वाराणसी (ब्यूरो)अब काशी में आने वाले टूरिस्ट्स भाषा की समस्या से परेशान नहीं होंगेवे जिस भाषा में बात करेंगे, यहां के चुनिंदा रिक्शा, आटो व टैक्सी चालक भी उनसे उसी भाषा में बात करेंगेइसकी तैयारी टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कर ली हैइसके लिए चालकों को चिन्हित कर लिया गया हैइन सभी को न सिर्फ भाषा बोलनी सिखाई जाएगी बल्कि बॉडी लैंग्वेज की भी जानकारी दी जाएगीताकि वे किसी भी टूरिस्ट के सामने बोलने में हिचकिचाएं नहीं.

बड़ी समस्या है भाषा

काशी में टूरिस्टों की संख्या ओवरफ्लो होने के बाद सबसे बड़ी समस्या लैग्वेज की आ रही हैशहर में सबसे अधिक गैदरिंग डोमेस्टिक टूरिस्ट्स की आती हैशहर में आने के बाद इनका सबसे पहले सामना रिक्शा, आटो और टैक्सी चालकों से होता हैटूरिस्ट जिस लैंग्वेज में बोलते हैं वह यहां के ड्राइवर समझ नहीं समझ पातेटूरिज्म डिपार्टमेंट ने इसके लिए करीब दो सौ चालकों का चुना है.

गाइड बनाने की तैयारी

टूरिज्म डिपार्टमेंट के अफसरों की मानेंं तो श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर बनने के बाद सिटी में साउथ के टूरिस्टों की संख्या में सबसे अधिक इजाफा हुआ हैप्रतिदिन लाखों की संख्या में तमिलनाडु, मद्रास, बंगलूरु, आंध्रप्रदेश समेत कई शहरों से टूरिस्ट्स आ रहे हैंयहां उन्हें भाषा की समस्या पेश आती हैउसे दूर करने के लिए डिपार्टमेंट ने शहर के 200 चालकों को भाषा सिखाकर गाइड बनाने की तैयारी की है.

उठाते हैं फायदा

साउथ के टूरिस्टों की भाषा समझ में न आने पर आटो चालक इसका फायदा भी उठाते हैंजैसे ही टूरिस्ट उनके आटो में सवार होता है वे पसंदीदा लॉज, होटल में लेकर जाते हंैइससे उनका अच्छा खासा कमीशन भी बनता हैइसे ध्यान में रखते हुए चालकों को बिहैवियर और प्रेजेंटेशन की जानकारी भी दी जाएगी.

ड्रेसकोड भी जरूरी

आटो चालकों के लिए ड्रेसकोड भी अनिवार्य किया जाएगाताकि पता चल सके कि वे गाइड हैंक्षेत्रीय भाषा सिखाने के लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कई कालेज से टाइअप किया हैइनमें बीएचयू, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ शामिल हैंइनके यहां क्षेत्रीय लैंग्वेज सीखने के लिए आटो चालकों को भेजा जाएगालैंग्वेज सीखने के बाद उन्हें टूरिस्ट््स के साथ कैसा व्यवहार करना है इसकी जानकारी दी जाएगी

शुरुआत में सिटी के आटो, रिक्शा और टैक्सी चालकों को बिहैवियर, प्रेजेंटेशन के बारे में बताया जाएगाइसके बाद उनके लिए ड्रेसकोड तय किया जाएगा.

आरके रावत, पयर्टन अधिकारी