--Metro परियोजना में बनारस सहित अदर सिटीज के DPR में income में आ रही है अड़चनें
--Central government 50 परसेंट राशि देने में दर्ज कराई है आपत्ति, पूछा, महज तीन परसेंट की इनकम से कैसे चलेगी metro
VARANASI
बनारस सहित आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ आदि सिटीज के लिए राइट्स संस्था की ओर से बनी मेट्रो परियोजना के डीपीआर में आय को लेकर अड़चनें सामने आने लगी है। मेट्रो की नींव पड़ी नहीं कि इसके संचालन पर अभी से ब्रेकर लगने शुरू हो गये हैं। यही कारण है कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने 50 परसेंट धन देने पर आपत्ति दर्ज कराई और इनकम का आधार पूछा है? मेट्रो परियोजना के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आय से तात्पर्य है कि पूरी परियोजना की अनुमानित लागत के सापेक्ष हर साल कम से कम आठ परसेंट की आय होनी चाहिए लेकिन वर्तमान में जो डीपीआर बना है उसमें महज तीन परसेंट इनकम का लक्ष्य ही पूरा हो पा रहा है। इसी इनकम से मेट्रो का संचालन होगा। ऐसे में हर साल होने वाले लॉस की भरपाई को पूरा करने की काट को तलाशा जा रहा है। फिलहाल इसी मसले पर चीफ सेक्रेटरी लेवल के ऑफिसर्स मंथन कर रहे हैं।
नहीं हो पा रही है problem solve
बनारस सहित अदर सिटीज में मेट्रो परियोजना पर लगने वाले ग्रहण को दूर करने के लिए अभी हाल ही में लखनऊ में चीफ सेक्रेटरी होम सदाकांत ने इम्पॉर्टेट मीटिंग भी की थी लेकिन मीटिंग में लॉस की भरपाई के लिए ठोस रणनीति नहीं बन पायी है। हालांकि स्टांप व टैक्स से मेट्रो परियोजना की इनकम बढ़ाने पर जरूर मंथन हुआ। चीफ सेक्रेटरी ने इनकम बढ़ाने के लिए ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर समेत अदर डिपार्टमेंट के इनकम से मेट्रो परियोजना की आय में वृद्धि पर भी विचार किया। हालांकि संबंधित विभागों के पास आय का पूरा ब्योरा नहीं होने से लास्ट डिसीजन नहीं हो सका है। मीटिंग में बनारस से कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण, वीडीए उपाध्यक्ष प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव व नगर नियोजक विनोद सक्सेना शामिल थे।
सीएम लगाएंगे अंतिम मुहर
चीफ सेक्रेटरी होम ने सभी ऑफिसर्स को आगामी मीटिंग मेंपूरा ब्योरा लेकर आने को निर्देशित किया है ताकि मेट्रो परियोजना की इनकम को बढ़ाने के लिए ठोस निर्णय हो सके। यह भी बताया जा रहा है कि आय बढ़ाने के डिसीजनके बाद उस रिपोर्ट को सीएम अखिलेश यादव के समक्ष पेश किया जाएगा। संभव होगा तो नए सिरे से कैबिनेट में भी प्रस्तुत कर चर्चा कराई जा सकती है।
लॉस की यह है मेन वजह
बनारस में मेट्रो परियोजना के लिए डीपीआर बनाने वाली संस्था राइट ने बीएचयू से भेल और बेनियाबाग से सारनाथ तक के दो कॉरीडोर की रूपरेखा खींची है। पूरी परियोजना की अनुमानित लागत क्ख्ख्भ्म् करोड़ रुपये प्रस्तावित है। साल ख्0ख्क् तक मेट्रो परियोजना के दोनों कॉरीडोर चालू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि बनारस में संकरी सड़क होने के कारण दोनों कॉरीडोर में तय रूट का अधिकतर हिस्सा अंडरग्राउंड है जबकि अदर सिटीज में सड़क चौड़ी होने के कारण रूट उपरगामी है। ऐसे में अदर सिटीज की तुलना में बनारस मेट्रो परियोजना की लागत बहुत अधिक हो रही है। परिणाम, निवेश के सापेक्ष इनकम का आधार बेहद कम होने के कारण नए सिरे से मंथन किया जा रहा है।
मेट्रो का फर्स्ट कॉरीडोर
बीएचयू से भेल तक-बीएचयू, मानस मंदिर, रत्नाकर पार्क, बंगाली टोला, काशी विश्वनाथ (चितरंजन पार्क), बेनियाबाग, रथयात्रा, काशी विद्यापीठ, कैंट स्टेशन, नदेसर, कलेक्ट्रेट, भोजूबीर, गिलट बाजार, संगम कालोनी, शिवपुर, तरना व भेल।
मेट्रो का सेकेंड कॉरीडोर
बेनियाबाग से सारनाथ-बेनियाबाग, कोतवाली, मछोदरी पार्क, काशी बस स्टेशन, जलालीपुरा, पंचक्रोशी चौराहा, आशापुर, हवेलिया व सारनाथ।
यह भी जानें
-बीएचयू से भेल तक के मेट्रो रूट पर 8ब्क्8 करोड़ रुपये की लागत
-बेनियाबाग से सारनाथ रूट पर फ्8फ्8 करोड़ रुपये की लागत
-दोनों रूट का टर्मिनल होगा बेनियाबाग
-बीएचयू से भेल तरना तक क्9.फ्फ् किमी के रूट में क्भ्.7 किमी अंडरग्राउंड मेट्रो व शेष ओपेन होगा, इसमें क्7 मेट्रो स्टेशन होंगे
-बेनियाबाग से सारनाथ तक 9.88 में से 8.फ्फ् किमी रेल लाइन अंडरग्राउंड होगी, इसमें नौ स्टेशन होंगे