों के बारे में स्थानीय लोगों को कोई खास जानकारी नहीं है। कुछ वर्षो पहले तक दोनों क्षेत्र के ही एक डीह बाबा मंदिर की देखरेख करते थे और वहां माला, पूजा का सामान बेचकर अपना भरण पोषण किया करते थे। इधर कोरोना के चलते मंदिर बंद हो गया तो दोनों आसपास से भीख मांगकर गुजर-बसर करने लगे।

तखत पर दोनों का पड़ा था शव-

दोनों को कुछ दिन से किसी ने बाहर नहीं देखा। उनकी झोपड़ी से अजीब सी दुर्गंध आई तो बुधवार की सुबह पास के ही अंकित वर्मा ने अपनी बहन को भेजा। वह जैसे ही पहुंची तो जोर से चिल्लाने लगी। उसकी आवाज सुनकर अंकित और आसपास के लोग दौड़कर पहुंचे तो देखा कि एक ही चौकी पर दोनों के शव पड़े हुए हैं।

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नीचे रेंग रहे थे कीड़े-

पुलिस को चौकी के नीचे कीड़े रेंगते मिले। शव उठाते वक्त दोनों की शरीर की खाल छूट रही थी।

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आधार कार्ड से हुई दोनों की पहचान-

पुलिस को झोपड़ी में दो आधारर कार्ड मिले। दोनों की आधार कार्ड से ही पहचान की गई। दोनों की पहचान बिहार के भोजपुर जिले के सेमरिया गांव निवासी जितन ओझा (49) और पिता की पहचान बलेश्वर ओझा (90) के रूप में हुई।

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पुलिस ने परिजनों को दी सूचना-

सारनाथ थाने के प्रभारी निरीक्षक भूपेश राय ने बताया कि दोनों की मौत की वजह अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि बलेश्वर पाइल्स और जितन टीबी रोग से ग्रसित था। आधार कार्ड में दर्ज पते की मदद से बिहार के भोजपुर जिले की पुलिस से संपर्क कर परिजनों से बातकर मामले की जानकारी दे दी गई है।

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किसी को भनक तक नहीं-

पुलिस का मानना है कि करीब पांच से छह दिन पूर्व ही दोनों की मौत हुई है। इस बात की आसपास किसी को कोई भनक तक नहीं लगी। दोनों की मौत एक साथ हुई यह कैसे संभव है? बहरहाल पुलिस ने दोनों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और देर शाम तक पोस्टमार्टम भी हो गया है। अब पुलिस को रिपोर्ट का इंतजार है। उसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस की जांच आगे बढ़गी।

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जितन के है दो बेटे

पुलिस के अनुसार जितन ओझा के दो बेटे हैं, जिनका नाम राम और लक्षमण है। राम बनारस में ही रहकर एंबुलेंस चलाता है और लक्षमण गाजियाबाद में रहता है। पुलिस का कहना है कि दोनों अपनी पत्‍‌नी के साथ अलग-अलग रहते हैं और उनका जितन और बलेश्वर से कोई वास्ता नहीं है।

कोट-

सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर आसपास के लोगों से जानकारियां एकत्र की गई। झोपड़ी से आधार कार्ड के आधार पर दोनों की पहचान की गई। इस मामले की जानकारी उनके परिजनों को दे दी गई है। जांच के दौरान पता चला कि दोनों करीब 30 वर्षो से यहीं रहकर अपना जीवन यापन करते थे। मौत का कारण पोस्मार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी तरह से स्पष्ट हो सकेगा।

भूपेश राय

प्रभारी निरीक्षक, सारनाथ