-कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में लंग इंफेक्शन के केस आ रहे हैं सामने

-डॉक्टर्स ने किया एलर्ट, कोरोना से जंग जीतने वालों को भी रखना होगा अपना ज्यादा ध्यान

कोरोना वायरस ने बनारस में ग्यारह हजार से ज्यादा लोगों को शिकार बना बना चुका है। इनमें से 10 हजार वायरस को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं। लेकिन चिंता की बात है कि इनमें ऐसे कई लोग स्वस्थ्य होने के बाद भी अस्वस्थ हो गए हैं। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो जो लोग कोरोना से ठीक हो गए हैं। उन्हें भी इस बीमारी से जुड़ी दूसरी समस्याओं से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। कइयों में लंग्स इंफेक्शन की शिकायत सामने आयी। ऐसे लोग अब अपनी समस्याओं को लेकर एक बार फिर अस्पताल पहुंच रहे हें। इसमें ज्यादातर वे लोग है शामिल है जो पहले सांस की समस्या से जूझ रहे थे।

कोरोना से ठीक 5 प्रतिशत मरीज दोबारा

चिकित्सकों की मानें तो कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद लगभग पांच प्रतिशत मरीज किसी न किसी समस्या को लेकर वापस अस्पताल का रुख कर रहे हैं। कोरोना से ठीक हुए मरीज सबसे ज्यादा सांस लेने की तकलीफ से परेशान हैं। कोरोना वायरस उनके लंग्स पर इस कदर असर कर चुका है कि अब तक वो पहले वाली जिंदगी पर नहीं लौट पा रहे हैं।

फेफड़े हो रहे कमजोर

कोरोना से ठीक हुए ज्यादातर लोगों के फेफड़ों में ऑक्सीजन का फ्लो अब स्वस्थ लोगों की तरह नहीं हो पा रहा है। डॉक्टर्स के अनुसार कोरोना वायरस से उनके फेफड़े इस तरह कमजोर हो गए हैं कि उन्हें इस समस्या से काफी लम्बे समय तक गुजरना पड़ सकता है। इससे मरीजों को सांस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहीं फेफड़ों के सिकुड़ने की समस्या भी सामने आती है। इसके चलते लोगों के फेफड़े एक्सरे में काले नजर आते हैं। लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के फेफड़े सफेद हो जाते हैं। इसका पता एक्सरे या सीटी स्कैन से चलता है।

दिल-दिमाग पर हावी कोरोना

कोरोना वायरस लंग्स पर असर करने के साथ ही दिल और दिमाग पर भी हमेशा के लिए छाप छोड़ रहा है। हृदय रोग विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना संक्रमण में खून के थक्के जमने लगते हैं। जिससे ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिरने लगता है। हार्ट को शरीर में खून की सप्लाई करने में अधिक पंपिंग करनी पड़ती है। ऊपर से वायरस का संक्रमण हार्ट की मांसपेशियों में सूजन बढ़ा देता है। खून के थक्के बनने से मांसपेशियां कमजोरी होने लगती हैं। इससे हाई अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इन मरीजों की एंजियोग्राफी में हार्ट की धमनियां सामान्य होती हैं, लेकिन लक्षण हार्ट अटैक के होते हैं। इतना कुछ बीमारी के दौरान सहने के बाद शरीर वापस पुराने स्थिति में पहुंचने में काफी लम्बा समय लग सकता हैं ।

जितना हो सके बचा ले

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में ही जो केसेज सामने आ रहे थे उस दौरान संक्रमण से ठीक होने के बाद जिस तरह की समस्याएं लोगों को हो रही थीं, उनके आधार पर हेल्थ एक्सप‌र्ट्स ने महीनों पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि जितना हो सके इस संक्रमण से खुद को बचा लें। क्योंकि जितना खतरनाक यह संक्रमण खुद है, ठीक होने के बाद भी शरीर के लिए उतने ही खतरे खड़े कर देता है।

लंग टिश्यू हो जाते हैं डैमेज

ऐसे पेशेंट्स जो कुछ सप्ताह पहले ही कोविड से ठीक हुए हैं, उनमें सबसे अधिक फाइब्रॉयसिस जैसी समस्या देखने को मिल रही है। इसमें लंग टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। यानी फेफड़ों के ऊतक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह स्थिति हर मरीज के साथ अलग-अलग हो सकती है। खासतौर पर जिन मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जाता है और जिन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही होती है, शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बहुत ही कम होता है और उन्हें तुरंत हाई ऑक्सीजन सप्लाई की जरूरत होती है, उन लोगों को अक्सर फाइब्रॉयसिस की समस्या हो जाती है।

कोरोना से ठीक हुए ज्यादातर लोगों के फेफड़ों में ऑक्सीजन का फ्लो अब स्वस्थ लोगों की तरह नहीं हो पा रहा है। उनके फेफड़े इस तरह कमजोर हो गए हैं कि उन्हें इस समस्या से काफी लम्बे समय तक गुजरना पड़ सकता है। इसमें लंग टिश्यू डैमेज हो जाते हैं। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है।

डॉ। एसके अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट, पूर्व एचओडी, चेस्ट एंड टीबी डिपार्टमेंट बीएचयू

कोरोना से ठीक हुए मरीजों को हार्ट से संबंधित परेशानियां भी आ रही है। इस तरह के मरीजों में मायोकाइडाíटस (हार्ट के टिश्यूज पर सूजन) जैसी समस्या देखने को मिल रही है। कोरोना संक्रमण में खून के थक्के जमने लगते हैं। जिससे ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिरने लगता है।

डॉ। धर्मेन्द्र, कार्डियोलॉजिस्ट, बीएचयू

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