प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बनारस आने पर रातों-रात बहुत कुछ बदल गया। स्पेशली जहां उन्हें जाना था, वहां के नजारे में सबसे ज्यादा चेंज दिखा। लेकिन उनके जाने के बाद क्या हुआ? मोदी के अपीलों पर कितना अमल हुआ? क्या मोदी का मैजिक कुछ चेंज ला पाया है? यही सब जानने के लिए आई नेक्स्ट ने उन जगहों को फिर से चेक किया जहां पर नरेन्द्र मोदी गए थे। आज आई नेक्स्ट संग आप भी देखिये कि जहां मोदी गये थे वहां रविवार को क्या था नजारा? मोदी का मैजिक चढ़ा या उतर गया?

अंदर की हेडिंग

कहीं दिखा भरपूर असर तो कहीं लगा मानो सब हैं बेखबर

अंदर का इंट्रो

मोदी जिन जगहों पर गए थे उनमें से चार पॉइंट्स पर आई नेक्स्ट टीम ने विजिट किया। जयापुर गांव, लालपुर, अस्सी घाट और रविन्द्रपुरी स्थित मोदी का जनसम्पर्क कार्यालय। इसमें से जनसम्पर्क कार्यालय तो रविवार की वजह से बंद मिला लेकिन जयापुर और अस्सी घाट देखकर लगा कि यहां तो मोदी के मैजिक ने कुछ असर दिखाया है। लेकिन लालपुर में लगा कि यहां सब बेखबर हैं।

जयापुर में अब जग गए हैं नौजवान

- सांसद के तौर पर मोदी के गोद लिए गांव में दिखने लगा है मोदी का मैजिक

- गांव के नौजवानों ने लिया मोदी के मन के मुताबिक गांव में बदलाव का संकल्प

- शनिवार को गांव के सबसे पुराने पेड़ का पूजन कर लिया संरक्षण का संकल्प

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: बनारस के सांसद और देश के प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी की बातों का असर कहीं हुआ हो या न हुआ हो मगर उनके अपने गांव जयापुर में तो उसका असर दिखने लगा है। जी हां, मोदी के महज नाम से और सिर्फ एक बार गांव में 50 मिनट के भाषण का असर गांव के नौजवानों का झकझोर चुका है। उन्होंने मिलकर मोदी की बातों पर अमल शुरू कर दिया है। ये नौजवान साफ कहते हैं कि मोदी जी ने साफ समझा दिया है कि सरकार के भरोसे मत रहो। अपना विकास हमें खुद करना होगा। हमने शुरूआत कर दी है और ये चलता रहेगा।

दिखा अजब सा सूनापन

सात नवम्बर को जयापुर गांव में नरेन्द्र मोदी ने इस गांव को गोद लेने की घोषणा की। उनके जाने के बाद रविवार को आई नेक्स्ट टीम फिर उसी गांव में पहुंची ये देखने के लिये मोदी की बातों का कितना असर हुआ। सात नवम्बर को जहां जयापुर में मेले जैसा माहौल था वहीं रविवार को एक अजब सा सूनापन नजर आया। वास्तव में यही सूनापन इस गांव की असल तस्वीर है। जिस ग्राउंड पर मोदी का भाषण हुआ और जहां मोदी के हेलीकॉप्टर के साथ दो और हेलीकॉप्टर उतरे, वो मैदान उजड़े चमन से नजर आ रहे थे। अलबत्ता हेलीपैड वाले मैदान में एक ओर हजारों ईटें रखी नजर आई जो हेलीपैड को तोड़ने के बाद निकली थी। जबकि सभा स्थल वाले ग्राउंड के आस-पास तीन ट्रकों में टेंट, चेयर्स, बांस-बल्ली और पाइप्स को समेटने का काम चल रहा था।

रामलीला भवन में चौपाल

सभा स्थल के पूरब एक बिल्डिंग हैं जिसे रामलीला भवन के नाम से जाना जाता है। मोदी के आने पर इस बिल्डिंग को रंग-रोगन के साथ चमकाया गया था। यही अस्थायी पंचायत ऑफिस भी है। ऑफिस तो रविवार को बंद था लेकिन पंचायत भवन के मंच पर कुछ नौजवान मानो चौपाल लगाए हुए थे। हमारे वहां पहुंचने के साथ-साथ कुछ और लोग पैदल, साइकिल और बाइक से वहां पहुंच गये। यहां पूछने पर पता चला कि मोदी जी गांव में जो बदलाव की इच्छा जताई है, उस पर अमल के लिये ही वहां डिस्कशन चल रहा है।

खुद से लिया है संकल्प

इन नौजवानों ने बताया कि मोदी जी की बातों में दम था। उन्होंने हमें विकास की नई राह दिखाई है। ये सभी रामलीला कमेटी के पदाधिकारी और मेम्बर्स थे। कहा कि हमने मोदी जी की बातों पर अमल का खुद से संकल्प लिया है। हमें अब किसी के मदद का इंतजार नहीं करेंगे। जितना हो सकेगा, खुद से बदलाव लाने की कोशिश करेंगे। मोदी जी ने गांव में आकर और बहुत काम की बातें बताकर हमें रास्ता दिखा दिया है। अब हम सभी उस पर चलने को तैयार हैं।

