-संस्कृत यूनिवर्सिटी में संसाधनों की कमी के चलते चार साल से एमएड का सेशन चल रहा शून्य

-पावर ट्रांसमिशन को दो एकड़ भूमि देने का प्रस्ताव कार्य परिषद ने किया खारिज

-कैंपस स्थित आवासों में अब लगेंगे इलेक्ट्रिक मीटर

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के एमएड का सेशन पिछले चार साल से शून्य चल रहा है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षकों की जल्द से जल्द नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा शिक्षा संकाय के लिए नया भवन भी बनवाने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा शास्त्र, गेस्ट हाउस व मल्टीपरपज भवन का प्रस्ताव यथाशीघ्र शासन को भेजने का निर्णय लिया गया। परिसर स्थित योग साधना केंद्र के संवाद कक्ष में कुलपति प्रो। हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कार्य परिषद की मीटिंग में ये निर्णय लिए गए। बैठक में तीन नए भवन के प्रस्ताव को देखते हुए कार्य परिषद ने उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड को दो एकड़ भूमि देने का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। वहीं कार्य परिषद ने परिसर में रहने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के आवास में अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रिक मीटर लगाने की स्वीकृति प्रदान कर दी। मीटिंग में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो। सीमा सिंह, रजिस्ट्रार डॉ। ओम प्रकाश सहित अन्य सदस्य शामिल थे।

छह साल पहले कार्य परिषद ने दी थी स्वीकृति

एनसीटीई के मानक के अनुरूप शिक्षा संकाय का नया भवन, गेस्ट हाउस व बहुमंजिला भवन बनाने के लिए प्रो। पीएन सिंह वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय की कार्य परिषद को प्रस्ताव दिया था। जीटी रोड व क्रीड़ा मैदान के बीच निष्प्रयोज्य भूमि पर शिक्षा संकाय का नया भवन बनाने के प्रस्ताव को वर्ष 2015 कार्यपरिषद स्वीकृति दे चुकी है। इस प्रकार दोबारा कार्यपरिषद से हरी झंडी मिली है।

जारी नहीं की गई अधिकृत सूचना

विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार कार्यपरिषद की बैठक की जानकारी मीडिया को नहीं उपलब्ध कराई गई। विश्वविद्यालय के पीआरओ शशींद्र मिश्र ने भी इस बाबत कुछ बताने से इंकार किया, जबकि बैठक में उन्हें भी बुलाया गया था।

विद्यापरिषद की संस्तुति को भी हरी झंडी

विद्यापरिषद की संस्तुतियों को भी कार्यपरिषद की बैठक में हरी झंडी मिल गई। इसमें मुख्य रूप से शास्त्री (स्नातक) में दाखिले के लिए संस्कृत में न्यूनतम 45 फीसद अंक की बाध्यता समाप्त करने, स्ववित्तपोषित एमलिब, गृह विज्ञान में पीजी, योग में पीजी डिप्लोमा, तथा त्रैमासिक ज्योतिष डिप्लोमा कोर्स शुरू करने, नई शिक्षा नीति के अनुरूप तीन वर्षीय व चार वर्षीय शास्त्री तथा एक वर्षीय आचार्य, व्यक्तिगत परीक्षा की सुविधा जारी रखने, कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव शामिल है। वहीं विद्यापरिषद के निर्णय पर कार्य परिषद ने भी संबद्ध कालेजों को बीवाक व डीएलएड कोर्स शुरू करने की मंजूरी न देने का निर्णय लिया गया है।