- जेल के अंदर मिले मोबाइल फोन के लगातार हो रहे इस्तेमाल से उठने लगे कई सवाल, बैरकों में चार्जिग पॉइंट न होने के बाद भी कैसे होता था मोबाइल चार्ज

- प्रीपेड सिम का इस्तेमाल करने के लिए उसे रिचार्ज कराने का कौन करता था काम, जांच में जुटा जेल प्रशासन

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्

जिला जेल में मिले तीन मोबाइल और तीन सिम को लेकर चल रही जांच में भले चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हों लेकिन सवाल ये उठता है कि जेल में मोबाइल पहुंचने के बाद उसके मेनटेनेंस का काम कौन करता था? यानि लंबे वक्त तक यूज होने के बाद भी मोबाइल को चार्ज कर उसके बैटरी बैकअप को बनाये रखने और कॉल करने के लिए उसमे बैलेंस मेनटेन करने का काम आखिर जेल में होता कैसे था? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो जेल प्रशासन को ही घेरे में ला रहे हैं। फिलहाल इस मामले की जांच में जुटी पुलिस अब कुछ बंदी रक्षकों से भी पूछताछ करने की तैयारी में जुट गई है।

कई हैं शक के घेरे में

जेल से मिले तीनों सिम प्रीपेड हैं और इनकी जांच में पता चला है कि इनको रिचार्ज कराने का काम एक दो दिन छोड़कर हो रहा था। कई रिचार्ज कैंट इलाके की कुछ दुकानों से कराये गए हैं। वहीं रात को लंबी बात के दौरान भी मोबाइल फोंस का डिस्चार्ज न होना और मिलने के बाद तीनों फोन की बैटरी का फुल चार्ज मिलना भी ये सवाल पैदा कर रहा है कि कौन है जो इन मोबाइल को रिचार्ज और चार्ज कराने का काम कर रहा था? क्योंकि जेल के अंदर किसी भी बैरक में चार्जिग पॉइंट है ही नहीं। जेल सूत्रों की मानें तो जेल के अंदर कहीं भी चार्जिगं पॉइंट नहीं है सिर्फ मेन गेट, जेलर और ऑफिस को छोड़कर। इसके बाद भी इन मोबाइल का चार्ज होना जेल में मौजूद कई बंदीरक्षकों को शक के घेरे में खड़ा कर रहा है। सोर्सेज का कहना है कि अक्सर जेल के गेट पर किसी न किसी का मोबाइल चार्ज पर लगाया जाता है। ये कई बार किसी मुलाकाती और बंदी रक्षकों का होता है। इसलिए ये माना जा रहा है कि हो सकता है कि इसी की आड़ में जेल के अंदर से यूज होने वाले सेट भी यहीं से चार्ज कर अंदर पहुंचा दिए जाते हों। हालांकि इस बारे में डीआईजी जेल का कहना है किसी भी जेल में मोबाइल का यूज प्रतिबंधित है और अगर बनारस जिला जेल में मोबाइल मिला है तो ये अत्यंत गंभीर मामला है। इसके लिए जांच कर जेल कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी ताकि सब कुछ साफ हो सके।

अटका है जैमर का मसला

जेल के अंदर से मोबाइल के इस्तेमाल को रोकने के लिए जेलों में जैमर लगाने का दस साल से भी ज्यादा पुराना प्लैन अब तक अटका हुआ है। इसके लागू न होने के कारण जेलों से माफिया और बदमाश लगातार अपना नेक्सस चलाने में कामयाब हैं। वहीं आधा दर्जन जेल विजिटर्स के होते हुए भी जेल में लगातार इस तरह की चीजें होना कई सवाल खड़े कर रहा है।