- शासनादेश के बाद भी ग्राम पंचायत की खुली बैठक में नाम पर हो रही है खानापूर्ति

-रुके पड़े हैं जगह-जगह विकास कार्य

CHANDAULI: ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों का महत्व दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है। शासनादेश के तहत हर ग्राम पंचायतों की खुली बैठक हर तीन महीने पर होनी चाहिए। इसके लिए विधिवत डुगडुगी बजवाकर ग्रामीणों को सूचित किया जाता है। इसमें गांवों में कराए गए कार्यों का लेखा-जोखा व नए कार्यों के लिए कार्य योजना बनाई जाती है। खुली बैठक न होने से सरकारी धन का पूरी तरह से बंदरबांट हो रहा है।

पैसा हो रहा बेकार

क्षेत्र के अधिकांश गांवों में ग्राम सचिवालय व पंचायत भवन जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं और वहां कभी भी गांव सभा की बैठकें नहीं होती हैं। प्रत्येक ग्राम सचिवालय पर सरकार का ख्म् लाख रुपये खर्च आता है। इतना धन खर्च करने के बाद भी अधिकतर पंचायत भवन अधूरे पड़े हुए हैं। ज्यादातर पंचायत भवन अवैध अतिक्रमण की जद में आ गया है। उनका निजी कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीण पंचायत भवनों में भूसा रखना, उपली पाथना और पशु बांधने का काम करते हैं।

सचिवालय का नहीं पड़ा छत

चार साल पहले बने इंद्रपुरा गांव के सचिवालय में अभी तक छत ही नहीं पड़ा है और उसके पास लगा हैंडपंप वर्षों से खराब है। गौरी गांव के पंचायत भवन में लोग भूसा रखने के साथ ही निजी आवास बना लिए हैं। भवतपुरा, हडि़रका, नौगरहा आदि पंचायत भवन भी जर्जर स्थिति में पहुंच गई हैं। कागजों पर बैठकें दिखाकर कोरम पूरा कर लिया जा रहा है, जो पंचायत राज अधिनियम के सरासर खिलाफ है।

फोटो परिचय ख्म् सीएचएक्0 व क्क् चंदौली।