-अप्रैल 2015 में कैंट थाने में दर्ज कराई गई थी एफआईआर

-87 पत्रावलियां थी लापता, मिली 86

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जिला पंचायत ऑफिस से 3.75 करोड़ भुगतान के घपले-घोटाले की साल भर पहले से गायब 87 पत्रावलियों की कहानी सोमवार को एक बार फिर उजागर हो गई। पुराने रिकॉर्ड रूम से बरामद इन पत्रावलियों को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर जब गिनती की तो 86 पत्रावली मिली। मतलब एक पत्रावली अब तक गायब है। राज्यवित्त व तेरहवां वित्त आयोग से करोड़ों लागत की सड़कों के निर्माण भुगतान की कुल 87 पत्रावलियां गायब होने के मामले में तत्कालीन एएमए केएन खरवार की ओर से आठ अप्रैल 2015 को कैंट थाने जिला पंचायत अभियंता और ठेकेदार संग पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

अचानक मिल गई पत्रावली

जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे नाजिर के मोबाइल पर पुराने रिकॉर्ड रूम में संबंधित गायब पत्रावलियां रखी होने की सूचना मिली। इस पर तत्काल कैंट पुलिस को सूचना दी गई। कैंट पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि धूल से भरे रिकॉर्ड के बीच में साफ-सुथरी हालत में पत्रावलियां रखी हैं। जांच के बाद ही इसका रहस्य खुलेगा। जिला पंचायत अध्यक्ष ई। अपराजिता सोनकर को भी इस तथ्य से अवगत करा दिया गया है। उक्त मामले में तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष सुजीत सिंह के निर्देश पर आठ अप्रैल 2015 को तत्कालीन एएमए केएन खरवार ने कैंट थाने में तत्कालीन अभियंता अरविंद कुमार राय, ठेकेदार राकेश राय, लेखाकार वेद प्रकाश ओझा, निर्माण लिपिक चंद्रबली सिंह, वित्त अधिकारी के लिपिक महेंद्र पाण्डेय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।