खोज निकाला बुजुर्ग पेड़

मोदी की बातों का नौजवानों पर इतना असर हुआ कि शुक्रवार को उनके जाने के ठीक बाद रामलीला कमेटी के लोगों ने गांव के सबसे पुराने पेड़ की तलाश शुरू कर दी। एक बागीचे में करीब 300 साल पुराने महुआ के पेड़ पर आकर उनकी तलाश पूरी भी हो गयी। इस पेड़ की खासियत ये है कि लगभग हर साल इस पर आसमानी बिजली गिरती है। कुछ साल पहले इतनी जबरदस्त बिजली गिरी की उसे पेड़ का एक हिस्सा जमींदोज कर दिया। तब से पेड़ के एक हिस्से में ही हरियाली है। कमेटी के लोगों ने गांव के बड़े बुजुर्गो को साथ लेकर शनिवार को पेड़ की पूजा की और उसके बाद इसे संरक्षित करने का संकल्प लिया। इस बारे में कृषि विज्ञानियों ने मदद का आश्वासन भी दिया है।

हर सप्ताह होगी बड़ी सफाई

कमेटी के मेम्बर्स ने यह भी तय किया है कि सप्ताह के छह दिन सभी भले अपने-अपने काम में बिजी रहेंगे लेकिन रविवार को सभी मिलकर पूरे गांव में साफ-सफाई करेंगे। इसमें गांव के लोगों से भी मदद ली जाएगी। उसने ये अपील की जाएगी कि वो अपने-अपने घर के आस-पास की सफाई करें बाकी सारा कूड़ा-कचरा हटाने और उसे एक जगह डम्प करने की जिम्मेदारी इन नौजवानों ने अपने जिम्मे ले ली है। रविवार को आई नेक्स्ट जब इनसे बात कर रही थी तभी कई और लोग झाड़ू लेकर आ पहुंचे। पता चला कि आज रविवार है इसलिये अब सफाई में जुट जाना है। बात खत्म होने के बाद सभी अपने काम में जुट भी गये। खासतौर से उस जगह भी सफाई कि जहां मोदी का मंच बनाने के लिये आये कारीगर और मजदूरों ने कैम्प कर रखा था और वहां थर्माकोल की प्लेटे फेंक रखीं थीं।

जनता जगी मगर नौकरशाह नहीं

ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि मोदी के मैजिक ने जनता को तो कुछ हद तक जगा दिया है। लेकिन नौकरशाहों का रवैया वहीं पुराना है। इसका साक्षात उदाहरण मोदी के मंच के 100 मीटर दायरे में रामलीला कमेटी के मैदान में लगे हैंडपम्प के रूप में दिखा। मोदी के आने के ठीक पहले इस हैंडपम्प के चारों तरफ पक्का घेरा बनाया गया था। मगर ये घेरा दो दिन भी नहीं चल पाया। शायद इसकी क्वॉलिटी अफसरों और ठेकेदार के बीच के कमीशन की बलि चढ़ गया था।

मोदी की अपील का असर

- गांव में पहले से मौजूद रामलीला कमेटी जयापुर ने आदर्श गांव योजना की जिम्मेदारी ले ली है।

- कमेटी से जुड़े दो दर्जन से ज्यादा नौजवान अब हर रविवार को गांव में व्यापक स्तर साफ-सफाई किया करेंगे।

- इस कमेटी ने गांव में सबसे पुराने पेड़ को संरक्षित करने के लिये प्रयास शुरू कर दिया है।

- गांव में अब जिस किसी घर में बेटी का जन्म होगा, ये कमेटी उस दिन गांव में उत्सव मनाएगी।

- कमेटी सार्वजनिक स्थान पर बेटी के जन्म पर पांच पौधे भी लगाएगी जिसे 20 साल बाद काटा जा सके।

- गांव का जन्म दिन तय करने के लिये जल्द ही बड़े-बुजुर्गो के साथ मीटिंग किया जाएगा।

- कमेटी में सदस्यों की संख्या दो सप्ताह के अंदर 50 तक करने का भी किया जा रहा है प्रयास।

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मोदी जी की बातों में दम था। उन्हीं के कहे अनुसार हमारी रामलीला कमेटी ने गांव को बदलने का संकल्प लिया है। हमने उनके अपील पर एक शुरूआत कर दी है।

- संतोष कुमार, अध्यक्ष, जयापुर रामलीला कमेटी

बिना कहे ही गांव के नौजवान एकजुट हो गये हैं। हम खुद मोदी जी को दिखाना चाहते हैं कि उनके गांव के लोग आलसी और सुस्त नहीं बल्कि सक्रिय लोग हैं।

- विष्णु विश्वकर्मा, सचिव, जयापुर रामलीला कमेटी

हर सप्ताह हम गांव की साफ-सफाई करेंगे। हम कुछ लोग इसकी शुरूआत कर रहे हैं लेकिन जल्द ही गांव के सभी नौजवानों का इस अभियान में जोड़ेंगे ताकि असर दिखे।

- विनोद वर्मा, सदस्य, रामलीला कमेटी

मेरे ही बागीचे में वो प्राचीन पेड़ हैं जिसका संरक्षण किया जाना है। मैं इसमें सभी लोगों का बराबर साथ देने को तैयार हूं। गांव के सभी अभियानों में मैं खुद शामिल रहूंगा।

- सुनील कुमार सिंह, एडवोकेट