-बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में जांच लैब का मामला

-मनमानी कंपनी को काम सौंपने का आरोप

VARANASI

बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में जांच लैब खोलने के नाम पर हुए गड़बड़झाले के खेल का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। टेंडर की शर्तो में करोड़ों रुपये हेर-फेर करने के आरोप मामले में कड़ाई से जांच बाद गुरुवार को ट्रामा सेंटर के ओएसडी इस्तीफा देने पहुंच गए। हालांकि कुलपति ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। वैसे भी यह मामला केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के अलावा हाईकोर्ट की भी नजर में है। अधिकारियों पर टेंडर की शर्तो को दरकिनार कर मनमाफिक कंपनी को ठेका देने का आरोप है।

सन् ख्0क्ब् में जारी होना था टेंडर

सन् ख्0क्ब् में ही ट्रॉमा सेंटर में जांच लैब खोलने के लिए टेंडर तैयार किया गया, ताकि यहां पर आने वाले मरीजों को जांच के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़े। आरोप है कि इस टेंडर को रद कर दूसरा टेंडर जारी कर दिया गया। इसमें कंपनियों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने किसी खास को लाभ पहुंचाने के लिए दूसरे टेंडर में शर्तो को बहुत ही दोयम दर्जे का कर दिया। इसे लेकर कंपनियां सीवीसी और हाईकोर्ट में चली गई। यहां मामला काफी लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता कि इतने बड़े आरोप के बावजूद आरोपी अधिकारी पद पर बने रहे और प्रशासन ने कोई कड़ा कदम नहीं उठाया। हालांकि बाद में मामले की जानकारी मिलते ही वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने एक केंद्रीय जांच समिति गठित की। उक्त जांच समिति ने तीन दिन तक बीएचयू में रहकर दर्जनों फाइलें व दस्तावेज को खंगाला। संबंधित अधिकारियों से भी पूछताछ की।

गिर सकती है गाज

सोर्सेज के मुताबिक गुरुवार को ट्रामा सेंटर के ओएसडी प्रो। आनंद कुमार इस्तीफा लेकर कुलपति के पास पहुंच गए। सूत्र बताते हैं कि कुलपति ने ओएसडी को लौटा दिया। बताया तो यह भी जा रहा है कि इस मामले में दो अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।