वाराणसी (ब्यूरो): बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के आंगन में सोमवार को जय सियाराम गूंजा'मानस द्वादश ज्योतिर्लिंग' कथा संकल्प पर निकले मोरारी बापू के स्वरों में श्रोताओं ने स्वर मिलाया और इसे हर-हर महादेव के उद्घोष से एकाकार भी करायाकेदारनाथ के बाद दूसरे पड़ाव पर काशी विश्वनाथ पहुंचे बापू ने जय श्रीराम को पंचाक्षर तो जयसियाराम को षडाक्षर बतायाअपने साथ आए स्पेशल ट्रेन से आए 1008 श्रद्धालुओं समेत स्थानीय लोगों से कीर्तन भी कराया.

इस कथा का कोई और अर्थ न निकालें

काशी विश्वनाथ धाम में मानस द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा में मोरारी बापू ने काशी के बदलते स्वरूप की प्रशंसा कीइसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दियाकहा, इस दिव्य-भव्य स्वरूप को देखने के लिए साधु-संतों की आंखें तरस रही थींसबके प्रेम व सहयोग से विश्वनाथ का मैदान खोल दिया गया हैयूं तो सारा जहान ही भगवान महादेव का आंगन है, लेकिन हम ही उसे संकीर्ण कर देते हैंउन्होंने 22 जुलाई से शुरू होकर सात अगस्त तक 12000 किलोमीटर की रेल यात्रा और द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा के बारे में हो रहीं चर्चाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं, अगले साल कुछ विशेष होने वाला है, इसलिए ये कथा यात्रा की जा रही हैबापू ने स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका किसी से कोई लेना-देना नहींयह विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक कथा यात्रा है

काशी आना ही पड़ता है

मोरारी बापू ने कहा, गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में काशी को ज्ञान और मुक्ति की भूमि बताया हैकाशी का गुणगान किया हैकहा है तुम्हारे पास कुछ अभाव है तो इधर-उधर भटको मत, सीधे काशी आओ जहां गिरजापति वास करते हैंबापू ने कहा, कोई आस्तिक हो या नास्तिक, या तो बीच में ही क्यों न हो, उसे काशी आना ही पड़ाऔर तो और, चाहे तोडऩे की इच्छा लेकर आए मगर विधर्मियों को भी यहां आना पड़ाकाशी का उजाला उन्हें चुभ रहा थाउस उजाले को खत्म करने की कोशिश में वो आए लेकिन समाप्त नहीं कर पाए.

सब कुछ छोड़ देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए

बापू ने कहा कि हर व्यक्ति को समय आने पर सब कुछ छोड़ देने के लिए भी तैयार रहना चाहिएसमय आने पर जगह खाली करना सीखना चाहिएव्यक्ति को सोचना चाहिए कि उसके बिना भी सूरज उग रहा है, चांद निकल रहा है और गंगा बह रही हैइसलिए जबरदस्ती अपनी भूमिका साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं हैकिसी की कीर्ति बढ़ती है तो स्वभाविक रूप से उसका विरोध भी होने लगता हैकोई व्यक्ति जीवन में ऊंचा उठता है तो उससे ईर्ष्या करने वाले भी खुद ब खुद पैदा हो जाते हैंइसलिए अच्छे लोगों को इन बातों के लिए भी तैयार रहना चाहिए कि कभी न कभी कोई न कोई अकारण ही उनका विरोध जरूर करेगा.