-जेल से लेकर ओल्ड ऐज होम सहित स्लम-बुनकर बस्तियां हुई चिह्नित

--DTC पर TB स्टाफ सहित पैरामेडिकल स्टाफ को दी जाएगी ट्रेनिंग, घर-घर चेक करेंगे रोगी

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टीबी मरीजों को अब दवाओं और बीमारी की जानकारी नहीं होने के अभाव में दम नहीं तोड़ना होगा। टीबी मरीजों की खोज में अब डीटीओ के नेतृत्व में स्टाफ घर-घर पहुंचकर टीबी रोग की जांच करेंगे। लंबे समय से खांसी की समस्या? सांस लेने में दिक्कत आदि की जांच भी करेंगे। ऐसे केस मिलने पर उन्हें तुरंत नजदीकी डॉट सेंटर या फिर सीधे मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में चल रहे डीटीसी पर भेंजेंगे।

दवा कोर्स का रखा जाएगा ध्यान

टीबी रोगियों को चिह्नित करने के लिए आशाओं, एनएम आदि को भी ट्रेनिंग में शामिल किया गया है। एसटीसी, एसटीसीएस, आईसीटीसी स्टाफ के साथ ही जेल के पैरामेडिकल स्टाफ को भी ट्रेनिंग में शामिल किया जाएगा। टीबी मरीज का चेकअप कराने के साथ ही तीन-तीन माह पर चलने वाले दवा कोर्स का भी ध्यान रखा जाएगा।

क्म् जनवरी से निकलेंगे स्टॉफ

टीबी रोगियों की खोज के लिए हाई रिस्क एरिया का सेलेक्शन किया गया है। इनमें बुनकर कॉलोनियां, मलिन बस्तियां, वृद्धाश्रम, अनाथालय के साथ ही सेंट्रल व जिला जेल भी शामिल है। टीबी रोगियों की खोज के लिए तीन फेज में स्टाफ को ट्रेनिंग दिया जाएगा। फ‌र्स्ट फेज क्म् जनवरी से फ्0 जनवरी, सेकेंड फेज क्7 जुलाई से फ्क् जुलाई और थर्ड फेज में ब् दिसंबर से क्8 दिसंबर तक चलेगा।

प्राइवेट हॉस्पिटल्स को दी जाएगी नोटिस

टीबी मरीजों के लिए मंडलीय हॉस्पिटल में जहां डॉट्स सेंटर खुला है वहां तीन माह की तुलना में लगभग तीन से चार हजार टीबी मरीजों की संख्या सामने आती है। वहीं बहुत से प्राइवेट हॉस्पिटल्स भी अपने लेवल से टीबी मरीजों का चेकअप कर रहे हैं। जिला क्षय अधिकारी का कहना है कि ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल्स को टीबी मरीजों की संख्या देना अनिवार्य है हालांकि किसी भी हॉस्पिटल्स से डाटा नहीं भेजा जा रहा है। जिन्हे जल्द ही नोटिस भेजी जाएगी।

टीबी मरीजों के लिए सर्च अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए स्टाफ को ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उनके लिए यह सुविधा शुरू की जा रही है जो टीबी रोग से अंजान हैं।

डॉ। केके ओझा

डीटीओ