वाराणसी (ब्यूरो)। Mahashivaratri 2023 : पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों से लोकार्पण के बाद पूरी दुनिया श्री काशी विश्वनाथ धाम की महिमा से रूबरू हुई। यही वजह है कि पिछले साल धाम में रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे, लेकिन काशी में विश्वनाथ धाम के अलावा कुछ ऐसे शिवलिंग हैं, जिनकी कहानी दो हजार साल से भी अधिक पुरानी है। तीन तो ऐसे चमत्कारी शिवलिंग है, जो हर दिन तिल-जौ बराबर बढ़ते जा रहे हैं। इनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। महाशिवरात्रि पर हम आपको ऐसे ही चमत्कारी शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती है।

प्रतिदिन एक तिल बराबर बढ़ते हैं तिलभांडेश्वर महादेव
पुराणों में हर दिन एक तिल बराबर बड़े हो रहे शिवलिंग का जिक्र है। यह शिवलिंग काशी में तिलभांडेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।बताया जाता है कि यह मंदिर दो हजार साल पुराना है। इसके पीछे की एक कथा भी है। दो हजार वर्ष पूर्व दक्षिण भारत से शृंग ऋषि के पिता विभांडक ऋषि केदारेश्वर दर्शन के बाद आदि विश्वेश्वर मंदिर, जिसे आज बाबा विश्वनाथ के नाम से जाना जाता है, जाने के लिए आगे बढ़े। राह में उनकी दृष्टि जैसे ही इस शिलारूपी शिवलिंग पर पड़ी वह ठहर गए। शिवलिंग से एक प्रकाश निकला और आकाशवाणी हुई।।।यह महाशिवलिंग कलियुग में भी तिल-तिल प्रतिदिन बढ़ता रहेगा। कलियुग में कोई भी प्राणी यहां दर्शन और शिवलिंग का स्पर्श कर लेगा तो वह मोक्ष का अधिकारी होगा। मंदिर के महंत स्वामी बताते हैं कि प्रयाग संगम और दशाश्वमेध में हजार बार स्नान करने का जितना पुण्य है, वह इस महाशिवलिंग के एक बार स्पर्श और दर्शन से प्राप्त होता है।

अंग्रेजों ने किया था परीक्षण
तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर के महंत बताते हैं कि अंग्रेज किसी चमत्कार में विश्वास नहीं रखते थे। यह बात करीब 250 साल पुरानी है। अंग्रेजों को जब पता चला कि यह शिवलिंग हर दिन तिल बराबर बढ़ता है तो उन्होंने इसकी सत्यता जांचनी चाही। इसके लिये अंग्रेजों ने अपने कुछ लोग और काशी के प्रबुद्ध लोगों की एक कमेटी बनाई। कमेटी ने सच जानने के लिये शिवलिंग पर नारा बांध कर गर्भगृह को 24 घंटे के लिए सील कर दिया। दोबारा जब गर्भगृ़ह खोला गया तो नारा टूटा हुआ मिला। उस घटना के बाद इस बात को सभी नहीं मान लिया। इसके बाद काशी के विद्वानों ने मंदिर का नवग्रह बंधन किया।


महाशिवरात्रि को जौ के बराबर बढ़ते हैं जागेश्वर महादेव

ईश्वरगंगी स्थित श्री जागेश्वर महादेव मंदिर में हजारों वर्ष पुराना शिवलिंग है। जिसकी लंबाई हर महाशिवरात्रि को जौ के बराबर अपने आप बढ़ जाती है। मंदिर के महंत स्वामी मधुर कृष्ण के अनुसार यहां की मान्यता है कि इसके दर्शन, स्पर्श एवं पूजन से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। यह मेरा स्वयं का अनुभव भी रहा है। अगर कोई इस शिवलिंग का तीन साल तीन महीने दर्शन कर ले या सिर्फ तीन महीने ही दर्शन कर ले तो उसके सारे कष्ट दूर होने के साथ हर मनोकामना भी पूरी हो जाती है। स्कन्दपुराण काशी खंड के अनुसार जिस समय भगवान शिव काशी को छोड़कर चले गए थे उसी दिन जागीषव्य मुनि ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि भगवान शिव के दर्शन के बाद ही जल ग्रहण करूंगा। मुनि के कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और नंदी को नीले कमल के साथ भेजा। पुष्प के स्पर्श करते ही मुनि का क्षीण शरीर पूरी तरह ठीक हो गया और बाद में मुनि ने शिव से यह वरदान मांगा कि आप यहां के शिवलिंग में हमेशा उपस्थित रहें। इसके बाद शिव ने इन्हेंं यह वरदान दिया कि यह शिवलिंग दुर्लभ होगा जिसके दर्शन से मनुष्य की हर कामना पूरी होगी साथ ही तुम मेरे चरणों के समीप वास करोगे। जिसके बाद से ही हर साल शिवलिंग में वृद्धि होती है।

काशी विश्वनाथ के मस्तक हैं कृतिवाशेश्वार
मोक्ष नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ का एक ऐसा स्वरूप जिसे उनके मस्तक की मान्यता हासिल है। यह मंदिर श्री काशी विश्वनाथ और महामृत्युंजय मंदिर के बीच हरतीरथ स्थित कृतिवाशेश्वार महादेव के नाम से जाना जाता है। भगवान शंकर के 18 अंग (स्वरूपों) में एक मस्तक स्वरूप है यह कृतिवाशेश्वर का शिवलिंग। यह एक मात्र ऐसा शिवलिंग है जहां 24 घंटे भोलेनाथ विराजमान रहते हैं। इनके दर्शन मात्र से जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है अर्थात भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल का काशी का यह सबसे बड़ा मंदिर है।महाशिवरात्रि पर दर्शन का विशेष महात्मय है।

एक जौ बढ़ जाता है शिवलिंग
मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह शिवलिंग हर शिवरात्रि पर एक जौ बढ़ जाता है। काशी खंड व शिके 18 पुराणों के युद्ध खंड में वॢणत है कि प्राचीन काल में महिषासुर के पुत्र गजासुर को जब किसी ने मुक्ति का मार्ग नहीं सुझाया तो गुरुओं ने उसे एक रास्ता बताया कि तुम काशी जाओ और वहां के सबसे बड़े शिवालय में पहुंच कर जितने भी ऋषि-मुनी हों उनकी बली चढाओ, तभी भगवान शिव प्रकट होंगे और वही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे। गजासुर ने वैसा ही किया। तब भोले नाथ प्रकट हुए और उसका वध कर उसे मुक्ति दिलाई। उसी वक्त भगवान शंकर ने वर मांगने को कहा तो गजासुर ने अपना चर्म धारण करने को कहा, भगवान भोले नाथ ने उस चर्म को धारण किया, जिसके चलते उनका शरीर गज रूपी हो गया। यह शिवलिंग भी गज के ही समान है।