-डीएलडब्ल्यू में कार्यरत दिव्यांग महिला चौदह साल से कर रही जरूरतमंदों की मदद

VARANASI

करीब क्ब् साल पहले सर्दी की एक रात रोड किनारे ठण्ड से कांपती एक महिला अपने बेटे को सीने से लगाकर शूल सी चुभती सर्द हवाओं से बचाने की कोशिश कर रही थी। उस वक्त अपनी पढ़ाई में मशगूल रहने वाली दिव्यांग सुनीता तिवारी की नजर इन पर पड़ी। इस दृश्य ने उनके दिल को झंकझोर दिया। उनका खुद का शरीर साथ नहीं दे रहा था लेकिन तुरंत कम्बल लेकर महिला के पास पहुंचीं और सर्दी से बचाने का उपाय किया। इसके साथ ही हर जरूरतमंद की मदद का संकल्प लिया। वह दिन और आज का दिन सुनीता के जीवन में बहुत बदलाव हुआ लेकिन उनका संकल्प प्रभावित नहीं हुआ।

सैकड़ों की कर चुकी हैं मदद

जरूरतमंदों की मदद का संकल्प लेने वाली सुनीता बचपन में ही पोलियों की शिकार हुई थीं। उनकी उम्र अब फ्8 वर्ष है। बीएचयू से पीएचडी करने के बाद डीएलडब्ल्यू में क्लर्क के तौर पर नौकरी कर रही हैं। उनकी शादी हो चुकी है और परिवार के साथ डीएलडब्ल्यू में ही रहती हैं। अपने साहस के बल पर अपना संकल्प पूरा करने के लिए हर जरूरतमंद की मदद के लिए तत्पर रहती हैं। ठंड में कोई असहाय न ठिठुरे इसके लिए अपने आस-पड़ोस व मित्रों से गर्म कपड़े जमाकर बांटा करती हैं। जरूरतमंद लड़कियों को नि:शुल्क सिलाई, कढ़ाई व मेंहदी व ब्यूटीशियन का कोर्स सिखाती हैं ताकि वह सभी आत्मनिर्भर बन सके। पिछले क्ब् सालों में सुनीता सैकड़ों जरूरतमंदों की मदद कर चुकी हैं और हजारों की मदद करने चाहत रखती हैं। अपने इस विचार को वह अपनी बेटी तक भी पहुंचा रही हैं। तन से दिव्यांग लेकिन मन से दृढ़ डॉ। सुनीता ने खुद को कभी कमजोर नहीं माना। उनका निस्वार्थ सेवा भाव दूसरों के लिए प्रेरणा श्रोत बन गया है। परिवार भी संकल्प को पूरा करने में सहयोग करता है।